लोकसभा चुनाव का समय जैसे जैसे नजदीक आ रहा हैं। वैसे-वैसे ही सियासी गलियारों में हलचल और नेताओं का इधर से उधर जाना शुरू हो गया। वहीं कांग्रेस में नेताओं के शामिल होने की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। पहले कुछ सपा और बसपा से आए नेताओं ने कांग्रेस का हाथ थामा था। फिर बीते दिनों पूर्वांचल में बीजेपी के कुछ नेता कांग्रेस के साथ आ गए।
सोमवार को भी सपा के संस्थापक सदस्य रहे रवि वर्मा भी पंजे के साथ चल दिए। लेकिन सवाल ये है कि पार्टी ज्वाइन करने वाले नेता क्या कांग्रेस में बने रहेंगे। दरअसल, ये सवाल उठने की मुख्य वजह लोकसभा चुनाव 2019 से यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के फेज को बताया जा रहा है। 2019 में लोकसभा चुनाव होने से करीब एक साल पहले से कांग्रेस का हाथ थामने वालों की लिस्ट इसी तरह बढ़ रही थी जैसे बीते दिनों में बढ़ी है। तब सपा, बसपा और बीजेपी से किनारे लगाए गए नेताओं ने पार्टी छोड़ कांग्रेस का हाथ थाम लिया था।
इसके बाद लोकसभा चुनाव तक कांग्रेस में टिके और फिर हाथ का साथ छोड़ नए रास्ते तलाश लिए। ऐसे नेताओं की बात करें तो ये लिस्ट काफी लंबी है। बीते विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस छोड़कर सपा में शामिल होने वालों में बंशी सिंह पहाड़िया, बिजेंद्र सिंह चौधरी, सलीम शेरवानी, कैसर जहां, आरके चौधरी, राजा राम पाल और बाल कुमार पाल हैं।
अब इमरान मसूद की घर वापसी के बाद से फिर दूसरे दलों से आए नेताओं का कांग्रेस में शामिल होने जारी है। दलबदलूओं की संख्या बढ़ने के बाद फिर से सवाल उठने लगे हैं कि क्या कांग्रेस 2019 वाली गलती फिर दोहरा रही है। हालांकि इन दलबदलूओं के कारण फिर से पार्टी के अपने कुछ नेता नाराज न हों ये भी कांग्रेस के लिए एक चुनौती रहेगी। खैर ऐसे में कांग्रेस इस चुनौती का सामना कैसे करेगीं ये तो आने वाला समय बताएगा।