द लीडर। यूपी में कल पहले चरण का चुनाव होना है जिसको लेकर सभी तैयारियां प्रशासन द्वारा पूरी कर ली गई है। वहीं चुनाव से पहले सभी पार्टियों ने जनसभा, रैली कर जनता को रिझाने की कोशिश की। और बड़े-बड़े वादे किए। वहीं इस चुनावी मौसम के बीच अहमदाबाद और सूरत में हुए बम धमाकों के मामले में 13 साल बाद आए फैसले को लेकर मौलाना अरशद मदनी ने बयान दिया है।
मुस्लिम युवाओं का जीवन किया जा रहा तबाह
यूपी चुनाव से ठीक एक दिन पहले जमीयत उलेमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने जारी एक बयान में कहा कि, आतंकवाद को हथियार के रूप में इस्तेमाल कर मुस्लिम युवाओं के जीवन को तबाह किया जा रहा है।
बेगुनाहों के नुकसान की भरपाई कौन करेगा
मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि, वर्ष 2009 में अहमदाबाद और सूरत में हुए बम धमाकों के मामले में 13 साल बाद 28 मुस्लिम युवकों को बरी किया गया है। सवाल है कि, इन बेगुनाहों के 13 साल के कीमती जीवन के नुकसान की भरपाई कौन करेगा और इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा।
यह भी पढ़ें: हिजाब पहनने को लेकर बढ़ रहा विवाद : बुर्का पहनी लड़की को घेर ‘जय श्रीराम’ के नारे लगाते वीडियो वायरल, पाकिस्तान ने कहा ये ?
मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि, आतंकवाद को हथियार के रूप में इस्तेमाल कर मुस्लिम युवाओं के जीवन को तबाह किया जा रहा है। पक्षपाती जांच एजेंसियां और अधिकारी निर्दोष मुस्लिमों के भविष्य को फर्जी आतंकवाद के मामलों में फंसाकर नष्ट कर रहे हैं।
निर्दोषों को भुगतना पड़ता है न्याय में देरी का खामियाजा
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मदनी ने कहा कि, पुलिस की सुस्ती के कारण अदालतों का फैसला आने में सालों लग जाते हैं और न्याय में देरी का खामियाजा निर्दोष लोगों को भुगतना पड़ता है। उन्होंने कहा कि, न्यायिक व्यवस्था में तेजी लाना समय की मांग है।
13 साल बाद आया फैसला, धमाकों से हिल गया था शहर
गुजरात की एक अदालत ने 2008 के अहमदाबाद सिलसिलेवार बम विस्फोट मामले में मंगलवार को 49 आरोपियों को दोषी ठहराया और 28 अन्य को बरी कर दिया।
गौरतलब है कि, 70 मिनट के भीतर 26 जुलाई, 2008 को अहमदाबाद में 21 बम विस्फोट हुए थे। इस आतंकवादी हमले में 56 लोग मारे गए थे, जो बम विस्फोटों के कारण शहर के विभिन्न स्थानों पर मारे गए थे। 200 लोग घायल भी हुए थे। इस्लामिक आतंकवादी समूह हरकत-उल-जिहाद-अल-इस्लामी ने हमलों की जिम्मेदारी ली थी।
कोरोना काल में भी डे-टू-डे सुनवाई चली
बता दें कि, 2009 में कानूनी कार्यवाही शुरू हुई थी और 1163 विटनेस की गवाही ली गई। 6000 दस्तावेजी सबूत पेश किए गए।3,47,800 पेज की 547 चार्जशीट तैयार की गई थी। 9800 पेज की सिर्फ प्रायमरी चार्जशीट है।
77 आरोपियों के सामने 14 साल बाद दलीलें पूरी हुई। 7 जज बदले गए, कोरोना काल में भी डे-टू-डे सुनवाई चली। 3 आरोपी पाकिस्तान और 1 आरोपी सीरिया भाग गया था।
यह भी पढ़ें: सपा ने 10 उम्मीदवारों की एक और लिस्ट जारी की, महिलाओं को नहीं मिली जगह
26 जुलाई 2008 को 70 मिनट की अवधि में हुए 21 बम धमाकों ने अहमदाबाद को हिला कर रख दिया था। इन हमलों में 56 लोगों की मौत हो गई थी और 200 से अधिक घायल हुए थे।
पुलिस ने दावा किया था कि, आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन से जुड़े लोगों ने साल 2002 में गुजरात दंगों का बदला लेने के लिए इन हमलों को अंजाम दिया था, जिसमें अल्पसंख्यक समुदाय के कई लोग मारे गए थे।
पुलिस ने कई इलाकों से बम बरामद किए थे
अहमदाबाद में सिलसिलेवार धमाकों के कुछ दिन बाद पुलिस ने सूरत के विभिन्न इलाकों से कई बम बरामद किए थे। इसके बाद अहमदाबाद में 20 और सूरत में 15 एफआईआर दर्ज की गई थीं।
सुनवाई के दौरान 1100 गवाहों का परीक्षण किया
78 आरोपियों के खिलाफ मुकदमे की हुई थी शुरुआत अदालत की ओर से सभी 35 एफआईआर को एक साथ जोड़ देने के बाद दिसंबर 2009 में 78 आरोपियों के खिलाफ मुकदमे की शुरुआत हुई थी। इनमें से एक आरोपी बाद में सरकारी गवाह बन गया था।
मामले में बाद में चार और आरोपियों को भी गिरफ्तार किया गया था, लेकिन उनका मुकदमा अभी तक शुरू नहीं हो पाया है। मामले की सुनवाई के दौरान अभियोजन ने 1100 गवाहों का परीक्षण किया।
यह भी पढ़ें: SP Manifesto : सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने जारी किया ‘वचन पत्र’ : जानें घोषणापत्र की बड़ी बातें ?