प्रधानमंत्री मोदी ने क्यों कहा कि भारत के राष्ट्रवाद पर चौतरफा हमलों से देशवासियों को आगाह करना जरूरी

द लीडर : ‘हमारा लोकतंत्र (Democracy) वेस्टर्न इंस्टीट्यूशन नहीं है. यह मानव संस्थान है. भारत का इतिहास लोकतांत्रिक संस्थानों के उदहारणों से भरा है. प्राचीन भारत में 81 गणतंत्रों का जिक्र मिलता है. आज देशवासियों को भारत के राष्ट्रवाद पर चौतरफा हो रहे हमलों से आगह करना जरूरी है. भारत का राष्ट्रवाद न तो संकीर्ण है, न स्वार्थी और नही आक्रामक है. ये सत्यम, शिवम, सुंदरम के मूल्यों से प्रेरित है.’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को संसद में अपने संबोधन में ये बातें कहीं. (Modi Countrymen Attacks India’s Nationalism)

किसान आंदोलन : किसान दिल्ली में प्रवेश न कर पाएं, इसको लेकर सिंघु बॉर्डर पर सरकार की तैयारी का दृश्य

दरअसल, पिछले दिनों दुनिया के दुनिया बड़े लोकतांत्रिक देशों में दो बड़ी घटनाएं घटीं. पहली अमेरिका के कैपिटल हिल्स में, जहां तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप समर्थकों ने धावा बोल दिया था. इसमें चार लोग मारे गए थे. इस घटना ने सबसे ताकतवर लोकतंत्र का एक दूसरा चेहरा उजागर किया था. जिस पर पूरे विश्व ने दुख जताया.


देश में एक नई जमात पैदा हुई जो आंदोलन के बिना जी नहीं सकती : प्रधानमंत्री


 

दूसरी घटना 26 जनवरी को दिल्ली में घटी. हालांकि इसकी तुलना अमेरिका की घटना से करना उचित नहीं होगा. फिर भी भारत में अब तक की ये सबसे शर्मनाक घटनाओं में शुमार की जा रही है. किसानों की ट्रैक्टर परेड में शामिल एक भीड़ ने लाल किले पर धावा बोलकर वहां धार्मिक झंडे लगा दिए. कुछ जगहों पर हिंसा भी हुई, जिसमें सैकड़ों लोगों को चोटें आईं.

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चूंकि वर्तमान में किसान आंदोलन चल रहा है. दिल्ली की सीमाओं पर पिछले 73 दिनों से हजारों किसान धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं. गाजीपुर, सिंघु और टीकरी बॉर्डर से किसान दिल्ली में न घुस पाएं. उन्हों रोकने के लिए सरकार ने जबरदस्त बैरिकेडिंग कर रखी है.

दिल्ली बॉर्डर पर सरकार द्वारा की गई तैयारी. फोटो, साभार-राहुल गांधी ट्वीटर

रास्ते में कीले गाड़ दिए. सरहदों पर लगाए जाने वाले तार लगवाकर सशस्त्र बल तैनात कर दिया. और इंटरनेट सेवाएं बंद कर दीं थीं. एक लोकतांत्रिक देश में आंदोलन से निपटने की सरकार की इन तैयारियों ने पूरी दुनिया का ध्यान, भारत की ओर खींचा.

अमेरिका की उप-राष्ट्रपति कमला हैरिस की भांजी मीना हैरिस, पॉप सिंगर रिहाना, मशहूर पर्यावरण कार्याकर्ता ग्रेटाथुनबर्ग समेत कई लोगों ने किसान आंदोलन का समर्थन किया. इस बीच संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार संघ ने भी किसानों के शांतिपूर्ण आंदोलन के अधिकार हिमायत की.

इससे पहले भी वैश्विक मीडिया में भारत के लोकतांत्रिक भविष्य को लेकर लगातार सवाल उठाए जाते रहे हैं. राष्ट्रवाद पर चौतरफा हो रहे हमलों के प्रधानमंत्री के बयान को इसी संदर्भ में देखा जा रहा है.

Ateeq Khan

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