द लीडर : हजरत इमाम हुसैन की याद में इराक की सड़कों पर दुनिया का सबसे बड़ा मार्च जारी है. जिसमें दुनियाभर के जायरीन शामिल हिस्सा ले रहे हैं. जुलूस का नाम है अरबियन (Arbaeen2021. आशूरा के 20वें रोज यानी जिस दिन हजरत इमाम हुसैन ने कर्बला में शहादत दी थी. उसके 20वें दिन ये मार्च शुरू होता है. और चहल्लुम यानी 40वें दिन कर्बला में पहुंचता है. (Arbaeen Imam Hussein Sacrifice)
अरबियन शिया मुसलमानों का सबसे बड़ा धार्मिक मार्च है. जिसमें इस बार भी भारी जनसैलाब उमड़ा है. विदेशी जायरीन के तौर पर ईरान के लोग सर्वाधिक हैं. यह दुनिया के सबसे बड़े शोक समारोह और धार्मिक जुलूस में एक बन चुका है.
जुलूस में शामिल जायरीन मातम मनाते हुए आगे बढ़ते हैं. एक-दूसरे की मदद, सेवा और इंसानियत का संकल्प लेते हैं. ईरान की महरीन न्यूज के मुताबिक, अरबियन का अर्थ है 40वां दिन. जो हजरत इमाम हुसैन की शहादत के 40 दिन बाद होता है. इसकी खासियत ये है कि हजरत इमाम हुसैन के परिवार के लोगों ने कर्बला के शहीदों की कब्रों का दौरा किया था.

एक रिपोर्ट के मुताबिक 2014 में भारत से करीब 6,000 लोग इस जुलूस में शामिल होने गए थे. इसमें ज्यादातर कर्बला शरीफ स्थित हजरत इमाम हुसैन की दरगाह की जियारत करने भी पहुंचे.
अरबियन मार्च दुनिया में हजरत इमाम हुसैन के प्रेम, शांति, इंसानियत, न्याय और उदारता का सबक देता है. जिसके लिए हजरत इमाम हुसैन लड़े और दुनिया का बड़ा हिस्सा उसी गैरबराबरी, अन्याय से जूझ रहा है. (Arbaeen Imam Hussein Sacrifice)
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अरबियन जूलूस इराक के तमाम शहरों से होकर कर्बला की ओर बढ़ रहा है. लाखों की कतारों में लोग शामिल हैं. जगह-जगह खाने-पीने के इंतजाम किए गए हैं. गरीबों की मदद की जा रही है. कर्बला की जंग से जुड़ी कई यादें के कुछ प्रतीक भी लिए हैं.
एक अकीदतमंद समीन ने कहा कि, हजरत इमाम हुसैन ने जस्टिस और इंसानियत के लिए कुर्बानी देकर दुनिया को बड़ा सबक दिया है. हमें उनके सुझाए रास्ते पर चलने की जरूरत है.