तरावीह एक खास तरह की नमाज है-जानिए इसकी फजीलत

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द लीडर हिंदी : रमजान-ए-पाक का मुकद्द्स महीना शुरू हो चुका है. मुसलमानों के लिए ये महीना बहुत अहमियत रखता है. मुसलमान आज 11वां रोज़ा रख रहे है.चांद के हिसाब से 10 या फिर 11 अप्रैल को ईद मनाई जाएगी. रमजान के चांद का दीदार होने के साथ ही दुआओं और नमाजों का दौर भी शुरू हो जाता है. रोजाना पांच वक्त की नमाज पढ़ना इस्लाम का एक बुनियादी हिस्सा है. इस्लाम धर्म में अल्लाह और उसके रसूल पर ईमान लाने वाले सभी लोगों पर नमाज वाजिब हो जाती है, फिर चाहे मर्द हो या औरत, गरीब हो या अमीर, सभी लोगों के लिए 5 वक्त की नमाज पढ़ना जरूरी है.

अगर कुरआन की बात करें तो कुरआन के मुताबिक रमजान में रोजा रखना हर मुसलमान पर वाजिब है. इस पाक महीने में अल्लाह की खूब रहमत बरसती है. वैसे तो एक दिन में पांच वक्त की नमाज अदा की जाती है, लेकिन रमजान के महीने में तरावीह की नमाज पढ़ना भी जरूरी होता है. रमजान के महीने में ही तरावीह की नमाज पढ़ना भी जरूरी माना गया है.तरावीह एक खास तरह की नमाज है, जिसे रमजान शुरू होते ही मस्जिद और घरों में पूरे महीने पढ़ा जाता है. इसमें 20 रकअत तरावीह की नमाज रमजान के पूरे महीने में हर दिन अदा की जाती है

इस्लाम में तरावीह की नमाज सुन्नत-ए-मुवक्कदा है. सन्नत-ए-मुवक्कदा उस को कहते हैं, जिसको पैगंबर मुहम्मद ने हमेशा पढ़ा हो. कहा जाता है कि पैगंबर साहब ने पहली मर्तबा रमजान तरावीह की नमाज अदा की थी, इसलिए तब से तरावीह की नमाज सुन्नत हो गई. 20 रकअत तरावीह का नमाज पढ़ना हदीसों से साबित है. आइए इस लेख में जानते हैं तरावीह की नमाज कब, क्यों और कैसे पढ़ी जाती है और साथ ही इसकी क्या फजीलत है.लेकिन खास बात ये है मुस्लमानों के दो फिरके होते है शिया और सुन्नी. सुन्नी तरावीह अदा करता है.लेकिन शिया तरावीह नहीं पढ़ते.

तरावीह की नमाज 20 रकअत पढ़ी जाती
आपको बता दें ये पूरा महीना ही बड़ा मुकद्दस महीना माना जाता है. इस महीने की सभी नमाज़े बहुत अहमियत रखती है. ऐसे तो नमाज पांच वक्त की बढ़ी जाती है.लेकिन अगर तरावीह की नमाज की बात करे तो रावीह की नमाज 2-2 रकअत करके 20 रकअत पढ़ी जाती हैं यानी 2 रकअत के बाद सलाम फेरा जाता है. इसी तरह 2-2 रकअत 10 सलाम के साथ 20 रकअत तरावीह की नमाज पढ़ी जाती है. तरावीह की नमाज रमजान में ईशा की नमाज के बाद अदा की जाती है.

ईशा की नमाज के वक्त पढ़ी जाती तरावीह की नमाज
आपको बता दें कि मुसलमानों के लिए तरावीह की नमाज एक सुन्नत-ए-मव्ककदा नमाज है. रमजान में यह नमाज ईशा की नमाज के वक्त पढ़ी जाती है. तरावीह की नमा में हर चार रकअत नमाज के बाद तरावीह की दुआ या तस्बीह भी पढ़ने की रिवायत है.

क्या है तरावीह की नमाज का तरीका
तरावीह की नमाज पढ़ने का तरीका अलग-अलग हो सकता है. अगर आप किसी के पीछे तरावीह पढ़ रहे हैं, तो इस नमाज में कुरआन की तिलावत की जाती है. वहीं, अगर आप घर पर तरावीह पढ़ते हैं, तो दो-दो रकअत में 30 वें पारे की 10 सूरतें पढ़ी जाती हैं.

क्या सभी मुसलमान के ऊपर फर्ज है
तरावीह की नमाज किसी भी मुसलमान के ऊपर फर्ज नहीं है, यह सुन्नत नमाज है. फर्ज वो होता है, जिसका करना हर बालिग महिला और पुरुष पर करना जरूरी है, जैसे नमाज, रोजा, जकात, हज आदि. ऐसे में तरावीह की नमाज सुन्नत है, फ़र्ज या वाजिब नहीं है.

तरावीह की नमाज क्या घर पर पढ़ सकते हैं?
बेशक नमाज अल्लाह की इबादत है. नमाज पढ़ना हर मुस्लमानों के लिये जरूरी है. अगर बात तरावीह की नमाज पढ़ने की है तो पुरुषों के लिए तरावीह की नमाज जमात के साथ पढ़ना बेहतर है. लेकिन अगर किसी वजह से मस्जिद में नहीं पढ़ सकता है, तो घर पर भी तरावीह की नमाज पढ़ी जा सकती है. महिलाएं तरावीह की नमाज घर पर ही पढ़ती हैं. पूरे रमजान मुबारक के महीने में तरावीह की नमाज पढ़ना सुन्नत है और तरावीह की नमाज में मुकम्मल कुरआन का सुनना बेहद अच्छा है.

जानें तरावीह की नमाज की फजीलत
तरावीह की नमाज में हर सजदे पर 1500 नेकी लिखी जाती है. रमजान के महीने की रात में नूर बरसता है. अल्लाह आसमान से तरावीह पढ़ने वालो को देखता है और जो लोग तरावीह की नमाज पढ़ते हैं, उनपर अल्लाह की रहमत बरसती है. इसलिए रमजान सबसे मुबारक महीना कहा जाता है. इस महीने अल्लाह की रहमतें दुनिया पर बरसती हैं. रमजान में की गई इबादतों का सवाब कई गुना बढ़ जाता है. हदीसों के मुताबिक रमजान में 1 फर्ज नमाज अदा करने का सवाब 70 फर्ज अदा करने के बराबर होता है.

पुरुष और महिलाएं कैसे करें तरावीह की नियत
नियत की मैंने दो रकात नमाज सुन्नत तरावीह, अल्लाह तआला के वास्ते, वक्त ईशा का, पीछे इन इमाम के मुहं मेरा कअबा शरीफ की तरफ, अल्लाहु अकबर.. कह कर हाथ बांध लें फिर सना आयत पढ़ें.

नियत करती हूं दो रकात नमाज सुन्नत तरावीह की, अल्लाह तआला के वास्ते, वक्त ईशा का, मुहं मेरा मक्का कअबा शरीफ की तरफ, अल्लाहु अकबर..फिर हाथ ऊपर करके नियत बांध लेते हैं.

जानें तरावीह की किस रकअत में कौन सी सूरत पढ़ें?

पहली रकअत: अलम तारा कैफ सूरह

दूसरी रकअत: लि इलाफि क़ुरैश सूरत

तीसरी रकअत: सूरह अरा ऐतल लज़ी

चौथी रकअत: इन्ना आतैनाकल कौसर सूरह

पांचवीं रकअत: सूरह कुल या अय्युहल काफ़िरून

छठी रकअत: सूरह इज़ा जा अ नसरुल लाहि वल फतह

सातवीं रकअत: सूरह तब्बत यदा

आठवीं रकअत: सुरह क़ुल हुवल लाहू अहद

नौंवी रकअत: सुरह क़ुल अऊजु बिरबबिल फलक

दसवीं रकअत: सुरह कुल ऊजु बिरब बिन नास

जिस तरह रमजान में रोजा रखने और खोलने की दुआ पढ़ना जरूरी है, उसी तरह तरावीह की दुआ पढ़ना भी लाज़मी है. माह-ए-रमजान में तरावीह की दुआ के बहुत फजीलतें हैं और अगर बिना दुआ के नमाज पढ़ी जाती है, तो तरावीह का कम सवाब मिलता है.

सुबहानाज़िलमुल्कि वलमलाकूति* सुब्हानज़िल इज्ज़ति वल अज्मति वल हैबति वल क़ुदरति वल किबरियाइ वल जबरूत * सुब्हानल मलिकिल हय्यिल लज़ी ला यनामु वला यमूतु * सुब्बुहुन कुद्दुसून रब्बुना व रब्बुल मलाइकति वर्रूह * अल्लाहुम्मा अजिरना मीनन नारी या मुजीरू या मुजीरू या मुजीर *

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