अतीक खान :
दिल्ली दंगों के जख्म भरे भी नहीं. फिर से एक हिंसक भीड़ सड़कों पर मंडराने लगी है. भारत की राजधानी में सिलसिलेवार तरीके से रैलियां-सभाएं हो रहीं. निशाने पर मुसलमान हैं. रविवार को इस भीड़ के चीखने की आवाजें संसद से टकरा रही थीं. जिसमें एक पूरे समुदाय को मिटाने की चेतावनी थी. लेकिन संसद मौन है. पुलिस को क्या ही कहिए. मुख्यमंत्री केजरीवाल क्वरंटीन हैं. जब देश के नागरिकों ने कड़ा विरोध दर्ज कराया. तब पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ एफआइआर दर्ज की. (New India Hate Muslims )
भारत छोड़ो आंदोलन की पूर्व संध्या पर अश्वनी उपाध्याय के, ”भारत जोड़ो आंदोलन” के आह्वान पर जंतर-मंतर पर एक हुजूम उमड़ा. इनकी मांग है कि पांच कानून बनाए हैं. जिसमें ”समान शिक्षा, समान नागरिक संहिता, घुसपैठ नियंत्रण, धर्मांतरण नियंत्रण और जनसंख्या नियंत्रण काननू” बनाया जाना शामिल हैं.
अश्वनी उपाध्याय को उम्मीद है कि ”आजादी की 75वीं वर्षगांठ 15 अगस्त 2022 तक सभी अंग्रेजी कानूनों को खत्म करके, नया कानून बनाया जाएगा.” यानी नया संविधान रचा जाएगा.
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इसके लिए वे गांव-शहरों में भी ऐसे ही कार्यक्रमों का आह्वान करते हैं. उनके ट्वीटर वॉल पर स्पष्ट संदेश लिखा है-”बहुविधान नहीं संविधान चाहिए, विदेशी नहीं स्वदेशी कानून चाहिए.” (New India Hate Muslims )
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संसद और राष्ट्रपति भवन से चंद दूरी पर है जंतर-मंतर. ये भारत जोड़ो आंदोलन वहीं पर हुआ. इसमें आंदोलनजीवियों की भीड़ मुसलमानों को ललकार रही है. उनके खिलाफ हिंसक आह्वान करती दिखाई दे रही है. औरतों के खिलाफ अशोभनीय बातें करती है. इसके तमाम वीडियो सामने आए हैं. जो दिल्ली पुलिस को टैग किए गए. इस मांग के साथ कि कार्रवाई करें.
लेकिन कमाल देखिए. फौरीतौर पर पुलिस को इसमें रूल ऑफ लॉ के विरुद्ध दिखाई ही नहीं दिया. जब देशभर से इन हिंसक वीडियो की भर्तसना होने लगी. तब जाकर पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ मामला दर्ज किया है. (New India Hate Muslims )
पिछले सप्ताह ही दिल्ली में हज हाउस के खिलाफ एक और भीड़ सड़कों पर उतर चुकी है. रैली निकाली गई थी. उसमें भी लव जिहाद, लैंड जिहाद समेत न जाने किन-किन तर्कों के आधार पर मुसलमानों के खिलाफ नफरत प्रचारित की गई.
याद कीजिए. पिछले साल फरवरी 2022 में ऐसी ही हिंसक भीड़ दिल्ली की सड़कों पर पागलों की तरह मंडराती फिर रही थी. उस वक्त दिल्ली के शाहीनबाग में सीएए-एनआरसी को लेकर प्रोटेस्ट चल रहा था. इस भीड़ ने पुलिस अफसरों की मौजूदगी में जो कुछ कहा-सब पब्लिक डोमेन में है. दोहराने की जरूरत नहीं. (New India Hate Muslims )
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उससे पहले केंद्र सरकार के एक मंत्री ने अपनी सभा में सवाल उछाला था. देश के गद्दारों को… चूंकि एक पूरी कम्युनिटी को मीडिया के माध्यम से गद्दार-देशद्रोही ठहरा दिया गया है. इसलिए कानून की नजर में ऐसा बोलना अपराध नहीं रहा. शायद इसीलिए मंत्री बेदाग हैं.
इस देश की संसद का वक़ार सबसे बड़ा है, इन दिनों संसद का सत्र भी चल रहा है लेकिन जहॉं इन दंगाइयों ने काटने मारने के नारे लगाये वहॉं से संसद की दीवारों की दूरी महज़ 200 मीटर होगी, सोचिये क्या सरकार के किसी कारिंदे तक उन नारों का शोर नहीं पँहुचा ?@narendramodi जी क्या है सबका साथ ??
— Imran Pratapgarhi (@ShayarImran) August 9, 2021
इसका परिणाम ये हुआ कि जामिया के छात्रों पर रामभक्त ने गोली चला दी. और बाद में दिल्ली में दंगे भड़क गए. जिसमें 53 लोग मारे गए. कई दुकानें, मकान जला दिए गए. कई घर पूरी तरह तबाह गए. शायद पीढ़ियों तक वे इन जख्मों से उबर नहीं पाएंगे.
बड़ी चालकी से समाज में फैला दिया जहर
अश्वनी उपाध्याय की रैली को दिल्ली के तमाम पत्रकारों का समर्थन हासिल है. वे उसके प्रचार-प्रसार में जुटे हैं. कई मेरे खुद के जान-पहचान के हैं. जो बड़े संस्थानों में हैं. ये एक बात है. मूल बात ये है कि मुस्लिम समुदाय, जिसकी आबादी करीब 21 करोड़ से अधिक है. (New India Hate Muslims )
बहुसंख्यकों के एक हिस्से में उसके खिलाफ इस कदर नफरत कैसी पैदा हो गई कि, वो उसे मिटाने के लिए हिंसा का समर्थन करने लग गया है. इसका पूरा श्रेय भारतीय मीडिया को जाता है. जो पिछले एक दशक से मुसलमानों के खिलाफ दिनरात जहर परसोता रहा है.
यहां तक जब देश महामारी की चपेट में था, तब भी उसने तब्लीगी जमात एंगल का आविष्कार कर लिया. और हर रोज की उसकी डिबेट, खबरें, मुद्दें क्या हैं. ये पाठक रोज देख-सुन रहे हैं. इसलिए मीडिया की भूमिका को वह बेहतर समझ सकते हैं.
हामिंद अंसारी के एक बयान से घुटने लगा था दम
पूर्व उप-राष्ट्रपति हामिद अंसारी ने अपनी फेयरवेल के समय एक सवाल के जवाब कहा था कि, अल्पसंख्यकों में असुरक्षा की भावना रिसने लगी है. उनका ये बयान मीडिया के हलक में ऐसा अटका कि उसने हामिद अंसारी को ही एहसान फरामोश ठहरा बता डाला.
लेकिन अब जो भीड़ हिंसा का प्रेत सवार करके सड़कों पर नाच रही है. अल्पसंख्यक छोड़िए, क्या उसे देखकर एक आम भारतीय नागरिक के मन में असुरक्षा का भाव पैदा नहीं होता? तब, जब पुलिस-प्रशासन खुद सवालों के कठघरे में खड़ा हो. (New India Hate Muslims )
सुप्रीमकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अली जैदी ने राष्ट्रीय अल्पसंख्यक कल्याण आयोग को शिकायत की है. अल्पसंख्यक आयोग ने स्वत: संज्ञान का हवाला देते हुए दिल्ली पुलिस कमिश्नर को नोटिस जारी किया है. और 10 अगस्त को कमिश्नर को आयोग ने तलब किया है. कमिश्नर को आयोग के समक्ष बताएंगे कि उन्होंने मामले पर क्या कार्रवाई की है. कोई गिरफ्तारी हुई या नहीं.
इस मामले में सबसे अच्छी बात ये है कि मुसलमानों से ज्यादा बहुसंख्यक समाज ने आगे बढ़कर नारेबाजी की निंदा की है. और आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की आवाज उठाई है.
सुप्रीमकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस मार्केंडय काटजू ने प्रधानमंत्री और गृहमंत्री को भड़काऊ नारेबाजी की वीडियो टैग करते हुए लिखा-ये मेरा भारत नहीं हे. अगर देश की राजधानी का ये हाल है. तो ग्रामीणों क्षेत्रों की स्थिति क्या होगी?