द लीडर हिंदी, नई दिल्ली। पेगासस स्पाईवेयर Pegasus spyware एक बार फिर से चर्चा में है, इसे भारतीयों की जासूसी के लिए जिम्मेदार बताया जा रहा है। इसे इजराइली स्पाईवेयर बनाने वाले NSO ग्रुप ने बनाया है।
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Pegasus स्पाईवेयर पर करीब 20 देश के पत्रकारों, एक्टिविस्ट, कानून के जानकरों और सरकारी अधिकारियों की जासूसी का आरोप है। इस लिस्ट में भारत भी शामिल है।
क्या है Pegasus स्पाईवेयर ?
यूनिवर्सिटी ऑफ टोरंटो की Citizen लैब की रिपोर्ट के मुताबिक, Pegasus स्पाईवेयर WhatsApp हैकिंग के लिए भी जिम्मेदार है। Pegasus स्पाईवेयर को Q Suite और Trident से भी जाना जाता है। यह एंड्राइड के साथ iOS डिवाइस पर हमले के लिए जिम्मेदार है। Pegasus एक वर्सेटाइल स्पाईवेयर है। इसे टारगेटेड डिवाइस पर हमलों के लिए बनाया गया है।
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Pegasus स्पाईवेयर को अननोन वेबसाइट लिंक की मदद से फोन में भेजा जाता है। इस पर क्लिक करते ही स्पाईवेयर फोन में इंस्टॉल हो जाता है। साथ ही इसे WhatsApp कॉल और मिस्ड कॉल के जरिए भी इंस्टॉल किया जा सकता है।
Pegasus स्पाईवेयर फोन के पासवर्ड, कॉन्टैक्ट, टेक्स्ट मैसेज, कैलेंडर डिटेल की चोरी के लिए जिम्मेदार है। साथ ही वॉयस कॉल और मैसेज को भी ट्रैक कर सकता है। इसके अलावा स्मार्टफोन के कैमरे, जीपीएस और माइक्रोफोन को कंट्रोल करने में सक्षम है।
इन लोगों की हुई जासूसी
वॉशिंगटन पोस्ट की खबर के मुताबिक इजराइली कंपनी के स्पाईवेयर से दुनियाभर के करीब 37 पत्रकारों, सरकारी अधिकारियों, मानवाधिकार कार्यकर्ता के फोन की जासूसी की गई है। इसका खुलासा 17 मीडिया आर्गेनाइजेशन के जांच रिपोर्ट से हुआ है।
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रिपोर्ट्स से खुलासा हुआ है कि, करीब 50 देशों के 1,000 लोगों को जासूसी की गई है। इमसें अरब फैमिली के कई रॉयल फैमिली मेंबर्स शामिल हैं। साथ ही 65 बिजनेस एक्जीक्यूटिव, 85 ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट, 189 पत्रकार और 600 से ज्यादा सरकारी अधिकारी शामिल हैं। इसमें कई राज्यों के मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री शामिल हैं।
खशोगी की महिला मित्र की जासूसी
ऐसा आरोप है कि, NSO ग्रुप ने pegasus स्पाईवेयर का इस्तेमाल जमाल खशोगी (jamal Khashoggi) की दो करीबी महिलाओं की जासूसी की थी। jamal Khashoggi साल 2018 में तुर्की के सऊदी कॉन्सुलेट में हत्या हो गई थी। खशोगी अमेरिकी अखबार के कॉलमनिस्ट थे।
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NSO ग्रुप ने किया आरोपों का खंडन
वहीं NSO ग्रुप ने व्हाट्सऐप के इन आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि ये आरोप निराधार हैं और वो पूरी मजबूती से कानूनी लड़ाई लड़ेगी।
कंपनी ने कहा कि, हमारी तकनीक पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के खिलाफ इस्तेमाल करने के लिए डिजाइन नहीं की गई है। NSO ग्रुप ने कहा कि, वह केवल सरकारी एजेंसियों को पेगासस बेचती है। वहीं इस पर भारत सरकार की तरफ से अभी तक कोई बयान नहीं आया है।
कैसे काम करता है पैगासस स्पाईवेयर?
किसी टारगेट को मॉनिटर करने के लिए पेगासस ऑपरेटर उसके पास एक लिंक भेजता है। इस लिंक पर क्लिक होते ही यूजर के फोन में पेगासस स्पाईवेयर इंस्टॉल हो जाता है और यूजर को इसका पता भी नहीं चलता।
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डाउनलोड होने के बाद पेगासस अपने ऑपरेटर की कमांड पर चलता है। यह कमांड देने पर टारगेट के पासवर्ड, कॉन्टैक्ट, लिस्ट, कैलेंडर इवेंट, टेक्सट मैसेज, वॉइस कॉल समेत पर्सनल डाटा ऑपरेटर के पास भेजता रहता है।
मिस्ड वीडियो कॉल से इस्टॉल किया जा सकता है पेगासस
स्पाईवेयर की मदद से ऑपरेटर टारगेट के फोन का कैमरा और माइक्रोफोन भी ऑन कर सकता है, जिससे उसे टारगेट के आसपास की हलचलों का पता लग सकता है। कई बार फोन में स्पाईवेयर डाउनलोड करने के लिए लिंक पर क्लिक की भी जरूरत नहीं होती। टारगेट को व्हाट्सऐप पर मिस्ड वीडियो कॉल मिलती है। अगर यूजर्स इस पर कोई रिस्पॉन्स भी नहीं देता है तब भी स्पाईवेयर उसके फोन में डाउनलोड हो जाता है।
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