द लीडर : कृषि कानूनों के खिलाफ जारी ‘किसान आंदोलन’ का बड़ा चेहरा बनकर उभरे राकेश टिकैत बुधवार को अचानक रामपुर पहुंच गए. टोल प्लाजा पर आंदोलनरत किसानों का हौसला बढ़ाया. इस आह्वान के साथ कि विरोध जारी रखें. कृषि कानून वापस न हानेे तक आंदोलन चालू रहेगा. (Farmer Leader Rakesh Tikait Rampur MP Azam Khan)
पत्रकारों से बातचीत में टिकैत ने कहा कि आंदोलन को और धारधार बनाया जाएगा. आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर गांव-कस्बों में सभाएं होंगी. संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य इसमें शामिल होंगे. टिकैत ने गन्ने का बकाया भुगतान और गेहूं खरीद में बिचौलियों के हावी होने को लेकर सरकार पर निशाना साधा.
उन्होंने दोहराया कि नए कृषि कानून जनहित में नहीं हैं. इन्हीं कानूनों का सहारा लेकर उद्याेगपति बनाज का भंडार करेंगे. फिर उसे मनमाने दामों पर आमजन को बेचेंगे. इससे गरीब और मध्यम वर्ग के सामने खाने-पीने का संकट पैदा हो जाएगा.
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जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव को लेकर आशंका जताई कि इसमें भाजपा प्रत्यााशी को जिताने का षड्यंत्र भी रचा जा सकता है. इसलिए सचेत रहना जरूरी है.
अचानक रामपुर पहुंचे टिकैत सबसे बिलासपुर क्षेत्र गुरुद्वारा के ग्रंथी गुरदीप सिंह के दसवें में पहुंचे. गुरुद्वारा पर शीष झुकाया. इसके बाद वह रामपुर स्थित भारतीय किसान यूनियन के कार्यालय पहुंचे. जिलाध्यक्ष हबीब अहमद भी थे. टिकैत ने सांसद आजम खान की तबीयत और उनके परिवार के बारे में जानकारी ली. प्रशासन को ये खबर लगी तो फौरन पुलिस सुरक्षा के लिहाज से भाकियू कार्यालय पर पहुंच गई.
केंद्र सरकार के 3 कृषि कानूनों के खिलाफ बीते 6 महीने से किसान आंदोलन चल रहा है. दिल्ली सीमाओं पर हजारों किसान डेरा डाले हैं. सर्द रातों की बेचैन करने वाली ठंड के बाद अब किसान बरसात में भी अपनी लड़ाई जारी रखने को अडिग हैं.
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दूसरी ओर से किसान नेता विभिन्न राज्य और शहरों में पहुंचकर या स्थानीय किसान नेताओं से संपर्क करके आंदोलन को व्यापक स्तर पर ले जाने की कोशिशों में जुटे हैं.