द लीडर. कहीं न कहीं कोई बड़ी वजह तो है, जिसके सबब भारतीय जनता पार्टी को उम्मीद है कि पसमांदा मुसलमान उसके साथ थोक के भाव में आ सकते हैं. इसके लिए लोकसभा चुनाव से पहले एक के बाद एक प्रयास शुरू किए गए हैं. वैसे तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशभर में पसमांदा मुसलमानों को साथ लेकर चलने की बात कही थी लेकिन यूपी में इस पर तेज़ी से काम हो रहा है.
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पहला पसमांदा सम्मेलन लखनऊ में पिछले दिनों हुआ है. अब दूसरा बरेली के एमबी इंटर कॉलेज मैदान पर 12 नवंबर को होने जा रहा है. इसके लिए तैयारियां व्यापक पैमाने पर चल रही हैं. भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष कुंवर बासित अली भी इसके लिए बरेली आ और जा रहे हैं. सम्मेलन में डिप्टी सीएम बृजेश पाठक के साथ पूर्व केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्यमंत्री मुख़्तार अब्बास नक़वी भी आएंगे. भाजपा के कई और बड़े नेताओं के भी हिस्सा लेने की खबरें हैं.
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ज़ाहिर सी बात है जिस तरह अवध के बाद रुहेलखंड बेल्ट में पसमांदा सम्मेलन रखा गया है, उसका राजनीतिक मक़सद साफ़ है. यह बेल्ट मुस्लिम वोटों के एतबार से समाजवादी पार्टी के लिए ख़ासी उपजाऊ रहती चली आ रही है. उसके इसी वोट बैंक में भाजपा पसमांदा के नाम पर सेंध लगाने की जुगत में जुटी है. 12 नवंबर को इस बात का आंकलन हो जाएगा कि भाजपा का दांव कितना चल पाएगा या नहींं चलेगा. भीड़ आती है तो मुसलमानों के बीच चुनावी सोच बदलने के संकेत साफ दिखाई जाएंगे. वैसे अगर पिछले विधानसभा चुनाव की बात करें तो बरेली के ऐसे बूथों पर मुस्लिम बाहुल्य हैं, वहां भाजपा विधायकों के वोट निकले थे. यही वजह है कि बूथवार आंकड़ों को सामने रखकर ही भाजपा ने दूसरा पसमांदा सम्मेलन बरेली में करने का फ़ैसला लिया है. इस सम्मेलन की कामयाबी के लिए ज़ोर भी लगाया जा रहा है.