बजट से खुश तालिबान बोले: Thank You Modi Ji

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मोदी सरकार के बजट से भारत में भले ही मजदूर, कर्मचारी, बेरोजगार, किसान बगैरा भले ही नाखुशी जाहिर रहे हों, लेकिन अफगानिस्तान में खुशी की लहर है। तालिबान सरकार भी मोदी सरकार की बजट में मेहरबानी से काफी खुश है। ऐसा क्या है बजट में? यह सवाल तो होगा ही। असल में बजट में मोदी सरकार ने ऐसी धनराशि भी आवंटित की है, जो अफगानिस्तानी अवाम में मुश्किलों को कम करेगी। (Taliban Happy With Budget)

खबरें बता रही हैं कि वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए भारत के बजट में अफगानिस्तान को सहायता के रूप में 200 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। हालांकि, यह चालू वित्त वर्ष में आवंटित 350 करोड़ रुपये की तुलना में कम है। यह आवंटन तब किया गया है, जब नई दिल्ली ने अफगानिस्तान में तालिबान शासन को मान्यता नहीं दी है।

अफगानिस्तान में पिछले साल अगस्त में तालिबान के अधिग्रहण के बाद हालात ठीक नहीं हैं। दो-तिहाई आबादी भुखमरी की कगार पर है। भीषण ठंड में बहुत बड़ी आबादी के पास कपड़े तक मयस्सर नहीं है। खबरें यहां तक हैं कि कुछ लोगों ने बच्चों या फिर किडनी बेचकर जिंदा रहने का रास्ता तक चुन लिया। (Taliban Happy With Budget)

ऐसे समय में भारत ने अफगानिस्तान को दवाओं के रूप में मानवीय सहायता भेजी है। अब, फरवरी में भारत के गेहूं की बहुप्रतीक्षित सहायता भेजने की उम्मीद है। नई दिल्ली और इस्लामाबाद ने योजना के तौर-तरीकों को औपचारिक रूप दिया है, क्योंकि यह रसद पाकिस्तान के क्षेत्र का इस्तेमाल करके पहुंचेगी।

2001 में अमेरिकी हमले के बाद, भारत अफगानिस्तान के बड़े मददगार के तौर पर सामने आया। अफगान संसद और हेरात में भारत-अफगानिस्तान मैत्री बांध समेत देश में बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में शामिल रहा है।

कुल मिलाकर विदेश मंत्रालय का बजट वित्त वर्ष 2022-2023 के लिए बढ़ाकर 17 हजार 250 करोड़ रुपये कर दिया गया है, जो वित्त वर्ष 2020-21 में 14 हजार 329 करोड़ रुपए था। (Taliban Happy With Budget)

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MEA के तहत स्वायत्त निकाय, भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (ICCR) का बजट में 20 करोड़ बढ़ाकर 320 करोड़ रुपए किया गया है।

वीवीआईपी यात्रा के लिए एयर इंडिया के विमान के रखरखाव लागत पर बजट आवंटन की बात पर कोई जानकारी नहीं दी गई है। चालू वित्त वर्ष में इसके लिए बजट 150 करोड़ रुपए था। दूतावासों और मिशनों के कामकाज के लिए आवंटित कुल धन 3769.06 करोड़ रुपए था, जो चालू वित्तीय वर्ष में 3240.07 रुपए से ज्यादा है।

नालंदा और दक्षिण एशियाई विश्वविद्यालयों के लिए 200 करोड़ रुपए और 128 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया। प्रवासी भारतीय दिवस के उत्सव के लिए 10 करोड़ रुपए और “सीमाओं के सीमांकन” पर 2 करोड़ रुपए की राशि रखी गई है।

बजट में विदेश सहायता आवंटन के तहत मालदीव 250 से बढ़ाकर 360 करोड़ रुपए, म्यांमार को 400 से बढ़ाकर 600 करोड़ रुपए, मंगोलिया को 2 से बढ़कर 12 करोड़ रुपए बांग्लादेश को 200 से बढ़ाकर 300 करोड़ रुपए किया गया है।

कुछ देशों का सहायता आवंटन चालू वित्तीय वर्ष के आवंटन से कम भी किया गया है या फिर जस का तस है। भूटान को 3004.95 करोड़ रुपए के मुबालने 2266.24 करोड़ रुपए, नेपाल को 992 करोड़ रुपए के मुकाबले 750 करोड़ रुपए, सेशेल्स को 160 करोड़ रुपए के मुकाबले 14.06 करोड़ रुपए कर दिया गया। श्रीलंका को 200 करोड़ रुपए और मॉरीशस को 900 करोड़ रुपए बजट में कोई बदलाव नहीं हुआ।

चाबहार बंदरगाह परियोजना के बजट आवंटन में कोई बदलाव नहीं हुआ, 100 करोड़ रुपए ही रहा। घोषित बजट में अफ्रीका को 300 करोड़, यूरेशियन देशों में 140 करोड़ लैटिन अमेरिका को 40 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया।


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