THE LEADER. नये साल के पहले दिन यूपी के दो ज़िलों से जुड़ी एक सनसनीखेज़ वारदात सामने आई है. जिस बच्ची का शाहजहांपुर के जलालाबाद से बाइक सवार बदमाशों ने अपहरण किया था, वो बरेली के थाना नवाबगंज में एक पुलिया के नीचे से बरामद हो गई है. 15 दिन इस बच्ची की क़िस्मत में क़ुदरत ने ज़िंदगी लिखी थी. उसे शनिवार को जलालाबाद के कोठामांझा गांव से उस वक़्त अपहरण कर लिया गया था, जब रविंद्र की पत्नी संगीता अपनी इस बच्ची को लेकर सास मिथिलेश के साथ दवा लेकर पैदल घर लौट रही थीं. दो बाइक सवार बदमाश बच्ची को छीनकर फरार हो गए थे. पुलिस ने अपहरण का मुक़दमा भी दर्ज कर लिया था. बरामद करने के लिए एसओजी को भी लगाया गया था लेकिन उसका कोई सुराग़ नहीं लग सका.
रविवार को रात क़रीब आठ बजे वो अचानक से बरामद हो गई. बरामदगी भी किसी फ़िल्म के सीन सरीखी है. नवाबगंज में गरगइया की पुलिया के नीचे बैग से विश्व हिंदू परिषद गोरक्षा विभाग की टीम को उसके रोने की आवाज़ आई. यह टीम यहां घायल साड़ को इलाज के लिए तलाश रही थी. रात 8 बजे का वक़्त था. पहले तो गोरक्षक चौंक गए लेकिन बाद में घने अंधेरे और कड़ाके की ठंड के बीच टार्च की रोशनी में बैग खोलकर देखा तो उसमें बच्ची थी. डायल 112 पर पुलिस को सूचना दी गई. थाने की पुलिस ने पहले ज़िले में और फिर आसपास के थानों से जानकारी की. पता लग गया कि एक बच्ची का जलालाबाद से अपहरण हुआ है. बरेली से सूचना मिलने पर शाहजहांपुर से एसओजी टीम बच्ची के मां-बाप के साथ पहुंच गई. तब तक बच्ची को सीएचसी ले जाकर मुआयना कराया जा चुका था. वो पूरी तरह से स्वस्थ है.
दोनों ज़िलों की पुलिस भी बच्ची के अपहरण और फ़िल्मी अंदाज़ में बरामद होने की गुत्थी में उलझ गई है. राज़ से पर्दा उठाने के लिए तफ़्तीश की जा रही है. एक संभावना यह भी जताई जा रही है कि बदमाश नवाबगंज के हो सकते हैं, जिन्होंने जलालाबाद से बच्ची का अपहरण किया. अगर मान भी लिया जाए कि बदमाश नवाबगंज के थे तो फिर अपहरण के बाद बच्ची को क़रीब 85 किमी. दूर गरइया में पुलिया के नीचे क्यों फेंका. अपहरण फ़िरौती के मक़सद से किया या फिर बच्ची को मारने के लिए छीनकर लाए थे. अलबत्ता कोई पारिवारिक विवाद है. ख़ैर इन तमाम सवालों का बदमाशों के पकड़ में आने के बाद ही मिल सकेगा. फिलहाल तो बच्ची का अपहरण करने वाले बदमाश पुलिस की पकड़ से दूर हैं. सीओ नवाबगंज ने बताया कि मां-बाप ने बच्ची की शिनाख़्त कर ली है. वो उन्हीं की है. अब चाइल्ड लाइन सुपुर्द करने से पहले क़ानूनी प्रक्रिया पूरी करने में लगी है.