अखिलेश यादव से मिले आप सांसद संजय सिंह, गठबंधन को लेकर सियासी हलचल तेज़

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द लीडर | उत्तर प्रदेश की राजनीति में सियासी सरगर्मियां तेज हो गई हैं. सत्ता में वापसी के लिए समाजवादी पार्टी हर संभव कोशिश में जुटी है. ऐसे में बुधवार को आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने आज समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव से मुलाकात की. दोनों के बीच करीब एक घंटे तक मुलाकात चली है. इस मुलाकात के बाद अब इस बात की चर्चा भी शुरू हो गई है कि क्या आरएलडी के बाद अब समाजवादी पार्टी आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन करने की तैयारी में है.

तीसरी बार अखिलेश से मिले संजय सिंह 

आम आदमी पार्टी के यूपी प्रभारी संजय सिंह हाल में सपा के संस्‍थापक और पूर्व मुख्‍यमंत्री मुलायम सिंह यादव के जन्‍मदिन समारोह में भी शामिल हुए थे. वहां भी अखिलेश यादव से उनकी मुलाकात हुई थी. दो महीने पहले भी संजय सिंह की अखिलेश यादव से मुलाकात हुई थी. आज तीसरी बार दोनों नेता मिले.


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संजय सिंह ने क्या कहा?

संजय सिंह ने बताया कि गठबंधन की बातचीत शुरू हो गई है, लेकिन फिलहाल कोई तय नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि जैसे ही सब तय हो जाएगा, इस बारे में जानकारी दे दी जाएगी. संजय सिंह ने कहा कि हम सबकी प्राथमिकता भाजपा को हराने की है. हमारी प्राथमिकता भाजपा के कुशासन और तानाशाही को हराना है.

उनसे जब पूछा गया कि क्या भाजपा के खिलाफ छोटी-छोटी पार्टियां एक हो रहीं हैं और क्या उसमें आम आदमी पार्टी भी नजर आएगी? तो संजय सिंह ने जवाब देते हुए कहा कि ‘सबकी प्राथमिकता तो एक ही है.’ वहीं, सपा नेता सुनील सिंह साजन ने कहा कि समाजवादी पार्टी सभी छोटे दलों को साथ ला रही है और भाजपा को हराने के लिए सभी छोटे दलों के लिए दरवाजा खुला है.

उत्तर प्रदेश में कितना सक्रिय है आम आदमी पार्टी?

आम आदमी पार्टी ने संजय सिंह को उत्तर प्रदेश चुनाव के लिए चेहरा बनाया है. वो पिछले साल से ही उत्तर प्रदेश में सक्रिय हैं. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया भी उत्तर प्रदेश का दौरा कर चुके हैं. इन दोनों के अलावा भी दिल्ली के कई मंत्री उत्तर प्रदेश चुनाव के लिए सक्रिय हैं.

आप ने पहले घोषणा की थी कि वो उत्तर प्रदेश के सभी 403 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े करेगी. पार्टी अपने उम्मीदवारों की एक सूची भी जारी कर चुकी है. हालांकि संजय सिंह ने कहा था कि योगी आदित्यनाथ की सरकार को उखाड़े फेंकने के लिए हम सभी को कुछ त्याग करना होगा और सभी दलों को एक प्लेटफार्म पर आना होगा.

सपा-रालोद का ऐसे हुआ है समझौता  

दोनों पार्टियों में हुए समझौते के मुताबिक सपा रालोद को विधानसभा की करीब 36 सीटें देगी. इनमें से जयंत 30 सीटों पर रालोद और छह सीटों पर सपा के सिंबल पर अपने उम्मीदवार उतारेंगे.

रालोद से गठबंधन से पहले अखिलेश ने केशव देव मौर्य के महान दल, डा.संजय सिंह चौहान की जनवादी पार्टी (सोशलिस्ट), शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और ओमप्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी से गठबंधन किया है. ओमप्रकाश राजभर वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के साथ थे. ओमप्रकाश राजभर गाजीपुर के हैं और आसपास के जिलों में राजभर जाति का अच्छा वोट बैंक है.

जाहिर है, छोटे दलों से गठबंधन के पीछे अखिलेश की जातीय समीकरणों को साधने की रणनीति है जिसकी सफलता की कसौटी अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के परिणाम होंगे. जहां तक रालोद का सवाल है तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश की कुछ सीटों पर उसका प्रभाव है. रालोद से दोस्ती कर अखिलेश की मंशा पश्चिम की जाट बेल्ट में स्थिति मजबूत करने की है.


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