यूपी : कैसे होता है एमएलसी चुनाव और कितनी मुश्किल है समाजवादी पार्टी की जीत की डगर!

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UP MLC Election 2022
एक सभा में सपा प्रमुख अखिलेश यादव.

द लीडर : उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के बाद अब विधान परिषद यानी (MLC) के चुनाव को लेकर घमासान मचा है. यूपी में एमएलसी की 100 सीटें हैं. इसमें स्थानीय निकाय की 36 सीटों पर चुनाव हो रहा है. सत्तारूढ़ भाजपा (BJP) और विपक्षी समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) जीत के लिए जी-जान से जुटी हैं. सोमवार को 30 सीटों पर नामांकन हुआ है. 9 अप्रैल को वोट डाले जाएंगे. (UP MLC Election 2022)

एमएलसी का चुनाव कैसे होता है. इसके वोटर कौन हैं. और इस इलेक्शन में सत्तापक्ष के दबदबे का ट्रैक रिकॉर्ड क्या है. इन तमाम पहलुओं पर हम बात करेंगे. लेकिन पहले ये जान लेते हैं कि द्विसदनीय व्यवस्था कितने राज्यों में हैं. मतलब विधानसभा और विधान परिषद. यूपी, बिहार, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र-इन 6 राज्यों में ही विधान परिषद है. बाक़ी राज्यों में केवल विधानसभा है.

एमएलसी का कार्यकाल 6 साल का होता है. यूपी विधान परिषद की 100 सीटों में से 38 सीटों का चुनाव विधायक करते हैं. मतलब इन सीटों पर विधायक वोट डालते हैं. जबकि 36 सीटें स्थानीय निकाय की हैं. जिन पर अभी चुनाव हो रहा है. इसमें निर्वाचन क्षेत्र के सांसद, विधायक के अलावा, जिला पंचायत सदस्य, क्षेत्र पंचायत सदस्य, नगर निगम-नगर पालिका के प्रतिनिधि और ग्राम प्रधान वोट डालते हैं. 10 सदस्यों को राज्यपाल नॉमिनेट करते हैं. और 8-8 सीटें शिक्षक और स्नातक निर्वाचन क्षेत्र के दायरे में आती हैं. इन पर शिक्षक या ग्रैजुएट डिग्री धारक वोट करते हैं. (UP MLC Election 2022)


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अभी विधान परिषद में भाजपा के 35 और सपा के 17 एमएलसी हैं. बसपा के चार, कांग्रेस से एक और अपना दल सोनेलाल से एक सदस्य है. आने वाले दिनों में और भी सीटें खाली होंगी.

 

इस चुनाव में कितनी कठिन है विपक्ष की जीत

आमतौर पर स्थानीय निकाय का चुनाव सत्तापक्ष के दबदबे वाला माना जाता है. यूपी का ट्रैक रिकॉर्ड ऐसा ही है. एक रिपोर्ट के मुताबिक़ 2004 में जब मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री थे, तब सपा ने 36 में से 24 सीटें जीती थीं. 2010 में मायावती के शासन में बसपा ने 36 में से 34 सीटों पर जीत दर्ज़ की. और 2016 में अखिलेश यादव के कार्यकाल में 31 सीटों पर सपा के एमएलसी जीते थे. इस रिकॉर्ड से साफ है कि इस चुनाव में विपक्ष की राह मुश्किल भरी है.

अगर त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के आधार पर भी जीत-हार का आंकड़ा देखें, तो भी एमएलसी चुनाव में सपा की जीत की राह काफी मुश्किल भरी नज़र आती है. इसलिए क्योंकि चुनाव में अधिकांश वोटर त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के हैं. मतलब, बीडीसी, ग्राम प्रधान, नगर पालिका के सभासद आदि. (UP MLC Election 2022)

पिछले साल 2021 में हुए ज़िला पंचायत और ब्लॉक प्रमुख चुनाव में सत्तापक्ष भाजपा का दबदबा रहा था. यहां तक कई सीटों पर उनके निर्विरोध ज़िला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख बने थे. इस रिकॉर्ड से देखें तो भी भाजपा की जीत की राह आसान नज़र आती है.

बहरहाल, समाजवादी पार्टी ने 36 में से दो सीटें गठबंधन के सहयोगी आरएलडी को दी हैं. चार सीटों पर मुस्लिम कैंडिडेट उतारे हैं. इसमें बरेली-रामपुर सीट से मशकूर अहमद, हरदोई से रजीउद्​दीन, मुजफ्फ़रनगर-सहारनुपर से मुहम्मद आरिफ और देवरिया से डॉ. कफील ख़ान को टिकट दिया है. डॉ. कफील ख़ान बीआरडीए मेडिकल कॉलेज गैस कांड के बाद से चर्चा में आए थे. (UP MLC Election 2022)


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