म्यांमार में 750 मौतें, यूएनओ ने फ्री स्पीच और लोकतंत्र की बहाली के लिए जनरल मिन आंग से क्या मांग की

द लीडर : म्यांमार में सैन्य तख्तापलट के बाद से हालात बेकाबू हैं. फरवरी से अब तक करीब 750 नागरिकों की मौत हो चुकी है. संयुक्त राष्ट्र संघ (UNO) की बॉडी मानवाधिकार विशेष प्रक्रिया ने म्यांमार के सीनियर जनरल मिन आंग हलेंग को पत्र लिखा है. इसमें 24 अप्रैल को इंडोनेशिया के जर्काता में हुई एशियान की बैठक का हवाला देते हुए कहा है मौलिक अधिकार और अभिव्यक्ति की आजादी जीवन-मरण का विषय है. वास्तव में जो लोग स्वतंत्र और बिना भय के अभिव्यक्ति के पक्षधर हैं. उन पर सैन्य कार्रवाईयां थमनी चाहिए. (750 Deaths Myanmar UNO Free Speech Democracy)

यूनाइटेड नेशंस के थॉमस एंड्रयू ने अपने पत्र में जनरल मिन आंग से कहा है कि म्यांमार में जो लोग लोकतंत्र की बहाली के लिए शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे हैं. अपने वायदे के मुताबिक आपको उनका सम्मान करना चाहिए. मैं ये अपेक्षा करता हूं कि म्यांमार के नागरिकों के मौलिक अधिकार का ख्याल रखा जाएगा. और वे निसंकोच रूप से अपनी बात रख सकेंगे. बिना किसी हिंसा, डर और गलत कार्रवाईयों के. एशियान बैठक में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो और मलेशिया के प्रधानमंत्री मुहीउद्दीन यासीन द्वारा उठाई गई राजनीतिक बंदियों को रिहा किए जाने की मांग भी याद दिलाई है.

इसके साथ ही एशियान समूह के एक दल को म्यांमार में दौरा करने की अनुमति दिए जाने की मांग उठाई है. म्यांमार की निर्वाचित सरकार का सेना ने तख्तापलट कर दिया था. उसके बाद से वहां लोकतंत्र की बहाली को लेकर लगातार विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. जिस पर सेना की सशस्त्र कार्रवाईयों में आम नागरिकों के मारे जाने का सिलसिला जारी है.


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सेना ने म्यांमार के उच्च नेताओं को हिरासत में ले रखा है. आम जनता लोकतंत्र की बहाली को लेकर संघर्षरत है. म्यांमार के ऐसे हालात पर दुनिया भर की नजर है. यूएनओ लगातार शांति व्यवस्था बनाए जाने की अपील करता आ रहा है. लेकिन सेना पर इसका कोई खास असर दिखाई नहीं पड़ रहा है.

ये हालात तब हैं, जब पूरी दुनिया कोविड की दूसरी लहर से जूझ रही है. पूरे विश्व में मौतों का सिलसिला बना है. इस स्थिति में म्यांमार में राजनीतिक संकट बना है.

Ateeq Khan

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