आजादी पाने को देश के लोगों ने कितना बलिदान दिया, इसकी फेहरिस्त बहुत लंबी है। अंग्रेजी हुकूमत ने लाखों लोगों को मरने के लिए छोड़ दिया या फिर उनकी जान ले ली। जलियांवाला बाग का नरसंहार साम्राज्यवादी निरंकुशता का भद्दा दाग है। लेकिन उनकी करतूतों को यूं ही बर्दाश्त करके लोग खामोश नहीं बैठ गए। देश के नौजवानों ने उसका हिसाब भी चुकता किया। शहीद ऊधम सिंह ने तो बरसों इंतजार के बाद लंदन जाकर नरसंहार के दोषी ओ डायर को मौत के घाट उतार दिया।