मुसलमानों के साथ भाजपा के बर्ताव से नाखुश रहे शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जव्वाद की भाजपा को हिमायत

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Shiya Cleric Maulana Kalbe Jawad
सीएम योगी आदित्यनाथ के साथ शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जव्वाद.

द लीडर : अपनी तहज़ीब और नवाबी तौर-तरीक़ों के लिए मशहूर लखनऊ में बुधवार को चौथे चरण में वोटिंग है. राजधानी पर सियासी रंग चढ़ा है. राजनीतिक जोर-आजमाइश के बीच शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जव्वाद का एक वीडियो सामने आया है. जिसमें उन्होंने भाजपा के समर्थन की अपील की है. कल्बे जव्वाद की इस अपील से समाज के बीच राजनीतिक तपिश बढ़ गई है, जो लाजिम भी है. (Shiya Cleric Maulana Kalbe Jawad)

उत्तर, पश्चिमी और सेंट्रल लखनऊ की सीटों पर क़रीब 2 लाख शिया समुदाय के मतदाता हैं. जिसका बढ़ा हिस्सा पारंपरिक रूप से भाजपा का हिमायती रहा है. लेकिन इस बार हालात बदले हैं. नागरिकता संशोधन क़ानून के प्रोटेस्ट हों, मुहर्रम के जुलूस या दूसरे मुद्​दे. शिया समुदाय को भी सरकार की सख़्त कार्रवाई का सामना करना पड़ा है.

इसलिए एक बड़ा वर्ग अपनी पूर्व समर्थित पार्टी-भाजपा से दूरी बनाए नज़र आ रहा है. यहां ये जानना दिलचस्प है कि लखनऊ उत्तरी, पश्चिमी और सेंट्रल की ये तीनों सीटें, भाजपा शिया समर्थन की वजह से आसानी से जीतती रही है.


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सीएए-एनआरसी आंदोलन में जिन लोगों के ख़िलाफ कार्रवाई हुई थी. उनमें वरिष्ठ शिया धर्मगुरु और मरकज़ी चांद कमेटी के अध्यक्ष मौलाना सैफ अब्बास भी शामिल थे. अब्बास पर केस भी दर्ज़ किया गया था. और तस्वीरों वाले होर्डिंग्स लगाए गए थे. (Shiya Cleric Maulana Kalbe Jawad)

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मौलाना अब्बास कहते हैं कि अगर भाजपा को शिया समुदाय का समर्थन चाहिए तो उन्हें इन मुद्दों पर हमसे बात करनी थी. समुदाय का गुस्सा जायज है. पुलिस ने पिछले साल मोहर्रम में जो गाइडलाइन जारी की थी .उससे भी शिया समुदाय की आस्था को ठेस पहुंची है. भाजपा के समर्थन की अपील करने वाले मौलाना कल्बे जव्वाद ने भी पुलिस की गाइडलाइन का विरोध किया था. क्योंकि इसमें आपत्तिजनक शब्द और वाक्यांश का प्रयोग किया गया था. हिजाब विवाद को लेकर भी मुस्लिम समुदाय में नाराजगी है.

चूंकि बात विशुद्ध राजनीतिक है. इसलिए एक तथ्य ये भी है कि मौलाना कल्बे जव्वाद के दामाद अली जैदी पिछले साल ही शिया वक़्फ बोर्ड के निर्विरोध अध्यक्ष बनाए गए थे. तब, जब पूर्व अध्यक्ष वसीम रिज़वी 15 सालों से बोर्ड के अध्यक्ष पद कब्ज़ा जमाए थे. मौलाना कल्बे जव्वाद और वसीम रिज़वी के बीच विवाद जग-जाहिर है.(Shiya Cleric Maulana Kalbe Jawad)

काबिलेगौर है कि रिज़वी को उस वक़्त अध्यक्ष पद से हटना पड़ा. जब वह मुसलमानों के ख़िलाफ सबसे बागी रुख अख़्तियार किए हुए थे. यहां तक कि कुरान, मुसलमानों के वजूद पर न सिर्फ सवाल उठा रहे थे. बल्कि ऐसा ज़हर उगल रहे थे कि कोई हिंदूवादी नेता भी ऐसे नहीं बोलते होंगे. स्वभाविक रूप से रिज़वी भाजपा के लिए ज़्यादा मुफीद और फायदेमंद थे.

इसके बावजूद रिज़वी के बजाय मौलाना कल्बे जव्वाद के दामाद अली ज़ैदी बोर्ड के नए अध्यक्ष बनने में क़ामयाब रहे. अब जब, मौलाना जव्वाद के भाजपा को वोट देने की जो अपील सामने आई है, उससे इससे जोड़कर देखना भी ग़लत न होगा.(Shiya Cleric Maulana Kalbe Jawad)

 


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