अजमेर शरीफ में ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती का 810वां उर्स, पीएम मोदी ने चढ़ाई जाने वाली चादर की भेंट

0
523

द लीडर | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी को चादर भेंट की, जिसे ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के 810वें उर्स पर अजमेर शरीफ दरगाह पर चढ़ाया जाएगा। इस बात की जानकारी पीएम मोदी ने ट्वीट के माध्यम से दी। उन्होंने चादर के साथ तस्वीर शेयर करते हुए लिखा , ‘ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के उर्स पर अजमेर शरीफ दरगाह पर चढ़ाए जाने वाली चादर भेंट की।

इस तस्वीर में पीएम मोदी के साथ केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी भी नजर आ रहे हैं। पीएम मोदी नकवी को चादर सौंपते नजर आ रहे हैं। बता दें कि पीएम मोदी ने पिछले साल भी अजमेर शरीफ दरगाह पर चढ़ाने के लिए चादर भिजवाई थी। तब भी मुख्तार अब्बास नकवी ही चादर लेकर चढ़ाने के लिए अजमेर गए थे।


यह भी पढ़े –समाजवादी पार्टी ने CM योगी के खिलाफ चुनाव आयोग को शिकायती पत्र लिखा, भड़काऊ भाषण देने का आरोप


राहुल गांधी ने मंगलवार को भेजी चादर

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने अजमेर शरीफ़ दरगाह के 810वें उर्स के लिये मंगलवार को चादर भेजी थी। पार्टी के अल्पसंख्यक विभाग के अध्यक्ष इमरान प्रतापगढ़ी ने यह जानकारी दी थी। उन्होंने बताया, “अजमेर शरीफ़ दरगाह के 810वें उर्स के लिये राहुल गांधी जी ने अक़ीदतों भरी चादर रवाना की।”

खोला गया जन्नती दरवाजा

मशहूर सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की अजमेर दरगाह पर 810वें सालाना उर्स के मौके पर बुधवार को जायरीनों के लिए जन्नती दरवाजा खोल दिया गया है। काफी संख्या में भक्त दरवाजे से होते हुए ख्वाजा की दरगाह पर जियारत के लिए पहुंचे। यह दरवाजा साल में सिर्फ 6 दिनों के लिए खुलता है। इसका काफी महत्व बताया गया है और इसी वजह से यहां आने वाले लोगों की इसमें गहरी आस्था है। चांद रात पर खोला गया यह दरवाजा अब रजब माह का चांद दिखाई पड़ने तक खुला रहेगा और उर्स की धार्मिक रस्में शुरू की जाएंगी। अगर चांद नजर नहीं आया तो एक ही रात आस्ताने के साथ जन्नती दरवाजा बंद कर दिया जाएगा और गुरुवार सुबह फिर खोलने की धार्मिक परंपरा निभाई जाएगी।

ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती

ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती, जिन्हें ख्वाजा गरीब नवाज के नाम से भी जाना जाता है, चिश्ती संप्रदाय के एक प्रिय सूफी संत थे। उन्हें पैगंबर मुहम्मद के प्रत्यक्ष वंशज के रूप में जाना जाता है। सिस्तान (वर्तमान पूर्वी ईरान और दक्षिणी अफगानिस्तान) में जन्मे, उन्होंने सिस्तान से लाहौर तक दिल्ली तक यात्रा की, और अंत में अजमेर, राजस्थान में बस गए।

अजमेर में उनका मकबरा, अजमेर शरीफ दरगाह, दुनिया के सबसे पवित्र इस्लामी स्थलों में से एक है। दुनिया भर से मुसलमान हर साल दरगाह शरीफ में नमाज अदा करने आते हैं। न केवल मुसलमान, बल्कि विभिन्न धर्मों के लोग भी साल भर इस पवित्र स्थान पर आते हैं। सूफी संत की पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में, उर्स त्योहार हर साल पवित्र शहर अजमेर में इस्लामिक कैलेंडर के सातवें महीने रजब के पहले छह दिनों के दौरान मनाया जाता है।

ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती को 13वीं शताब्दी की शुरुआत में भारत में सूफी रहस्यवाद के चिश्ती आदेश की स्थापना के लिए भी जाना जाता है। वे पहले संत थे जिन्होंने प्रार्थना में संगीत और स्तोत्र के प्रयोग को शामिल किया। ऐसा माना जाता है कि पैगंबर मुहम्मद एक बार ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के सपने में प्रकट हुए और संत को भारत में अपना प्रतिनिधि बनने के लिए कहा।

(आप हमें फ़ेसबुकट्विटरइंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं)

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here