अतीक खान
उत्तर प्रदेश की राजनीति में आजम खान की हस्ती क्या है? 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले का शोर ये जताने को काफी है. लेकिन सोशल मीडिया के जिन महारथियों को उनके असर का इल्म नहीं है. वे एक काम कर सकते हैं. इंटरनेट पर Azam Khan टाइप करें. अंदाजा लग जाएगा. यूपी के नेताओं में Azam Khan इकलौती ऐसी शख्सियत हैं, जिन्हें सर्वाधिक, 2.48 करोड़ दफा सर्च किया जा चुका है.
तब, जब उनकी अपनी, न कोई सोशल मीडिया सेना है. न ही फेसबुक-ट्वीटर पर एक्टिव रहे. दंग रह जाएंगे ये देखकर कि इंटरनेट यूजर्स के सर्चिंग आंकड़े में वह पूर्व सीएम अखिलेश यादव, (Former CM Akhilesh Yadav) पूर्व सीएम मायावती (Former UP CM Mayawati ) और वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Aditya Nath) से भी आगे हैं.
चूंकि इस दौर की राजनीति पर आभासी दुनिया की चादर ढकी है. फेसबुक, ट्वीटर, इंस्टाग्राम और दूसरी माइक्रो ब्लॉगिंग साइट्स पर ज्यादा फॉलोअर्स वाले को बड़े कद का नेता माना जाता है.
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यूपी में अगले साल 2022 में विधानसभा चुनाव (UP Assembly Poll 2022) है. जिसका अनौपचारिक बिगुल बज चुका है. सत्तारूढ़ भाजपा (BJP) , समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party), कांग्रेस (Congress), बसपा (BSP), राष्ट्रीय लोकदल, पीस पार्टी, ओवैसी की एआइएमआइएम (AIMIM) से लेकर अपना दल समेत कई दूसरी पार्टियां सक्रिय हो गई हैं. नेतागण, गांव-देहात, कस्बा और शहर दर शहर वोटों की मालिक जनता की डेहरी पर एड़ियां रगड़ने लग गए हैं.
लेकिन इस खास मौके से जो एक चेहरा नदारद है. वो आजम खान हैं, जो रामपुर से सांसद हैं. 2017 में सदर सीट से विधायक थे. 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ा. मोदी लहर में भी जीतकर संसद पहुंच गए. उनकी पारंपरिक सीट से डॉ. तजीन फातिमा विधायक हैं, जो आजम खान की बीवी हैं.
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आठ बार के विधायक आजम खान समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता हैं. मुलायम सिंह यादव की सरकार रही हो या फिर अखिलेश यादव की. कैबिनेट में आजम खान सबसे हनक वाले मंत्री रहे हैं.
अभी मुश्किलों में घिरे हैं. पिछले एक साल से सीतापुर की जेल में हैं. मई में तबीयत बिगड़ने के बाद से लखनऊ के मेदांता अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है. रामपुर की मौलाना मुहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी की जमीन खरीदने को लेकर आजम खान पर गड़बड़ी के आरोप लगे थे.
उनके खिलाफ 80 से अधिक मामले दर्ज किए गए. किताबें चुराने तक का आरोप लगा. आजम खान सारे आरोपों को सिरे से खारिज करते रहे हैं. बस ये कहकर कि उन्हें सिर्फ और सिर्फ एक यूनिवर्सिटी बनाने की सजा मिल रही है.
आजम खान की गैरमाैजूदगी-यूपी में ओवैसी की एंट्री
एआइएमआइएम के मुखिया और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी, यूपी की 100 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके हैं. ये 100 सीटें मुस्लिम जनाधार वाली होंगी. जिससे सीधे तौर पर सपा के बड़े नुकसान की आशंका जताई जा रही है. ये सब आजम खान की गैरमौजूदगी में हो रहा है.
उधर आजम खान की रिहाई को लेकर अदालत, शासन-प्रशासन में अर्जियां लगाई जा रही हैं. चुनाव से पहले वह बाहर आ पाएंगे. राजनीतिक हालात के मद़्देनजर इसकी गुंजाइश कम है.
4 और 5 जुलाई को आजम खान रिहा करो-की मांग ट्वीटर पर सबसे ऊपर ट्रेंड कर गई. ये ट्रेंड आजम खान के प्रशंसकों ने चलाया था. जिसमें दूसरे संगठनों के लोग भी शामिल हैं. हालांकि ट्वीटर ट्रेंड का कानूनी प्रक्रिया पर कोई असर पड़ेगा. ऐसा नहीं है.
सपा के लिए संजीवनी हैं उसके नेता आजम खान
करीब 6-7 महीने पहले तक राजनीतिक हल्कों में एक चर्चा आम थी. वो ये कि सपा आजम खान के साथ उतनी ताकत के साथ नहीं खड़ी हुई. जितना उसे होना चाहिए था. इसी बहाने दूसरी बात ये चली कि आजम खान और उनका परिवार पार्टी से नाखुश है. लेकिन दोनों को एक-दूसरे की जरूरत है.
इस टिप्पणी पर राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आज की तारीख में ऐसा नहीं है. आजम खान मुश्किल में जरूर हैं. लेकिन उनका बाहर आना समाजवादी पार्टी के लिए संजीवनी से कम नहीं होगा. वो इसलिए क्योंकि पार्टी में उनके कद का दूसरा कोई नेता नहीं है. तब, मुस्लिम जनाधार वाली 75 सीटें, जो ओवैसी की 100 सीटों की घोषणा में शामिल ही होंगी. आजम खान के बाहर होने से ओवैसी के वहां से लाभ हासिल कर पाने की संभावना बेहद कम होती.
इन की-वर्ड से देख सकते रिजल्ट
गूगल सर्च पर इन नामों की की-वर्ड के साथ सर्चिंग के मामले में आजम खान का रिजल्ट सबसे ज्यादा नजर आता है. हालांकि ये आंकड़े कुछ अंतराल पर बदलते रहते हैं. इसके बाद भी सर्चिंग में आजम खान ही आगे दिखते हैं.
Azam Khn : 2.61 करोड़
Yogi Aditya Nath : 2.08 करोड़
Akhilesh Yadav : 1.12 करोड़
Mayawati : 61.80 लाख
Asaduddin Owaisi : 29.10 लाख