सऊदी अरब के इस नए म्यूजिक स्कूल ने मचाया धमाल

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music school, symbolic image: internet

सऊदी अरब के ताइफ़ में हाल में खुले म्यूजिक स्कूल ‘नाहवंद’ की धुनों ने कमाल कर दिखाया है। कुछ ही दिनों में यहां संगीत प्रतिभाओं की कतार लग गई, जिन्हें तराशने को क्लास लगाई जा रही हैं। सभी तरह के पूर्वी और पश्चिमी वाद्ययंत्रों को बजाने और उनसे कुछ नई थीम बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। जल्द इस म्यूजिक स्कूल की शाखाएं छह सऊदी शहरों में खोलकर संगीत के क्षेत्र को विकसित करने की योजना है। (Music School Saudi Arabia)

सऊदी अरब के इस नए म्यूजिक स्कूल का नाम अरबी राग के नाम पर रखा गया है, जिसे मकम के नाम से जाना जाता है, जिसे अक्सर सऊदी गीतों और ओड्स में इस्तेमाल किया जाता है। स्कूल के संस्थापक अनस बिन हुसैन ने अरब न्यूज को बताया कि मकम एक रोमांटिक और जज्बात को उकेरने वाला संगीत है। जो मोहम्मद अब्दु, तलाल मदाह और अबादी अल-जवाहर जैसे तमाम गायकों के लोकप्रिया गीतों में सुनाई देता है।

हुसैन ने कहा, यह संगीत केंद्र इस नजरिए के साथ आगे बढ़ रहा है कि पूर्वी और पश्चिमी वाद्ययंत्रों पर प्रशिक्षण को जोड़ा जाए। कई छात्र इस लिहाज से प्रशिक्षण ले रहे हैं कि एक दिन वैश्विक मंच पर प्रदर्शन कर सकें और संगीत प्रतिभाओं के लिए रास्ता तैयार कर सकें।

“हम अंतरराष्ट्रीय संगीत कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए एक सऊदी ऑर्केस्ट्रा स्थापित करने वाले हैं,” बिन हुसैन ने कहा। “केंद्र के पाठ्यक्रमों का आधार युवाओं को वैज्ञानिक नजरिए का इस्तेमाल कर संगीत शिक्षा हासिल कर हुनर हासिल करना और उसमें पारंगत करना है।”

तकनीकी तौर पर देखा जाए तो “कान सुनकर सीखने” की आम कसरत से शुरुआत होती है, फिर संगीत को बनाना और साधना होता है। प्रशिक्षुओं को पियानो, वायलिन और गिटार जैसे वाद्ययंत्रों पर संगीत शिक्षा दी जा रही है और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मशहूर धुन बजाना सिखाया जा रहा है।

“हम फिलहाल युवा प्रतिभाओं को शहनाई, फ्रेंच हॉर्न और सैक्सोफोन जैसे नए उपकरण सीखने के लिए प्रेरित कर रहे हैं,” बिन हुसैन ने कहा।

इसके साथ ही प्रशिक्षु अरब वाद्य यंत्र ऊद बजाना भी सीखते हैं। यह मान्यता प्राप्त पाठ्यक्रम पर आधारित औपचारिक शिक्षण प्रक्रिया का हिस्सा है। केंद्र का मकसद मुल्क के वाद्ययंत्रों को लोकप्रिय बनाना भी है।

प्रशिक्षुओं को अंततः ब्रिटिश संस्थान एपीआरएसएम, रॉयल स्कूल ऑफ म्यूजिक के परीक्षा बोर्ड से निर्धारित प्रमाणित इम्तिहानों में बैठने का मौका मिलेगा, जो बेहतरीन पाठ्यक्रम के साथ पश्चिमी संगीत, सॉल्फ़ेज, वाद्य अभ्यास और संगीत से जुड़े सिद्धांतों की बुनियाद पर प्रतिभाओं को ऊंचे मुकाम पर पहुंचाने का जरिया हैं।

बिन हुसैन ने कहा, पहले महीने के संचालन के दौरान इतने लोगों ने केंद्र में दाखिला लिया कि शिक्षकों की संख्या बढ़ाने के लिए मजबूर होना पड़ा। उन्होंने कहा कि इससे पता चलता है कि “ताइफ निवासियों में वाकई ध्वनि कौशल और संगीत में किस कदर दिलचस्पी है। इसने हमें इस क्षेत्र के बाजार के आकार और जरूरत के हिसाब से नई सेवाओं को जोड़ने के लिए प्रेरित किया।”

बिन हुसैन ने कहा, केंद्र की सेवाएं फिलहाल तक ताइफ क्षेत्र तक सीमित हैं। लेकिन कि अगले दो महीनों में रियाद, जेद्दा और दम्मम सहित पूरे राज्य के छह प्रमुख शहरों में केंद्र खोलने की योजना है। (Music School Saudi Arabia)

anas bin hussain, founder of music school

केंद्र में वायलिन बजाना सीख रहे माजिद अल अब्द ने कहा कि दिया जा रहा प्रशिक्षण खासा कारगर है। वाद्ययंत्रों से जुड़ी बुनियादी बातें सिखाने के बाद हुनर निखारने को जिस तरह अभ्यास कराया जाता है, यह काफी सहज है। गलतियों को खुद सुधारने का माहौल दिया जा रहा है, जिससे दिलचस्पी बढ़ती जाती है।

उन्होंने कहा, मुझे पाठ के दौरान किसी भी खास कठिनाई का सामना करने की जरूरत पेश नहीं आई। अलबत्ता, कुछ भी नया सीखना एक चुनौती तो होती ही है। खासकर जब कई लोगों के लिए संगीत सीखने के तजुर्बे के आधार पर अनौपचारिक प्रयास शामिल होते हैं। मुझे पूरा भरोसा है कि अकादमी और उसके प्रशिक्षक इन कठिनाइयों को दूर कर सकते हैं। (Music School Saudi Arabia)

उन्होंने बड़े आत्मविश्वास से कहा, वायलिन में महारत हासिल करने के बाद मुझे उम्मीद है कि एक दिन मैं क्लासिकल म्यूजिक की रचना कर सकूंगा और और संगीत की संस्कृति पर लोगों को जागरुक कर सकूंगा।

अल-अब्द ने कहा, “मेरी राय में समाज को संगीत के शून्य को भरने के लिए ऐसी कोशिशों की जरूरत है, जो बदकिस्मती से इन दिनों दुर्लभ हैं।”

Source: Arab News


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