द लीडर हिंदी। साल 2020 में कोरोना से शुरू हुई जंग साल 2021 में भी जारी है. इस वायरस ने देखते ही देखते महामारी का रूप ले लिया. इसका नतीजा हुआ कि, दुनिया में लाशों की झड़ी लग गई. लेकिन एक शोध में सामने आया है कि, साल 2050 मानव के लिए सबसे बुरा साल होगा.
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सबसे बुरा साल होगा 2050
बता दें कि, यूएन द्वारा क्लाइमेट चेंज पर किये जा रहे शोध में सामने आया है कि, साल 2050 सबसे बुरा साल होगा. उस साल ऐसी तबाही आएगी कि, धरती से करोड़ों लोगों की जान लेकर जाएगी.
गलती से लीक हुई यूनाइटेड नेशन की रिपोर्ट
यूनाइटेड नेशन की ये रिपोर्ट गलती से लीक हो गई. 4 हजार पेज की इस रिपोर्ट में पर्यावरण में आए बदलावों का जिक्र है. साथ ही इसमें लिखा है कि 2050 तक लाखों लोग भुखमरी के शिकार हो जाएंगे. ऐसा उस समय पड़े सूखे की वजह से होगा.
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साल 2050 में करोड़ों की होगी मौत
इसके अलावा कई ग्लेशियर्स तेजी से पिघलेंगे. इससे ग्लोबल वार्मिंग बढ़ेगी. अभी तापमान एवरेज पांच डिग्री फॉरेनहाइट तक बढ़ रहा है. ऐसे में 2050 में महाप्रलय मच जाएगी. पर्यावरण में आए कई बदलावों को इंसान झेल नहीं पाएगा. नतीजा होगा पृथ्वी से करोड़ों लोगों की मौत.
अगले 27 साल हैं भारी
क्लाइमेट चेंज पर संयुक्त राष्ट्र के इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) की रिपोर्ट अगले साल जारी होने वाली थी लेकिन इससे पहले ही ये रिपोर्ट एजेंस फ्रांस-प्रेस (एएफपी) के हाथ लग गई. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि, अगले 27 साल तक हर साल पृथ्वी का तापमान 2.7 डिग्री फ़ारेनहाइट (1.5C) से भी ज्यादा बढ़ेगा, जिसके गंभीर परिणाम हमें 2050 में देखने को मिलेंगे.
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130 मिलियन लोगों को भुखमरी का सामना करना पड़ेगा
रिपोर्ट के अनुसार, ये परिणाम 2050 तक सामने आने वाले हैं और संभावित रूप से दुनिया भर में 130 मिलियन लोगों को भुखमरी का सामना करना पड़ेगा. 350 मिलियन लोग सूखे में प्रभावित होंगे और 420 मिलियन अधिक लोगों को हीटवेव का सामना करना पड़ेगा.
आ रहा है बुरा समय
यूएन की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि, सबसे बुरा अभी आना बाकी है, जो हमारे बच्चों और पोते-पोतियों के जीवन को हमारे जीवन से कहीं अधिक प्रभावित करेगा.” एएफपी AFP का कहना है कि 4,000 पन्नों के इस ड्राफ्ट में आने वाले महीनों में मामूली बदलाव आ सकते हैं. लेकिन इस रिपोर्ट का भाव तब भी इतना ही भयावह होगा.
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पर्यावरण बदलाव पृथ्वी को तबाही के मुहाने पर ले जा रही
प्रोफेसर हेलेन मैकग्रेगर वोलोंगोंग विश्वविद्यालय में एआरसी फ्यूचर फेलो हैं. उन्होंने एक बयान में कहा कि, आईपीसीसी रिपोर्ट का ड्राफ्ट अंतिम रिपोर्ट नहीं है और इसलिए मेरे लिए रिपोर्ट पर टिप्पणी करना अनुचित है. हालांकि उन्होंने माना कि, पर्यावरण बदलाव तेजी से पृथ्वी को तबाही के मुहाने पर लेकर जा रही है.
अब भी है संभलने का मौका
इस स्थिति को लेकर एक्सपर्ट्स ने कहा कि, लोगों के पास अभी भी मौका है. इस महाप्रलय को रोका नहीं जा सकता है. लेकिन इसे थोड़े समय के लिए टाला जा सकता है. अगर हम पर्यावरण को लेकर थोड़े सजग हो जाए, तो कार्बन की बढ़ती मात्रा पर काबू पाया जा सकता है. इससे आने वाले समय के लिए खतरे को टाल सकते हैं.
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2050 तक कुछ प्रजातियों को बचा पाना नामुमकिन
हालांकि, इस रिपोर्ट के मुताबिक, 2050 तक कुछ प्रजातियों को बचा पाना नामुमकिन होगा. अब उनकी स्थिति इतनी बिगड़ गई है कि वो ठीक नहीं होगी. ऐसे में उनके लिए महाप्रलय तय है.