20 साल बाद ‘मैरीलैंड’ के छात्रों को मिली नमाज की जगह

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MARILAND UNIVERSITY STUDENT, PIC: INTERNET

संयुक्त राज्य अमेरिका में मैरीलैंड राज्य के प्रिंस जॉर्ज क्षेत्र में स्थित मैरीलैंड विश्वविद्यालय के मुस्लिम छात्र दो दशकों की कोशिश के बाद आखिरकार कामयाब हुए। उन्होंने हाल ही में अधिकारियों की अनुमति से विश्वविद्यालय परिसर के बीच में एक मस्जिद का उद्घाटन किया। अब कैंपस के सभी मुसलमान यहां नमाज अदा कर सकेंगे। ( Students Of Maryland University)

बीस साल पहले कुछ मुस्लिम छात्रों ने नमाज़ के लिए आवेदन किया था। साल 2016 से मैरीलैंड विश्वविद्यालय में मुस्लिम छात्रों का एक संगठन कैंपस के भीतर मस्जिद स्थापित करने के लिए काम कर रहा है। इसके लिए उन्होंने पिछले कुछ वर्षों में मस्जिद निर्माण कोष में अमेरिकी डॉलर जुटाए हैं, जिसकी बदौलत मस्जिद की तामीर कराई गई।

अमेरिका में इस्लाम तीसरा सबसे बड़ा धर्म है। 2014 के एक धार्मिक सर्वेक्षण के अनुसार, यहां के 64 प्रतिशत मुसलमान मानते हैं कि धर्म बहुत महत्वपूर्ण है। संयुक्त राज्य अमेरिका में 2020 तक 2789 मस्जिदें हैं, जिनमें 55 से ज्यादा अहमदिया समुदाय की मस्जिदें हैं। इसके अलावा मिशिगन में इस्लामिक सेंटर ऑफ अमेरिका है। मस्जिदों में अमूमन जुमा को खुतबा अंग्रेजी के अलावा उर्दू, बंगाली या अरबी भाषाओं में दिए जाते हैं। ( Students Of Maryland University)

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अमेरिका में इस्लाम की जड़ें बहुत पुरानी हैं। अभी ताे अप्रवासी या शराणार्थी ही ज्यादा हैं, लेकिन हमेशा से ऐसा नहीं है। दरअसल, अफ्रीका से अमेरिका लाए गए गुलाम पश्चिम अफ्रीकी क्षेत्र के मुसलमान थे। बताया जाता है कि 1701 से 1800 के बीच लगभग पांच लाख पहुंचे, जिनमें ये मुस्लिम भी थे। इतिहासकारों का अनुमान है कि सभी गुलाम अफ्रीकी पुरुषों में से 15 गुलाम अफ्रीकी महिलाओं में 10 प्रतिशत मुस्लिम थे।

एक अनुमान यह है कि उत्तरी अमेरिका में लाए गए गुलामों में से 50 प्रतिशत से ज्यादा उन क्षेत्रों से आए थे जहां की आबादी का बड़ा हिस्सा इस्लाम का अनुयायी था। इस लिहाज से देखा जाए तो लगभग दो लाख गुलाम इस्लाम प्रभावित क्षेत्रों से लाए गए। ( Students Of Maryland University)

माइकल ए. गोमेज़ ने अनुमान लगाया कि मुस्लिम गुलामों की संख्या इतनी भले ही न हो, हजारों तो थी ही। वे इस्लाम के कुछ सिद्धांतों से परिचित थे। ऐतिहासिक अभिलेखों से संकेत मिलता है कि कई गुलाम मुसलमानों ने अरबी भाषा में बातचीत की। कुछ ने क़ुरान पर आधारित कुछ लिखा भी।


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