द लीडर : भारत में विदेश से पढ़ाई का एक अलग ही रुतबा माना जाता है. हर साल क़रीब 2 लाख स्टूडेंट्स, विदेश पढ़ने जाते हैं. अमेरिका पहली पसंद है, तो ब्रिटेन दूसरी च्वाइस. यूरोप की चमक-दमक भी भारतीय छात्रों को खूब आकर्षित करती है. जर्मनी, फ्रांस, रूस और यूक्रेन. हर साल हज़ारों भारतीय छात्र इन देशों का रुख करते हैं. लेकिन आज के इस शो में बात करेंगे-यूक्रेन की. इसलिए क्योंकि, यूक्रेन में जंग के हालात हैं. और भारत के छात्र वहां फंसे हुए हैं. हर कोई उनकी खैर-ख़बर और सलामती को लेकर फिक्रमंद है. (Indian Students In Ukraine)
यूक्रेन में भारत के कोई 20 हज़ार छात्र पढ़ाई कर रहे हैं. ज़्यादातर मेडिकल स्टूडेंट्स हैं, जो एमबीबीएस कर रहे हैं. यूक्रेन में विदेशी छात्रों की संख्या पर नज़र डालने के दौरान एक दिलचस्प तथ्य मिलता है. वो ये कि, यूक्रेन में जो कुल 63,000 विदेशी छात्र पढ़ाई कर रहे हैं. उनमें सबसे ज़्यादा हिंदुस्तानी स्टूडेंट्स हैं. या ऐसे कहें कि यूक्रेन से पढ़ाई करने वालों में भारत टॉप पर है.
वैसे भारत की तुलना में यूक्रेन की एजुकेशन कोई बहुत अच्छी नहीं है. भारत के जैसे ही वहां की शिक्षा व्यवस्था में भी भ्रष्टाचार का मकड़जाल है. और ये हमारे यहां की प्राइमरी से लेकर हायर एजुकेशन की तरह ही, वहां भी बहुत गहरे तक है. लेकिन एक सुकून की बात ये है कि यूक्रेन की मेडिकल एजुकेशन भारत की प्राइवेट एजुकेशन की तुलना में काफी सस्ती है. (Indian Students In Ukraine)
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भारत के गर्वंमेंट मेडिकल कॉलेजों की एजुकेशन क्वालिटी और फीस से तो यूक्रेन की कोई तुलना नहीं है. लेकिन प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों के खर्च में बड़ा र्फ़क है. हमारे यहां प्राइवेट मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस का खर्चा जहां एक करोड़ से लेकर सवा करोड़ तक है. तो यूक्रेन में 6 साल की मेडिकल की पढ़ाई का खर्चा 25 से 35 लाख रुपये के बीच आता है.
यही सबसे बड़ी वजह है जो भारत के मिडिल क्लास परिवारों के छात्रों को यूक्रेन ले जाती है. क्योंकि भारत से एक तिहाई खर्च पर वह मेडिकल की पढ़ाई पूरी कर लेते हैं. चूंकि यूक्रेन यूरोपियन कंट्री है, तो यहां की डिग्री पूरे यूरोप में वैलिड है. और इसके आधार पर छात्र चाहें तो वहां नौकरी या प्रैक्टिस कर सकते हैं. हां, भारत आने पर उन्हें मेडिकल काउंसिल के एक टेस्ट और इंटर्नशिप से ज़रूर गुजरना पड़ता है.
यूक्रेन से मेडिकल स्टडी के लिए किसी एक्ट्रा क्लालिफिकेशन या एंट्रेंस एग्जाम की भी ज़रूरत नहीं है. बस, साइंस बैकग्राउंड और नीट क्वालिफाई होने की शर्त है. छात्र की उम्र कम से कम 17 साल होनी चाहिए. और इंटरमीडिएट में न्यूनतम 50 प्रतिशत नंबर. (Indian Students In Ukraine)
सोवियन यूनियन का हिस्सा रहा यूक्रेन आबादी के लिहाज से छोटा मुल्क है. कुल जमा पॉपुलेशन 4.41 करोड़ है. रूस, बेलारूस, रोमानिया, मोलडोवा, हंगरी और स्लोवाकिया मुल्यक से इसकी सीमाएं सटी हैं. अपनी खूबसूरती और मौसम के लिहाज से तो वैसे भी यूरोप की सैर हर किसी का ख्व़ाब ही होती है. तो एक वजह ये भी है कि यहां कम खर्च में पढ़ाई और यूरोप की ज़िंदगी जीने का मौका, दोनों मिलते हैं.
लेकिन, यूक्रेन हमेशा से थोड़ा रिस्की भी रहा है. 1991 में सोवियत यूनियन से अलग होकर स्वतंत्र देश बना यूक्रेन रूस की आंखों में खटकता रहा. पिछले 30 सालों में यहां राजनीतिक अस्थिरता रही है. शायद यही कारण है कि 2013-14 में ये देश गुलाबी क्रांति भी गवाह बना चुका है. ताजा हालात सामने हैं. रूस, यूक्रेन पर हमलावर है. यहां जान बचाने को भगदड़ मची है. तो विदेशी छात्र भी बंकर, सरहदों के किनारे पनाह लिए हुए हैं. अपने देश लौटने को छटपटा रहे हैं. (Indian Students In Ukraine)
भारत के हज़ारों छात्र रोमानिया के बॉर्डर पर हैं. कड़ाके की ठंड है. पारा, माइन्स 14 डिग्री सेल्सियस लुढ़का है. छात्रों के पास ये सब बर्दाश्त करने के सिवाय कोई दूसरा ऑप्शन नहीं है. इधर भारत की एयर इंडिया क़रीब 250 छात्रों को इंडिया ले आई है. जिस पर सरकारी जश्न की तस्वीरें भी सामने ाआ चुकी हैं. लेकिन 20 हज़ारों में से निकाले गए छात्रों की ये संख्या बेहद कम है. और फौरीतौर पर ठोस राहत-बचाव कार्य की ज़रूरत नज़र आती है. बॉर्डर पर फंसे हर छात्र की भारत सरकार से यही अपील है. (Indian Students In Ukraine)