द लीडर : उत्तर प्रदेश में 6 महीने से लेकर 6 साल तक के 3.98 लाख से ज्यादा बच्चे अति-कुपोषित हैं. इस आंकड़े के साथ यूपी कुपोषण के मामले में देश में सबसे ऊपर है. केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने राज्यसभा में एक प्रश्न के जवाब में कुपोषण पर स्थिति स्पष्ट की है. सुप्रीमकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस मार्केंडय काटजू इस मुद्दे पर लगातार चिंता जताते रहे हैं. स्थिति स्पष्ट होने के बाद समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने केंद्र और राज्य की सत्तारूढ़ भाजपा सरकार सवाल उठाए हैं. (UP Malnutrition Katju Akhilesh )
अखिलेश यादव ने कहा, ”देश में 6 महीने से 6 साल तक के लगभग आधे अत्यंत कुपोषित बच्चे, केवल उत्तर प्रदेश में हैं. सच तो ये है कि यूपी में इतनी ही माएं भी कुपोषित होंगी. भाजपा सरकार ये बताए कि बच्चों के हिस्से का भोजन कौन खा गया?” अखिलेश यादव ने ये आरोप भी लगाया है.
आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कुपोषिण की स्थिति को लेकर सदन में सवाल किया था. जवाब में बाल विकास मंत्री ने कहा कि देश में 9.27 लाख बच्चे ऐसे हैं, जो अति-कुपोषित हैं. यूपी में इनकी संख्या 3.98 लाख है. ये आंकड़ा पिछले साल नवंबर तक का है. जो इंटिग्रेटेड चाइल्ड डेवलपमेंट सर्विस (ICDS) और आरआरएस पोर्टल पर है.
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स्मृति ने बताया कि बाल विकास मंत्रालय की ओर से राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को साल 2017 से 2021 तक, करीब 5312 करोड़ रुपये जारी किए जा चुके हैं. राज्यों ने अब तक 2985 करोड़ के बजट का इस्तेमाल भी कर लिया है. उन्होंने कहा कि सर्वेक्षणों के मुताबिक कुपोषण की स्थिति में सुधार हो रहा है. (UP Malnutrition Katju Akhilesh )
दरअसल, 6 माह से लेकर 6 साल तक के बच्चों को बाल विकास मंत्रालय की पूरक पोषण मुहैया कराता है. इसकी जिसकी जिम्मेदारी आंगनबाड़ी केंद्रों के हवाले है.
वैश्विक स्तर पर भी भारत में कुपोषण की स्थिति चिंताजनक है. साल 2019 के ग्लोबल हंगर इंडेक्स में शामिल 117 देशों में भारत 102वें स्थान पर रहा था. जबकि 2018 में भारत 103 वें पायदान पर था.
क्या है कुपोषण
पौष्टिक अहार की कमी और अव्यवस्थित भोजन के कारण शरीर को भरपूर पोषण नहीं मिल पाता. प्रोटीन, वसा, विटामिन, खनिज और कार्बोहाइड्रेट के अलावा अन्य पोषक तत्व जब शरीर को नहीं मिल पाते हैं. तो वह कुपोषण की जद में आने लगता है. पोषक और व्यवस्थित अहार से कुपोषण को खत्म किया जा सकता है.
37 करोड़ अब भी गरीब
संयुक्त राष्ट्र की 2019 की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत ने गरीबी रेखा से उबरने सकारात्मक प्रयास किए हैं. लेकिन अब भी करीब 37 करोड़ लोग गरीब हैं. इसमें बड़ी संख्या गरीबी रेखा से भी नीेचे है. ऐसे में लाखों परिवारों के सामने दो वक्त की रोजी-रोटी का संकट है. आपदा ने इसे और गहरा कर दिया है. (UP Malnutrition Katju Akhilesh )
कुपोषण पर सवाल उठाते आ रहे जस्टिस काटजू
सुप्रीमकोर्ट से सेवानिवृत्त न्यायाधीश और भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष रहे जस्टिस मार्केंडय काटजू भारत में कुपोषण पर चिंता जाहिर करते रहे हैं. अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर भी कुपोषण के मुद्दे को उठाया था. ये कहते हुए कि क्या योगा गरीब, कुपोषित बच्चे और खून की कमी से जूझ रही महिलाओं को भी सेहतमंद कर सकता है.
जस्टिस काटजू ने कहा था कि सरकार को बेरोजगारी दूर करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. लोगों के पास काम नहीं है. आपदा में और आजीविका का संकट और गहरा गया है. (UP Malnutrition Katju Akhilesh )