बहनें राखी बांधती हैं और भाई अपनी हमवतन बहनों की बोलियां लगाते हैं-ऐसा देश है मेरा…

द लीडर : ज़ुल्म फिर ज़ुल्म है-बढ़ता है तो मिट जाता है. ख़ून फिर ख़ून है टपकेगा तो जम जाएगा… साहिर लुधियानवी ने ज़ुल्म की ये जो औक़ात बतलाई है…