जर्मनी की एक अदालत ने पांच साल की यज़ीदी बच्ची को प्यासा रखकर मारने की कोशिश करने वाली महिला को ‘गुलामी के रूप में मानवता के खिलाफ अपराध’ का दोषी पाया है। दोषी जर्मन महिला को देश की अदालत ने 10 साल जेल की सजा सुनाई है। (Woman Trying Kill Yazidi)
बच्ची के साथ बेरहमी करने वाली 30 वर्षीय जेनिफर वेनिश को इस्लामिक स्टेट (आईएस) आतंकवादी संगठन में शामिल होने का भी दोषी पाया गया।
वेनिश कथित तौर पर 2014 में आतंकवादी समूह में शामिल हुई और उसने अपने आईएस से जुड़े पति के साथ मिलकर यज़ीदी लड़की को गुलाम बतौर रख लिया था।
म्यूनिख कोर्ट ने पाया कि लड़की को चिलचिलाती धूप में खुले आंगन में जंजीर से बांधा गया। अदालत ने वेनिश पर अन्य आरोपों के साथ हत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाया।
संघीय अभियोजक क्लाउडिया गोर्फ ने मामले को बच्चे की मां द्वारा सामने लाए जाने के बाद कोर्ट में सबूत पेश किए।
इस्लामिक स्टेट ने कथित तौर पर यज़ीदी समुदाय के खिलाफ बड़े पैमाने पर अत्याचार किए हैं, जिसमें इराक से हजारों लोगों को गुलाम बनाना और अवैध रूप से ह्यूमन ट्रैफिकिंग शामिल है।
वेनिश को कथित तौर पर आईएस के कब्जे वाले फालुजा और मोसुल में घूमने के दौरान तुर्की में गिरफ्तार किया गया था और 2018 में जर्मनी प्रत्यर्पित किया गया था। (Woman Trying Kill Yazidi)
कौन हैं यजीदी
यज़ीदी, अज़ीदी, ज़ेदी, इज़ादी, ओज़ीदी या याज़दानी नाम से जाने वाले कुर्द धार्मिक अल्पसंख्यक हैं, जो मुख्य रूप से उत्तरी इराक, दक्षिणपूर्वी तुर्की, उत्तरी सीरिया, काकेशस क्षेत्र और ईरान के कुछ हिस्सों में पाए जाते हैं। यज़ीदी धर्म में प्राचीन ईरानी धर्मों के साथ-साथ यहूदी धर्म, नेस्टोरियन ईसाई धर्म और इस्लाम के तत्व भी शामिल हैं। हालांकि बिखरे हुए हैं और इनकी जनसंख्या दो लाख से दस लाख तक आंकी जाती है।
यज़ीदी समुदाय के पास एक सुव्यवस्थित समाज है, जिसमें शेख सर्वोच्च धार्मिक प्रमुख, एक अमीर या राजकुमार होते हैं।
यज़ीदी नाम की उत्पत्ति अनिश्चित है; कुछ विद्वानों का कहना है कि यह पुरानी ईरानी यज़ता (दिव्य प्राणी) मान्यता से जुड़ा है, जबकि अन्य का मानना है कि यह उमय्यद ख़लीफ़ा यज़ीद प्रथम के नाम से निकला है।
13वीं और 14वीं शताब्दी में यज़ीदों का भौगोलिक प्रसार और राजनीतिक शक्ति बढ़ती रही, उनकी आस्थाएं इस्लामी मानदंडों से दूर विकसित होती रही। 15वीं शताब्दी के आसपास के मुस्लिम शासकों ने उन्हें काफिर और राजनीतिक सत्ता के प्रतिद्वंद्वी के रूप में देखना शुरू कर दिया और संघर्ष शुरू हो गया।
जैसे-जैसे यज़ीदियों की ताकत कम होती गई, उनकी संख्या नरसंहारों और धर्मांतरणों से कम हो गई। 19वीं सदी के अंत और 20वीं सदी की शुरुआत में उत्पीड़न से बचने के लिए बड़ी संख्या में वे काकेशस भाग गए। तुर्की से ज्यादातर यज़ीदी समुदाय 20वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में जर्मनी पलायन कर गया। (Woman Trying Kill Yazidi)
यज़ीदी पौराणिक कथाओं का कहना है कि वे मानव जाति के बाकी हिस्सों से बिल्कुल अलग बनाए गए थे, आदम के वंशज थे, लेकिन हव्वा से नहीं, और इस तरह वे खुद को उन लोगों से अलग रखना चाहते हैं जिनके बीच वे रहते हैं। समुदाय के बाहर विवाह वर्जित है।
यज़ीदी संप्रदाय मानता है कि एक सर्वोच्च निर्माता भगवान ने दुनिया को बनाया और फिर इसके साथ अपनी भागीदारी को समाप्त कर दिया, इसे सात दिव्य प्राणियों के नियंत्रण में छोड़ दिया। मुख्य दिव्य प्राणी मलक ताऊस (“मयूर देवदूत”) हैं, जिनकी पूजा मोर के रूप में की जाती है।
मलक ताऊस की आकृति को अक्सर गैर यजीदी शैतान की आकृति के रूप में पहचानते हैं। जिसकी वजह से यजीदियों को शैतान के उपासक के तौर पर वर्णित किया जाता है। यज़ीदी पूजा में कांस्य या लोहे के मोर के पुतलों अहम भूमिका होती है, जिन्हें संजाक कहा जाता है, जो एक शहर से दूसरे शहर में ले जाए जाते हैं। यजीदी परंपरा के अनुसार, मूल रूप से सात संजाक थे, ऐसा माना जाता है कि कम से कम दो अभी भी मौजूद हैं।
यज़ीदी पौराणिक कथाओं में स्वर्ग और नरक भी शामिल हैं। दैवीय नियमों का टूटना आत्मा की अशुद्धि माना जाता है। यज़ीदी आस्था धार्मिक शुद्धता पर आधारित है, इसलिए यज़ीदी रोजमर्रा की जिंदगी में भी बहुत से धार्मिक नियमों का पालन करते हैं। कई तरह के खाने की चीजें, पहनने के कपड़े और रंग तक वर्जित हैं, जैसे नीले कपड़े नहीं पहनते। शैतान शब्द का उच्चारण नहीं किया जाता है, यहां तक कि इस शब्द की आवाज से मिलते जुलते शब्द बोलने से भी बचा जाता है। समुदाय के अलावा बाहरी लोगों के साथ संपर्क को हतोत्साहित किया जाता है, इसी वजह से यज़ीदी समुदाय ने अतीत में सैन्य सेवा और औपचारिक शिक्षा से बचने की मांग की है। (Woman Trying Kill Yazidi)
यज़ीदी धार्मिक केंद्र और वार्षिक तीर्थयात्रा का केंद्र इराक के लालिश शहर में शेख अदी का मकबरा है। किताब अल-जिलवाह (“रहस्योद्घाटन की पुस्तक”) और मफराश (“ब्लैक बुक”) यज़ीदियों के पवित्र ग्रंथ हैं।
Source: Britannica and Agencies