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द लीडर विदेश डेस्क।
अंतरिक्ष में चल रही मनुष्य की जद्दोजहद के लिहाज से रविवार 2 मई एक ऐतिहासिक दिन साबित हुआ। नासा के चार वैज्ञानिक अंतरिक्ष यात्रियों की टीम 167 दिन अंतरिक्ष में घूमने के बाद अपने रेसिलैन्स नाम के कैप्सूल में बैठ कर स्पेसएक्स रॉकेट से धरती पर पहुंचे।
अंतरिक्ष में रहने का ये रिकॉर्ड है। यह कैप्सूल फ्लोरिडा से दूर मैक्सिको की खाड़ी में उतरा। स्थानीय समय के हिसाब से रात 2 बजकर 56 मिनट पर हुई यह 50 साल बाद अंधेरे में हुई दूसरी सफल लैंडिंग है। इससे पहले 1968 में नील आर्मस्ट्रांग और उनकी टीम को लेकर अपोलो यान भी रात में ही समुद्र पर उतरा था।
नासा की इस टीम में तीन अमेरिकन थे- माइक हाप्किंस, विक्टर ग्लोवर और शैनोन वाकर। चौथे यात्री ठगे जापान के सोइची नोगुची। ये उसी कैप्सूल से धरती पर आए, जिससे पिछले साल नवंबर में वे अंतरिक्ष केंद्र पहुंचे थे। स्पेसएक्स के उतरने के मद्देनजर तटरक्षक बल ने सुरक्षा का व्यापक इंतजाम किया था। समुद्र में कई सेफ्टी बोट्स तैनात थी। चारों को पहले समुद्र के बीच से एक हेलीकाप्टर से किनारे लाया गया। फिर वे नासा के केन्द्र तक लाये गए । नासा ने बताया कि इन चारों ने अंतरिक्ष में कुल 11.46 करोड़ किलोमीटर की यात्रा की। अंतरिक्ष केंद्र से धरती तक पहुंचने में उन्हें साढ़े 6 घंटे लगे। उनसे पहले नासा के स्कायलैब क्रू ने 1974 में 84 दिन तक अंतरिक्ष में रहने का रिकॉर्ड बनाया था।
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कैप्सूल से सबसे पहले बाहर आये इस मिसन के कमांडर माइक हापकिंस बाहर आये। बाद में विक्टर ग्लोवर ने अपनी खुशी जताते हुए कहा मिलकर हम कुछ भी कर सकते हैं।
खास बात ये है कि जो रॉकेट से आये उसे अरबपति कार निर्माता इयोन मस्क की कंपनी ने बनाया है जो नासा की ट्रांसपोर्ट सहयोगी है। यह कंपनी चांद और मंगल में इंसान को भेजने की मिसन पर काम कर रही है।