Saturday, June 29, 2024
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ये हैं यूपी के दस ग्राम प्रधान, जानिए क्यों मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इनका हौसला बढ़ाया

द लीडर : उत्तर प्रदेश की 58 हजार ग्राम पंचायतों में से 10 ऐसे ग्राम प्रधान हैं, जो खास हैं और इनके बारे में अन्य प्रधानों को भी जानना चाहिए. इसलिए क्योंकि इसमें किसी की जीवटता प्ररेणादायक है तो किसी काम का और संघर्ष, जिससे मुख्यमंत्री भी प्रभावित हुए. और उन्होंने ग्राम प्रधानों को आदर्श पंचायत बनाने के लिए प्रेरित किया.

मुख्यमंत्री ने कहा कि गांव के पढ़े-लिखे युवा पंचायत की जिम्मेदारी उठाने के लिए सामने आएंगे. निश्चित रूप से इससे हमारा लोकतंत्र मजबूत होगा. ग्रामीणों को उनका हक मिलेगा. स्वच्छता, शिक्षा और स्वास्थ्य की स्थिति बेहतर होगी. उन्होंने कहा कि गांव में निस्वार्थ और बिना भेदभाव के पूरी पंचायत के विकास के लिए काम करें.

सोनभद्र की गुड़िया देवी बनवासी आश्रम से ग्राम प्रधान तक का सफर

गुड़िया ने वनवासी सेवा आश्रम से 12वीं कक्षा तक पढ़ाई की. गांव की महिलाओं को साथ जोड़कर एक स्वयं सहायता समूह बनाया. इससे छोटे-मोटे काम कराकर उन्हें आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाया. गांव वालों को गुड़िया की सोच और काम दोनों पसंद आए. स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने उन्हें पंचायत चुनाव लड़ने को प्रेरित किया. और ग्रामीणों ने उन्हें अपना प्रधान चुन लिया.

मुख्यमंत्री ने जब गुड़िया से गांव के विकास के बारे में पूछा, तो वे बोलीं कि सबसे पहले हमारे गांव के किसानों के लिए पानी का बंदोवस्त किया जाए. साथ ही गुड़िया ने अपने गांव में शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार की व्यवस्था बनाने का इरादा जताया.

 

हरदोई के इन ग्राम प्रधान से मिलिए

हरदोई जिले के मझगवां गांव के ग्राम प्रधान संपूर्णानंद 8वीं तक पढ़े हैं. प्रधान बनते ही उन्होंने गांव में स्वछता अभियान छेड़ा. पब्लिक एड्रेस सिस्टम लगाया. मुख्यमंत्री ने उनसे कहा कि इसे हमेशा के लिए स्थापित रखिए. गांव में सभी की सहमति से सुबह-शाम भजन-देशभक्ति के गीत बजा सकते हैं. इससे गांवों में सकारात्मकता आएगी.

मैनपुरी के पीएचडी धारक ग्राम प्रधान

डॉ. दिनेश मैनपुरी जिीले के एक गांव के प्रधान हैं. पीएचडी धारक हैं. और गांव के नजदीक के ही एक कॉलेज में पढ़ाते थे. गांव वालों ने इस बार डॉ. दिनेश को प्रधान चुना है. मुख्यमंत्री ने डॉ. दिनेश से गांव के विकास के बारे में पूछा. तो उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता को अपनी प्राथमिकता में रखा. मुख्यमंत्री ने कहा कि आप जैसे युवाओं के पंचायत की जिम्मेदारी संभालने से लोकतंत्र मजबूत होगा.

21 साल की ममता बनीं ग्राम प्रधान

पंचायत चुनाव लड़ने की न्यूनतम उम्र 21 साल है. बाराबंकी जिले के एक गांव की ममता अभी 21 साल की हुई हैं कि ग्रामीणों ने उन्हें अपना प्रधान चुन लिया. मुख्यमंत्री ने ममता को बधाई देते हुए कहा कि गांव में महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ें. उन्हें प्रशिक्षित कराएं. शिक्षा और स्वास्थ्य पर काम करें. अच्छा काम करेंगी तो दोबारा प्रधान चुनी जाएंगी.

15 साल बाद दोबारा प्रधान बने कुर्बान अली

सहारनपुर के जमालपुर गांव के कुर्बान अली 15 साल पहले ग्राम प्रधान चुने गए थे. इस बार दोबारा ग्रामीणों ने उन्हें अपना मुखिया चुन लिया है. मुख्यमंत्री ने कुर्बान अली से बड़ी गर्मजोशी से बात की. पूछा कि गांव में पहले क्या विकास किए थे जो गांव वालों ने दोबारा जिम्मेदारी सौंपी है. कुर्बानी अली ने बताया कि वह खेती करते हैं. गांव में डेयरी पालन काम काम होता है. हम अपने गांव को शिक्षा, स्वास्थ्य और स्वच्छता के मुद्दे पर अग्रणी रखना चाहते हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि सफाई का विशेष ख्याल रखें. क्योंकि सहारनपुर में चिगनगुनिया के मामले भी निकलते हैं.

इसे भी पढ़ें : यूपी, मुख्यमंत्री ने नवनिर्वाचित 58 हजार ग्राम प्रधानों के साथ किया वर्चुंअल संवाद, आदर्श और आत्मनिर्भर पंचायत बनाने पर जोर

 

चंदौली जिले की सुशील देवी को ग्रामीणों ने प्रधान चुना है. सुशीला देवी स्वयं सहायता समूह चलाती हैं. उनके काम से ही ग्रामीण प्रभावित हुए और अपना मुखिया बना लिया. वहीं, पीलीभीत जिले के परमजीत सिंह आधुनिक खेती करते हैं. भाई इंग्लैंड में सीए हैं. पंचायत का चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की. लखमीपुर के शिव चरण अपने गांव में निर्विरोध ग्राम प्रधान निर्वाचित हुए हैं. वह चौथी बार प्रधान बने हैं. मुख्यमंत्री ने उन्हें बधाई देते हुए गांवों को स्मार्ट बनाने का संदेश दिया है.

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