द लीडर हिंदी : सुप्रीम कोर्ट ने आज गुरुवार को चुनावी बॉन्ड को असंवैधानिक बताकर तत्काल रोक लगा दी.लोकसभा चुनाव से कुछ महीने पहले सुप्रीम कोर्ट ने ये बड़ा फैसला लिया. कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड द्वारा चंदा लेने तत्काल रोक दिया. कोर्ट ने कहा कि बॉन्ड की गोपनीयता बनाए रखना असंवैधानिक है. यह स्कीम सूचना के अधिकार का उल्लंघन है.
बता दें चुनावी बॉन्ड किसे कहते है.दरअसल योजना के मुताबीक चुनावी बॉन्ड भारत के किसी भी नागरिक या देश में स्थापित ईकाई द्वारा खरीदा जा सकता था. कोई भी व्यक्ति अकेले या अन्य व्यक्तियों के साथ मिलकर चुनावी बॉन्ड खरीद सकता था.
वही आज गुरुवार को 5 जजों की बेंच ने सर्वसम्मति से येे फैसला सुनाया. इस दौरान चीफ जस्टिस ने कहा, ‘पॉलिटिकल प्रॉसेस में राजनीतिक दल अहम यूनिट होते हैं. पॉलिटिकल फंडिंग की जानकारी, वह प्रक्रिया है, जिससे मतदाता को वोट डालने के लिए सही चॉइस मिलती है. वोटर्स को चुनावी फंडिंग के बारे में जानने का अधिकार है, जिससे मतदान के लिए सही चयन होता है.
वैधता के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला
लोकसभा चुनाव सिर पर है ऐसे में कोर्ट का ये फैसला आना चुनावी दल में हलचल मचा सकता है. चुनावी बॉन्ड योजना की वैधता के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट आज फैसला सुना दिया है. अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड पर रोक लगा दी है.
वही सुप्रीम कोर्ट ने इसे असंवैधानिक बताया और सरकार को किसी अन्य विकल्प पर विचार करने को कहा है. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड योजना की आलोचना करते हुए कहा कि राजनीतिक पार्टियों को हो रही फंडिंग की जानकारी मिलना बेहद जरूरी है.इलेक्टोरल बॉन्ड सूचना के अधिकार का उल्लंघन है.
सुप्रीम कोर्ट ने SBI से कह दी ये बड़ी बात
बता दें सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई को सलहा देते हुए निर्देश दिया कि वे इलेक्टोरल बॉन्ड इश्यू करना बंद कर दें. साथ ही कहा कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) 12 अप्रैल 2019 से अब तक खरीदे गए इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी चुनाव आयोग को दे. यह जानकारी वेबसाइट पर सार्वजनिक भी करे.इसका पूरा ब्योरा दें.चुनावी बॉन्ड को लेकर चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने सर्वसम्मति से फैसला सुनाया.
हालांकि पीठ में दो अलग विचार रहे, लेकिन पीठ ने सर्वसम्मति से चुनावी बॉन्ड पर रोक लगाने का फैसला सुनाया.वही सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में एसबीआई बैंक को 2019 से अब तक चुनावी बॉन्ड की पूरी जानकारी देने का आदेश दिया है. भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने पिछले साल दो नवंबर को मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसे आज सुनाया गया.
फैसले के क्या है 5 बड़े पॉइंट्स बताते है.
1. सुप्रीम कोर्ट ने कहा- SBI राजनीतिक दलों का ब्योरा दे, जिन्होंने 2019 से अब तक इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए चंदा हासिल किया है.
2. सुप्रीम कोर्ट ने कहा- SBI राजनीतिक दल की तरफ से कैश किए गए हर इलेक्टोरल बॉन्ड की डिटेल दे, कैश करने की तारीख का भी ब्योरा दे.
3. सुप्रीम कोर्ट ने कहा –SBI सारी जानकारी 6 मार्च 2024 तक इलेक्शन कमीशन को दे और इलेक्शन कमीशन 13 मार्च तक अपनी ऑफिशियल वेबसाइट पर इसे पब्लिश करे।
4. सुप्रीम कोर्ट ने कहा-राजनीतिक चंदे की गोपनीयता के पीछे ब्लैक मनी पर नकेल कसने का तर्क सही नहीं.यह सूचना के अधिकार का उल्लंघन है.
5. सुप्रीम कोर्ट ने कहा- कंपनी एक्ट में संशोधन मनमाना और असंवैधानिक कदम है. इसके जरिए कंपनियों की तरफ से राजनीतिक दलों को असीमित फंडिंग का रास्ता खुला.