मुग़लिया सल्तनत के शहज़ादे याकूब हबीबुद्दीन तुसी ने मौलाना तौक़ीर रज़ा ख़ान को क्यों भेजा ख़त

THE LEADER. ख़ुद को आख़िरी मुग़ल बादशाह बहादुर शाह ज़फ़र का वंशज बताने वाले प्रिंस याकूब हबीबुद्दीन तुसी (Prince Habeebuddin Tucy) ने बड़ा एलान किया है. वो फ़रवरी माह में नई दिल्ली में विश्व सूफ़ी कांफ्रेंस करेंगे. उसकी तैयारियों का उन्होंने आग़ाज़ कर दिया है. इस कांफ्रेंस का मक़सद सियासत में मुसलमानों के घटते महत्व को फिर से बढ़ाना है. उन्हें अलग-थलग किए जाने से रोकना है. फिर से सियासी ताक़त बनने के लिए मुसलमानों के सभी फ़िरक़ों, मसलकों को इकट्ठा होना बेहद ज़रूरी है. वो इसी ग़रज़ से कांफ्रेंस कर रहे हैं.

ज़ाहिर सी बात है कि जब विश्व सूफ़ी कांफ्रेंस का नाम दिया है तो इसमें दुनियाभर की नामवर मुस्लिम हस्तियों को बुला रहे हैं. 25 फ़रवरी को होने वाली इस कांफ्रेंस का दावतनामा आल इंडिया इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल IMC के अध्यक्ष नबीर-ए-आला हज़रत मौलाना तौक़ीर रज़ा ख़ान को भी भेजा गया है. मौलाना कांफ्रेंस में जाएंगे या नहीं, उन्होंंने अभी तय नहीं किया है. IMC के मीडिया प्रभारी मुनीर इदरीसी ने दावतनामा आने की पुष्टि की है.

ख़ुद को मुग़लिया सल्तनत का वंशज बताने वाले जिन प्रिंस याकूब हबीबुद्दीन तुसी ने मौलाना को अपने कार्यक्रम में बुलाया है, वो बाबरी मस्जिद जहां कि अब राममंदिर का निर्माण हो चुका है और 22 जनवरी को वहां प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम रखा गया है. उस ज़मीन पर भी वो दावा जता चुके हैं, जिसे माना नहीं गया था. उनका कहना था कि पहले मुग़ल बादशाह बाबर ने 1529 में बाबरी मस्जिद बनाई थी और वह उनके वंशज हैं इसलिए ज़मीन उन्‍हें सौंप दी जानी चाहिए. वे ही जमीन के असली हकदार हैं. उन्होंने इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाख़िल करके अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद केस का पक्षकार बनाने की मांग भी की थी. लेकिन उनकी इस याचिका को कोर्ट ने स्वीकार नहीं किया. अब वो अपनी विश्व सूफ़ी कांफ्रेंस को लेकर चर्चा में हैं.

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