द लीडर टीम, उत्तराखंड : मौके के लाइव तस्वीरें और वीडियो हाजिर हैं। अब अटकलों पर विराम लगाकर सच समझा जा सकता है। रौंठी ग्लेसियर का टुकड़ा अपने साथ चट्टान समेट कर जब नीचे गिरा तो वहां बनी झील को फोड़ने के साथ ही ताजा जमी बर्फ तो रौंदते पिघलाते आगे बढ़ा। इस बारे में कई भूवैज्ञानिक राय दे रहे हैं।
एक मत यह भी है कि ग्लेसियर के नीचे की अंडरग्राउंड झील का पानी 7 फरवरी के प्लैश फ्लड को वेग देने वाला मुख्यकारक रहा हो। इस बहसों को रहने देते हैं। यह दिख रहा है कि ऋषिगंगा के संगम पर आइस यानी ग्लेसियर का टुकड़ा मिट्टी और पत्थरों के आवरण के साथ बायीं तरफ दो पहाड़ो के बीच से निकल रही मेन ऋषिगंगा पर एक डाट की तरह ठीक से घंस गया।
इस मलबे की ऊंचाई 100 से डेढ़ से मीटर और मोटाई करीब 500 मीटर है। यह ढलान लिए हुए है और यहां पांच दिन तक झील बनने के बाद अब ऋषिगंगा प्रवाहमान हो चुकी है। मलबे की मोटाई ठीक ठाक है और ऋषिगंगा ढलान लेकर इसे धीरे धीरे काट रही है इसलिए फिलहाल बांध टूटने और फ्लैश फ्लड का खतरा नहीं है। देखिए कुछ तस्वीरें और सुनिए मौके पर गए विशेषज्ञ क्या बता रहे हैं।