द लीडर हिंदी : असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा (Himanta Biswa Sarma) ने अप्रवासी मुस्लिम पर परिवार नियोजन के पालन और आबादी नियंत्रित रखने के संबंध में टिप्पणी की थी. इस पर ऑल इंडिया यूनाईटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIUDF) के विधायक हाफिज रफीकुल इस्लाम ने पलटवार किया है.
Instead of saying that a particular community has more children, the CM should work on controlling it & find out reason. Even he has 6-7 siblings, Speaker I've heard has 8 siblings: AIUDF MLA Hafiz Rafiqul Islam on Assam CM's reported family planning remark on immigrant Muslims. pic.twitter.com/tWwFUJctNJ
— ANI (@ANI) June 11, 2021
उन्होंने कहा कि यह कहने के बजाय कि एक विशेष समुदाय के अधिक बच्चे हैं, मुख्यमंत्री को इसे नियंत्रित करने और इसके कारण खोजने पर काम करना चाहिए. जबकि मुख्यमंत्री के खुद 6-7 भाई-बहन हैं.
मुख्यमंत्री जनसंख्या बढ़ने का मुख्य कारण नहीं जान रहे हैं. इसका मुख्य कारण है गरीबी और अशिक्षा. समुदाय विशेष से जनसंख्या नियंत्रित करने के लिए कहने से बढ़िया होता कि वह गरीबी और निरक्षरता को दूर करने के बारे में अपनी योजनाएं बताते.
आबादी सिर्फ एक जनजाति या विशेष समुदाय से नहीं बढ़ रही है. मैं कई भाई-बहन रखने का प्रस्ताव नहीं कर रहा हूं. सीएम को लोगों को ज्यादा बच्चे न पैदा करने के बारे में शिक्षित करना चाहिए, लेकिन यह भाजपा सरकार एक विशेष वर्ग के लिए काम करती है और दूसरों की उपेक्षा करती है.
सीएम ने कहा था कि जनसंख्या को नियंत्रित रखें अप्रवासी मुस्लिम
सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने गुवाहाटी में मीडिया से बातचीत के दौरान अतिक्रमण विरोधी अभियानों के संदर्भ में एक सवाल का जवाब देते हुए कहा था कि समाजिक संकट जैसे भूमि अतिक्रमण को हल किया जा सकता है यदि अप्रवासी मुस्लिम परिवार नियोजन का पालन करते हैं और अपनी आबादी को नियंत्रित रखते हैं.
उन्होंने कहा था कि अगर असम में जनसंख्या विस्फोट इसी तरह जारी रहा तो एक दिन प्रसिद्ध कामाख्या मंदिर की जमीन पर भी कब्जा कर लिया जाएगा. मेरे घर पर भी अतिक्रमण हो जाएगा.
बताते चलें कि असम में अतिक्रमण विरोधी अभियान जारी है, जो लोग विस्थापित हुए हैं, वे अप्रवासी मुस्लिम सुमदाय के हैं.
सीएम ने कहा था कि पिछले विधानसभा सत्र में ही जनसंख्या नीति लागू कर दी गई थी. इसके तहत अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय के साथ मिलकर काम किया जा रहा है जिससे जनसंख्या विस्फोट को कम किया जा सके. इससे गरीबी और अतिक्रमण जैसी सामाजिक बुराइयां बढ़ रही है.
अप्रवासी लोगों को धर्मस्थल और वनों की भूमि पर अतिक्रमण की अनुमति नहीं दी जा सकती. यह सब जनसंख्या विस्फोट के कारण है.
35 विधानसभा सीटों पर अप्रवासी मुस्लिम का असर
दरअसल, असम के मध्य और निचले हिस्से में बांग्लादेश से आए प्रवासी बंगाली-भाषी मुस्लिम रहते हैं. भाजपा ने विधानसभा चुनावों में राज्य के दौरान ऐसा माहौल तैयार करने की कोशिश कि असम के मूल समुदायों को इनसे बचाने की जरूरत है.
इसका एक बड़ा कारण यह भी है कि 3.12 करोड़ आबादी वाले असम राज्य में करीब 31 फीसद अप्रवासी मुस्लिम है. जिनके वोट यहां की 35 विधानसभा सीटों पर काफी महत्वपूर्ण माने जाते हैं. कुल 126 सीटों में से कुछ बड़ी सीटें भी शामिल हैं.