द लीडर : असम के दरांग जिले में मुस्लिम मददगारों के पहुंचने का सिलसिला जारी है. जमीयत उलमा-ए-हिंद और जमात-ए-इस्लामी ने गोली से मारे गए पीड़ित मोईनुल हक, शेख फरीद के परिजनों को 2-2 लाख रुपये और घायलों को 20-20 हजार की मदद देने का ऐलान किया है. खाने-पीने का राशन और रहने के लिए टैंट की व्यवस्था की है. स्टूडेंट्स इस्लामिक ऑग्रेनाइजेशन ऑफ इंडिया ने मोईनुल हक के तीनों बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाने का वादा किया है. (Assam Moinul Darrang Muslims)
सिपाझर इलाके धौलपुर गांव में प्रशासन ने अतिक्रमण हटाया. जिसमें गांव के 800 मकान गिरा दिए. इसके विरोध में प्रदर्शन कर रहे ग्रामीणों पर पुलिस ने फायरिंग कर दी थी. जिसमें मोईनुल हक और शेख फरीद मारे गए. मोईनुल हक को जिस बेरहमी से मारा गया. उस वीडियो ने मुसलमानों के साथ इंसानियत के पक्षधर हर इंसान को झकझोर दिया.
जमीयत उलमा-ए-हिंद का एक प्रतिनिधि मंडल कई दिनों से दरांग में हैं. पुलिस-प्रशासन और मुख्यमंत्री से मुलाकात के बाद वह राहत कार्यों में लगा है. ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे डेरा डाले ग्रामीणों की मदद की जा रही है.
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मुस्लिम एक्टिविस्ट, पत्रकार भी पहुंच रहे हैं. जो पीड़ित परिवारों से मुलाकात करके एक रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं. टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज के स्कॉलर और सामाजिक कार्यकर्ता फहाद अहमद, यूनाइटेड अगेंस्ट हेट से जुड़े नदीम खान दरांग में हैं.
पीड़ित परिवारों से बातचीत के बाद ये तथ्य सामने आया है कि मोईनुल हक की भांजी, जिसे पुलिस पीट रही थी. उसे बचाने के लिए ही वे लाठी लेकर दौड़े थे. जिनके सीने पर पुलिस ने गोली मार दी. और बाद में उन्हें किस तरह पीटते रहे. इसका वीडियो अमूमन सभी ने देखा है.
लेखक दाराब फारूकी ने दरांग पहुंचे एक्टिविस्ट की एक फोटो शेयर करते कहा-आप देख सकते हैं. टीम पीड़ितों से बात कर रही है. ये दुनिया को दिखाता है कि हम मुसलमान कुछ भी गिरने नहीं देेंगे. हम दुनिया को क्रूरता, अमानवीयता, उत्पीड़न और विश्वासघात दिखाएंगे. हम दस्तावेज बनाएंगे और कहानियां लिखेंगे.
असम में अल्पसंख्यक ग्रामीणों पर पुलिस के एक्शन को लेकर देशभर के अल्पसंख्यकों में आक्रोश है. इसको लेकर जगह-जगह विरोध-प्रर्दशन हो चुके हैं. फ्रेटरनिटी मूवमेंट के कार्यकर्ताओं की ओर से इलाहाबाद में प्रदर्शन करने पर पुलिस में शिकायत दर्ज किए जाने की बात सामने आ रही है.
असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा की सरकार का दावा है कि राज्य की 77,000 बीघा जमीन पर अतिक्रमण है. जिसे खाली कराने का अभियान चलाया जा रहा है. इसी अभियान में धौलपुर गांव से 800 घरों को ढहाया गया था. और शांतिपूर्वक विरोध-प्रदर्शन कर रहे ग्रामीणों पर पुलिस ने फायरिंग कर दी.
एक्टिविस्ट फहाद अहमद के मुताबिक धौलपुर गांव, जहां ये कार्रवाई हुई है. वहां पहुंचने के लिए तीन नदियों से होकर गुजरना पड़ता है. इलाके में कोई स्कूल नहीं है. यहां आबाद लोगों की जिंदगी दुश्वार है. (Assam Moinul Darrang Muslims)