रामपुर के चुनाव में ये ख़ामोशी, किसकी जीत की दे रहा दस्तक

द लीडर हिंदी: जिस ज़िले को नवाबों ने बसायाण्रियासत और उसके बाद भी लंबे वक़्त तक सियासत पर काबिज़ रहकर राज किया. जो चाकू से जाना गया, जिसे जौहर यूनिवर्सिटी के नाम से पहचानवाने की मुहम्मद आज़म ख़ान ने कोशिश की उस लोकसभा सीट पर चुनाव में ख़ामोशी है. न तक़रीरों का ज़ोर है और न फ़िज़ा में पहले जैसे नारों का शोर है. आज़म ख़ान और उनका कुनबा जेल में है. क़रीबी नेता ख़ामोश और हर चुनाव में उनकी मुख़ालफ़त करने वाले अपोज़िशन के नेता समाजवादी पार्टी के कंडीडेट मौलाना मोहिबुल्ला नदवी के साथ डटे हैं.

लखनऊ, शाहजहांपुर, बरेली से पहुंचकर टीम अखिलेश चुनाव की कमान संभाले है. उपचुनाव जीतकर सांसद बनने वाले भाजपा उम्मीदवार घनश्याम लोधी को कड़ी टक्कर मिलती दिख रही है. कुछ मतदाता ज़रूर बोल रहे हैंण् लेकिन ज़्यादातर ख़ामोश हैं. उनकी यह ख़ामोशी बड़े बदलाव की दस्तक दिखाई दे रही है.

Abhinav Rastogi

पत्रकारिता में 2013 से हूं. दैनिक जागरण में बतौर उप संपादक सेवा दे चुका हूं. कंटेंट क्रिएट करने से लेकर डिजिटल की विभिन्न विधाओं में पारंगत हूं.

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