UP Election : उत्तर प्रदेश में चुनाव का रास्ता साफ… लेकिन इन 45 विधायकों के चुनाव लड़ने पर बना है संशय ?

द लीडर। उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा का चुनाव होना है। चुनाव आयोग ने यूपी का दौरा कर कहा कि, सभी राजनीतिक दल चाहते हैं कि, कोरोना नियमों का पालन कर चुनाव को तय समय पर किया जाए। वहीं इससे ये साफ हो गया है कि, यूपी में अब तय समय पर चुनाव होगा। और जल्द ही चुनाव की अधिसूचना जारी कर दी जाएगी। बता दें कि, चुनाव में जीत दर्ज करने के लिए सभी पार्टी के नेता जनसभा कर जनता को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन कई नेता ऐसे हैं, जो यूपी विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ सकते हैं।

396 में से 45 विधायकों के चुनाव लड़ने पर संशय

बता दें कि, प्रदेश के मौजूदा 396 में से 45 विधायकों के चुनाव लड़ने पर संशय है। ये खुलासा एसोसिएट डेमोक्रेटिक रिफार्म यानि एडीआर की शुक्रवार को जारी रिपोर्ट में हुआ है। मौजूदा 45 विधायकों पर एमपी-एमएलए कोर्ट में आरोप तय हो गए हैं। आरपी अधिनियम (रिप्रेजेन्टेशन ऑफ पीपुल एक्ट/लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम) 1951 की धारा 8(1), (2) और (3) के तहत सूचीबद्ध अपराधों में ये आरोप तय हुए हैं। इन मामलों में न्यूनतम छह महीने की सजा होने पर ये विधायक चुनाव नहीं लड़ सकेंगे। एडीआर ने यह रिपोर्ट पहली बार जारी की है। यह महत्वपूर्ण इसलिए है कि, सजा काटने और रिहाई के छह साल बाद तक विधायक चुनाव नहीं लड़ सकते।


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एडीआर के मुख्य समन्वयक डॉ. संजय सिंह ने जारी की रिपोर्ट

हालांकि, चुनाव लड़ने की पात्रता या अपात्रता तय करने का अधिकार केन्द्रीय चुनाव आयोग के पास है। एडीआर के मुख्य समन्वयक डॉ. संजय सिंह ने रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि, इनमें भाजपा के 32, सपा के पांच, बसपा और अपना दल के 3-3 और कांग्रेस के साथ अन्य दल का एक-एक विधायक शामिल है। इन 45 विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामले लंबित रहने की औसत संख्या 13 वर्ष है। 32 विधायकों के खिलाफ दस साल या उससे अधिक समय से कुल 63 आपराधिक मामले लंबित हैं। इस सूची में टॉप पर मड़िहान विधानसभा से भाजपा विधायक रमाशंकर सिंह, दूसरे स्थान पर बसपा के मऊ से मुख्तार अंसारी, तीसरे स्थान पर धामपुर से भाजपा विधायक अशोक कुमार राना हैं। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू का नाम भी इस सूची में शामिल है।

ये हैं वह विधायक जिन पर आरोप तय ?

नाम- विधानसभा क्षेत्र- पार्टी

रमा शंकर सिंह-मड़िहान- भाजपा
मुख्तार अंसारी- मऊ-बसपा
अशोक कुमार राणा-धामपुर-भाजपा
सूर्य प्रताप-पथरदेवा-भाजपा
संजीव राजा-अलीगढ़-भाजपा
कारिंदा सिंह- गोवर्धन-भाजपा
राज कुमार पाल-प्रतापगढ़-अपना दल
सुरेश्वर सिंह-महसी-भाजपा
मो रिजवान-कुंदरकी-सपा
अमर सिंह-शोहरतगढ़-अपना दल
हरिराम-दुद्धी- अपना दल
उमेश मलिक-बुढ़ाना-भाजपा
सत्यवीर त्यागी-मेरठ-किठोर
मनीष असीजा-फिरोजाबाद-भाजपा
नंद किशोर-लोनी भाजपा
देवेन्द्र सिंह-कासगंज-भाजपा
वीरेन्द्र-एटा-भाजपा
विक्रम सिंह-खतौली-भाजपा
धर्मेन्द्र कुमार सिंह शाक्य-शेखुपुर-भाजपा
राजेश मिश्र-बिथरी चैनपुर-भाजपा
बाबू राम-पूरनपुर-भाजपा
मनोहर लाल-मेहरौनी-भाजपा
बृजभूषण –चरखारी-भाजपा
राजकरन-नरैनी-बांदा
अभय कुमार-रानीगंज-भाजपा
राकेश कुमार-मेंहदावल-भाजपा
संजय प्रताप जायसवाल-रुधौली-भाजपा
राम चंद्र यादव-रुदौली-भाजपा
गोरखनाथ-मिल्कीपुर-भाजपा
इंद्र प्रताप-गोसाईगंज-भाजपा
अजय प्रताप-कर्नलगंज-भाजपा
श्रीराम-मोहम्मदाबाद गोहना-भाजपा
आनंद-बलिया-भाजपा
सुशील सिंह-सैयदराजा-भाजपा
रवीन्द्र जायसवाल-वाराणसी उ-भाजपा
भूपेश कुमार-राबर्ट्सगंज-भाजपा
सुरेन्द्र मैथानी-गोविंदनगर-भाजपा
असलम अली-धोलना-बसपा
मो असलम-भिनगा-बसपा
अजय कुमार लल्लू-तमकुहीगंज-कांग्रेस
विजय कुमार-ज्ञानपुर-अन्य दल
राकेश प्रताप सिंह-गौरीगंज-सपा
शैलेन्द्र यादव ललई-शाहगंज-सपा
प्रभुनाथ यादव-सकलडीहा-सपा


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जानिए क्या है अयोग्यता के पैमाने ?

1- आपराधिक मामलों वाले विधायकों की संख्या जो आर.पी अधिनियम 1951 लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 8(1) के अंतर्गत आते हैं, उन्हें दोषी ठहराए जाने पर अयोग्य घोषित किया जाएगा.

2- आपराधिक मामलों वाले विधायकों की संख्या जो आर.पी. अधिनियम 1951 लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 8(2) के अंतर्गत आते हैं, उन्हें कम से कम 6 महीने की सजा के साथ दोषी ठहराए जाने पर आयोग्य घोषित किया जाएगा.

3- आपराधिक मामलों वाले विधायकों की संख्या जो आर.पी. अधिनियम 1951 लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 8(3) के अंतर्गत आते हैं, उन्हें 2 साल से कम की सजा के साथ दोषी ठहराए जाने पर अयोग्य घोषित किया जाएगा.

धारा 8 (1), (2) और (3) के तहत सूचीबद्ध अपराध

गंभीर/भयानक/जघन्य प्रकृति अपराध यानी भारतीय दंड संहिता, 1860(आईपीसी) के तहत हत्या, बलात्कार, डकैती, लूट, अपहरण, महिलाओं के ऊपर अत्याचार, रिश्वत, अनुचित प्रभाव, धर्म, नस्ल, भाषा, जन्म स्थान के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शुत्रता जैसे अपराध शामिल हैं। इसमें भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग, उत्पादन/विनिर्माण/खेती, कब्जा, बिक्री, खरीद, परिवहन, भंडारण और/या किसी भी नशीली दवा के सेवन से संबंधित अपराध] जमाखोरी और मुनाफाखोरी से संबंधित अपराध, भोजन और दवाओं में मिलावट, दहेज आदि से संबंधित अपराध भी शामिल हैं। दोषी ठहराने के बाद कम से कम दो साल के कारावास की सजा भी इसमें शामिल है।

25-26 साल पुराने मुकदमों में तय नहीं पाए थे आरोप

बता दें कि, आरोप तय होने और तयशुदा सजा मिलने के बाद चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित किए जाने का नियम पहले से है लेकिन अभी तक विभिन्न कोर्टों में मामले चलते रहते थे। ज्यादातर जगहों पर अपराध तय होने को टाला जाता था। और लम्बे समय तक मुकदमे चलने के बाद भी आरोप तय नहीं हो पाते थे। रमा शंकर सिंह एक ऐसा नाम है जिन पर 27 साल से मुकदमा चल रहा है लेकिन आज तक आरोप तय नहीं हो पाए। मुख्तार असांरी पर 26 वर्ष से, अशोक राना पर 25 वर्ष, संजीव राजा पर 24 वर्ष, कारिंदा सिंह पर 23 साल से मुकदमें चल रहे हैं लेकिन आरोप तय नहीं हो पाए। वहीं सूचनाओं को छिपाया भी जाता था मसलन किसी कोर्ट में अपराध तय भी हो गया तो उम्मदीवार उसे छुपा लेते थे। लेकिन 2018 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद एमपी-एमएलए कोर्ट की स्थापना हुई और यहां तीन सालों की अवधि में ही इन विधायकों पर आरोप तय कर लिए गए।


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बता दें कि, इस बार यूपी में अलग तरह से चुनाव होंगे। चुनाव आयोग ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इसकी जानकारी दी है। आइए जानते हैं इस बार चुनाव में क्या-क्या अलग होगा।

1. दागी प्रत्याशियों के लिए क्या नियम होंगे?

दागी प्रत्याशियों को अपने आपराधिक पृष्टभूमि के बारे में लोगों को जानकारी देनी होगी। अखबार में इसका विज्ञापन देना होगा। विज्ञापन में यह बताना होगा कि उनपर किन-किन धाराओं में मुकदमे दर्ज हैं। यही नहीं जिस पार्टी से वह प्रत्याशी घोषित होगा उसे भी विज्ञापन के जरिए आम लोगों को यह बताना होगा कि आखिर उनकी पार्टी ने आपराधिक पृष्टभूमि वाला प्रत्याशी क्यों घोषित किया है? चुनाव आयोग ने कहा कि, दागी उम्मीदवारों को पर्चा वापस लेने की आखिरी तारीख से मतदान के दो दिन पहले तक के आपराधिक रिकॉर्ड अखबारों और टीवी चैनलों के माध्यम से मतदाताओं को बताने होंगे। उन्हें सभी लंबित आपराधिक मामलों का ब्योरा बड़े अक्षरों में अखबारों छपवाना होगा।

2. बुजुर्गों, दिव्यांगों और मरीजों के लिए क्या?

चुनाव आयोग ने कहा कि बुजुर्गों, दिव्यांगो और मरीजों को घर से वोट देने की सुविधा होगी। इसके लिए वोटर्स को पहले से ही सूचना देनी होगी। ऐसे मतदाता बैलेट पेपर के जरिए अपना वोट कर सकेंगे। आयोग ने ये भी कहा कि बिहार के बाद उत्तर प्रदेश में पहली बार ये सुविधा दी जा रही है।

3. महिलाओं के लिए क्या अलग होगा?

पहली बार कम से कम 800 पोलिंग स्टेशन ऐसे बनाए जाएंगे जहां सिर्फ महिला पोलिंग अधिकारी होंगी। ये महिलाओं को प्रोत्साहित करने के इरादे से किया जा रहा है।

4. पारदर्शिता के लिए नया क्या?

आयोग ने कहा कि चुनाव में पारदर्शिता कायम करने के लिए कम से कम एक लाख बूथ पर वेबकास्टिंग की जाएगी। यह पहली बार होगा जब इतनी बड़ी संख्या में पोलिंग बूथ पर वेबकास्टिंग होगी। इसके जरिए लोग देख सकेंगे कि पूरी पारदर्शिता के साथ वोटिंग होगी।

5. समय और वोटर्स के लिए नया क्या होगा?

आयोग ने कोरोना को देखते हुए मतदान का समय एक घंटे बढ़ाने का फैसला लिया है। 52.8 लाख नए मतदाता जुड़े हैं। इनमें 23.9 लाख पुरुष और 28.8 लाख महिला मतदाता हैं। आयोग के मुताबिक, नए मतदाताओं में 19.89 लाख युवा मतदाता हैं यानी इनकी उम्र 18-19 साल हैं। पहली बार महिला वोटर्स की संख्या पुरुषों से अधिक हुई है। चुनाव आयोग ने कहा कि 2017 में लिंगानुपात 839 था यानी एक हजार पुरुषों पर 839 महिला वोटर थीं। इस बार यह बढ़कर 868 हो गया है। पांच लाख महिला वोटर्स की संख्या में इजाफा हुआ है। उत्तर प्रदेश में इस वक्त 10 लाख 64 हजार 267 दिव्यांग मतदाता हैं।

6. मतदान बढ़ाने के लिए क्या करेंगे?

आयोग ने कहा कि 2017 विधानसभा और 2019 लोकसभा चुनाव का डेटा देखा जा रहा है। इन दोनों चुनाव में जिन पोलिंग बूथ पर कम वोटिंग हुए हैं, वहां घर-घर जाकर लोगों को जागरूक किया जाएगा। लोगों को वोटिंग के फायदे बताए जाएंगे।


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indra yadav

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