बरेली के बाज़ार में गिरेगा अहंकार, या असर करेगा शहज़ादों पर प्रहार

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द लीडर हिंदी: रुहेलखंड की राजधानी बरेली में भारतीय जनता पार्टी के मज़बूत गढ़ में चुनाव के दौरान तीख़े शब्दों की गूंज है. जैसे-जैसे मतदान का वक़्त नज़दीक आ रहा है. भाजपा और इंडिया गठबंधन के बीच इल्ज़ामात का सिलसिला तेज़ी पकड़ता जा रहा है. पीएम मोदी से लेकर गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, सीएम योगी और भाजपा की सेकेंड लाइन में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, ब्रजेश पाठक के कार्यक्रम हो चुके हैं. इनके जवाब में इंडिया गठबंधन की तरफ से समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव अकेले मोर्चा संभाले हैं. भाजपा नेताओं की तरफ से राहुल गांधी और अखिलेश यादव को शहज़ादा कहकर पुकारा जा रहा है.

दंगों से लेकर पाकिस्तान का नाम भी गूंज रहा है. कांग्रेस के मेनिफेस्टो पर प्रहार हो रहे हैं तो सपा के परिवारवाद पर कटाक्ष. यूपी के चुनिंदा शहरों में एक बरेली भी है, जहां पीएम मोदी रोड शो करके गए हैं. चर्चा है कि प्रचार थमने से पहले वो एक बार फिर आ सकते हैं. भाजपा के लिए यहां का चुनाव बेहद अहम है. मंडल की पांचों सीटें बरेली, आंवला, बदायूं, पीलीभीत, शाहजहांपुर बचाने की चुनौती है.

दूसरी तरफ इंडिया गठबंधन सत्तापक्ष के विजयरथ को रोक देना चाहता है. चुनाव में अप्रत्याशित रूप से कांग्रेस फ्रंट पर नहीं है. राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और न ही कांग्रेस की तरफ से दूसरे किसी बड़े नेता मंडल का रुख़ किया है. अखिलेश यादव सभी जगह एक-एक चक्कर लगा गए हैं. भाजपा नेताओं के पास कांग्रेस के ख़िलाफ़ बोलने के लिए बहुत कुछ है और वे बोल भी रहे हैं. ऐसे में समाजवादी पार्टी के पीछे खड़ा हो जाना कांग्रेस की रणनीति का हिस्सा है या इस बेल्ट में चुनावी एतबार से मज़बूत नहीं होना.

अखिलेश यादव जिस तरह बहुत ही नापतौल कर बोल रहे हैं, उससे साफ लग रहा है कि सत्तापक्ष को उसके गढ़ में घेरने की प्लानिंग अच्छे से की गई है. वो करंट इश्यू उठा रहे हैं. पेपर लीक के साथ अब कोरोना वैक्सीन पर भी चोट कर रहे हैं. जिस तरह से पीएम मोदी जनसभाओं में जनता को जोड़ते हैं, इस तरह कि पिछड़ों से आरक्षण छीनने में लगी कांग्रेस को सबक़ सिखाएंगे कि नहीं सिखाएंगे, वैसे ही अखिलेश कह रहे हैं बताओ पेपर लीक हुए कि नहीं हुए, कोरोना वैक्सीन से सेहत को ख़तरा है कि नहीं है.

बरेली के बाज़ार में इनका अहंकार गिराओगे कि नहीं गिराओगे. चुभने वाले शब्दों पर तालियां दोनों खेमों की रैलियों में ख़ूब बज रही हैं और भीड़ भी पहुंच रही है. अब 7 मई को होने वाले मतदान में जनता वोट करके चोट पहुंचाएगी या आशीर्वाद देगी. इसका नतीजा 4 जून को सामने आएगा.

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