द लीडर हिंदी : उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने मंगलवार को अपने खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर पहली बार खुलकर बयान दिया। उन्होंने इस नोटिस को कमजोर और बेबुनियाद करार दिया। धनखड़ ने चंद्रशेखर आजाद के बयान का हवाला देते हुए कहा, “सब्जी काटने वाले चाकू से बाईपास सर्जरी नहीं की जा सकती। यह नोटिस तो सब्जी काटने वाला चाकू भी नहीं था, उसमें तो जंग लगा हुआ था।”
धनखड़ ने चेतावनी दी कि देश विरोधी ताकतें संवैधानिक संस्थानों को ईंट-दर-ईंट कमजोर करने की कोशिश कर रही हैं। उन्होंने कहा कि संवैधानिक पदों की गरिमा को बनाए रखना बेहद जरूरी है। लोकतंत्र में अभिव्यक्ति और संवाद की भूमिका अपरिहार्य है।
धनखड़ ने कहा, “मेरे खिलाफ दिए गए नोटिस को देखिए। उसमें दिए गए छह लिंक को पढ़िए। आप हैरान रह जाएंगे। जब मैंने इसे पढ़ा तो मैं स्तब्ध रह गया, लेकिन और भी ज्यादा चौंका जब मुझे पता चला कि इसे तैयार करने वालों ने खुद इसे नहीं पढ़ा। अगर वे इसे पढ़ते तो कई दिनों तक सो नहीं पाते।”
विपक्ष ने लगाया पक्षपात का आरोप
राज्यसभा में विपक्षी इंडिया गठबंधन ने 10 दिसंबर, 2024 को उपराष्ट्रपति धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया था। विपक्ष ने धनखड़ पर पक्षपात करने का आरोप लगाया था। इस नोटिस पर 60 सांसदों ने हस्ताक्षर किए, लेकिन कई बड़े नेताओं जैसे सोनिया गांधी ने हस्ताक्षर नहीं किए। इससे विपक्ष की एकजुटता पर सवाल खड़े हो गए।
धनखड़ का कटाक्ष: जल्दबाजी में तैयार किया गया नोटिस
धनखड़ ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि नोटिस जल्दबाजी में तैयार किया गया था और इसकी सामग्री में गंभीरता की कमी थी। उन्होंने कहा, “यह नोटिस संवैधानिक गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला है और लोकतंत्र की मूल भावना के खिलाफ है।”
क्या है आगे की रणनीति?
विशेषज्ञों का मानना है कि विपक्ष के इस कदम से राजनीतिक हलचल जरूर तेज हुई है, लेकिन इससे कोई ठोस परिणाम निकलने की संभावना कम है। धनखड़ के बयान के बाद यह साफ हो गया है कि वे इस मुद्दे पर पीछे हटने वाले नहीं हैं।
आरोपों को सिरे से कर दिया खारिज
धनखड़ ने विपक्ष के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है और इसे संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर करने की साजिश बताया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि विपक्ष इस पर क्या अगला कदम उठाता है।