द लीडर हिंदी: हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी की आग अब महाराष्ट्र तक पहुंच गई है. आदिवासी संगठनों के नेताओं ने बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.बता दें झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को कथित जमीन घोटाले से जुड़े धनशोधन मामले में बुधवार को प्रवर्तन निदेशालय की टीम ने गिरफ्तार कर लिया. हालांकि, इससे पहले ही सोरेन ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. लेकिन ये मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा है.
पालघर जिले के आदिवासियों में भी आक्रोश भड़क गया है. आदिवासी संगठनों के नेताओं ने भाजपा को आदिवासी विरोधी बताया और कहा कि आदिवासी होने के कारण हेमंत सोरेन के साथ ऐसा व्यवहार किया जा रहा है.
आदिवासियों के संगठन के नेता शशि सोनावणे ने कहा कि हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी को लेकर पालघर और नंदूरबार के आदिवासियों के संगठनों के बीच चर्चा जारी है. जल्द आगे की रणनीति पर बैठक की जाएगी.
अगर हेमंत सोरेन बीजेपी के साथी होते तो क्या ये होता
बीजेपी सरकार पर निशाना साधते हुए भूमिसेना के नेता शशि सोनावणे ने कहा कि झारखंड में लोकतंत्र को कुचलने वाली कार्रवाई से भाजपा का आदिवासी विरोधी चेहरा सामने आ गया है. सोनावणे ने सवाल पूछा कि क्या अगर सोरेन भाजपा के साथी होते तब भी क्या वह भ्रष्ट होते और ईडी उन पर कार्रवाई का साहस दिखा पाती. उन्होंने कहा कि हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी का जो तरीका अपनाया गया वह साफ बताता है कि किस तरह संवैधानिक मूल्यों का दमन किया जा रहा है.
गैरकानूनी है सोरेन की गिरफ्तारी
आदिवासी नेता और शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के जिला परिषद सदस्य जयेंद्र दुबला ने दावा किया कि भाजपा महंगाई, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार के बड़े मुद्दों के सामने बुरी तरह से पस्त है। लोगों का ध्यान जरूरी मुद्दों से हटाने के लिए वो सरकारें गिराकर एक मुख्यमंत्री को गिऱफ्तार कर लोकतंत्र को रौंद रही है. दुबला ने कहा कि झारखंड के सीएम की गिरफ्तारी पूरी तरह से गैर-कानूनी है.