
The leader Hindi: 60 साल बाद भारतीय रेलवे ने एक कदम देश को आत्मनिर्भर बनाने की ओर बढ़ाया है। इससे रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे। तेज स्पीड में चलने वाली ट्रेनों के पहिये अब भारत में ही तैयार होंगे. इसके लिए रेलवे ने टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी है. अब तक यह व्हील्स इम्पोर्ट किये जाते थे.
रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते यह व्हील्स आ नहीं पा रहे थे. जबकि देश में 400 “वंदे भारत” ट्रेनों के चलाए जानी की योजना है. ऐसे में रेलवे ने टेंडर उठाकर फैक्ट्री स्थापित कराने का रास्ता साफ कर दिया है. जो फर्म यह टेंडर उठाएगी, रेलवे उससे सालाना 80 हजार व्हील्स लेगा. जो तकरीबन 600 करोड़ रुपये की लागत का है. ऐसे में इसकी फैक्ट्री स्थापित होने के बाद रेलवे बिजनेस भी दे रहा है.
भारत में हाई स्पीड ट्रेनो के पहिए इम्पोर्ट हुआ करते थे. पिछले 60 सालों से यह व्हील्स भारत में आयात हो रहे थे. जब भारत ने हाई स्पीड ट्रेनों को चलाने का फैसला लिया तो रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते यूक्रेन से व्हील्स इम्पोर्ट नहीं हो पा रहे थे. लेटलतीफी के बावजूद इनके आने की स्थिति साफ नहीं थी. इसीलिए रेलवे ने आत्मनिर्भरता की तरफ अपने कदम बढ़ा दिये हैं. जो कंपनी यह व्हील्स बनाएगी. वह बाहर एक्सपोर्ट भी कर सकती है. इससे पहले भारत में एलएचबी कोच बनना शुरू हो गए हैं. रेलवे को हर साल 2 लाख व्हील्स की जरूरत पड़ती है. जिनमें से एक लाख व्हील्स की सप्लाई सेल (Steel Authority Of India) करता है. व्हील्स मैन्यूफैक्चरिंग प्लांट में निवेश करने वाली कंपनी से रेलवे सालाना 600 करोड़ रुपये के 80 हजार व्हील्स खरीदेगा. हाल ही में आईसीएफ चेन्नई में 75 वंदे भारत ट्रेन बनाने का काम शुरू होगा. इससे देश भी आत्मनिर्भर बनेगा और रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे.अभी तक वंदे भारत ट्रेन में सफर करने के लिए सिटिंग अरेंजमेंट किया गया है. अब रेलवे आने वाले दिनों में इस ट्रेन के दर स्लीपर कोच की व्यवस्था भी देगा.
गौरतलब है कि हाल ही में रेलवे ने जब वंदे भारत ट्रेन का ट्रायल किया तो 52 सेकेंड में इसने 100 किलोमीटर की रफ्तार पकड़ ली. जो बुलेट ट्रेन के रिकार्ड से ऊपर है. क्योंकि बुलेट ट्रेन 55 सेकेंड में 100 किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड से पकड़ती है. इस ट्रेन की सीट में कंफर्ट के लिए स्प्रिंग का इस्तेमाल हो रहा है. वहीं रिक्लाइनर सीटें लगाई जा रही है. कोरोना को देखते हुए ट्रेन के अंदर एयर प्यूरीफायर लगाया जा रहा है. जो वायरस को मारने में सक्षम है. हाई स्पीड ट्रेन का प्रोडक्शन अक्टूबर में शुरू हो सकता है. नई वंदे भारत ट्रेन की खासियत यह भी है कि अगर ट्रैक पर 2 फीट तक पानी भरा हुआ है. तब भी यह ट्रेन आसानी से रफ्तार पकड़ पाएगी. रफ्तार पकड़ने के लिए कोच का वजन भी घटाया गया है.
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