इतिहास बना दिया फिर भी हटा दिया! जश्न की जगह मायूस त्रिवेंद्र

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द लीडर देहरादून

नए हुज़ूर के आदेश से,आलाकमान की मर्ज़ी से,बदकिस्मती से या कि जैसा किया उसकी वजह से, जश्न हवा हो गया और मायूसी पसर गई। 9 दिन पहले ही कुर्सी छोड़ने वाले पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र की उपलब्धियों का जश्न कोई नहीं मना रहा है। उनकी ओर से जारी एक बयान के अलावा कुछ भी नहीं हुआ।
त्रिवेंद्र के पुराने स्टाफ ने उनकी ओर से एक बयान मीडियाकर्मियों को भेजा है जिसमें कहा गया है कि उन्होंने चार साल प्रदेश में विकास के लिए ऐतिहासिक कार्य किए। ईमानदार, पारदर्शी और भ्रष्टाचार मुक्त सरकार चलाने का कार्य किया,इसकी उन्हें पूरी संतुष्टि है।
बयान में वे सारी उपलब्धियां है जो त्रिवेंद्र के रहते आज अखबारों के विज्ञापनों में होती। सभी विभागों का जिक्र है। एक रुपए में हर घर को नल से जल, महिलाओं को पैतृक संपत्ति में सहखातेदार बनाने और पहाड़ की महिलाओं के सिर से घास का बोझ खत्म करने के लिए लाई गई मुख्यमंत्री घसियारी कल्याण योजना का खास जिक्र है। लिखा है कि इसे ऐतिहासिक काल खंड के रूप में याद किया जाता रहेगा। गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी का जिक्र है। देवस्थानम बोर्ड को नई सरकार ने किनारे कर दिया त्रिवेंद्र अब भी 20 सालों के इतिहास में सबसे सुधारात्मक कदम मानते हैं।
कहा गया है कि वह भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन देने में कामयाब रहे। राज्य में निवेश लाने के लिए पूरी गंभीरता से कार्य किया । नीतियों में संशोधन किया गया। नई नीतियों का निर्माण भी किया। रिवर्स पलायन पर सुनियोजित तरीके से कार्य किया। सीमांत तहसीलों के विकास पर भी उनका फोकस रहा। उत्तराखंड को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने में भी वह कामयाब रहे। कई पुरस्कारों से उत्तराखंड को नवाजा गया।

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