द लीडर : पाकिस्तान की सुप्रीमकोर्ट ने अपने एक आदेश में कहा है कि हिंदू संत श्री परमहंस जी महाराज की तोड़ी गई समाधि का दो हफ्ते के अंदर दोबारा निर्माण शुरू कराया जाए. इसके साथ ही खैबर पख्तूनवाह प्रांत की सरकार को कोर्ट में इसकी रिपोर्ट पेश करने को कहा है. अदालत ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि इस घटना से पूरी दुनिया में मुल्क की छवि खराब करने वाला संदेश गया है.
बीते दिनों कट्टरपंथियों की एक भीड़ ने खैबर पख्तूनवाह प्रांत के करक जिले में स्थित संत श्री परमंस जी की समाधि ढहा दी थी. इस घटना के वायरल वीडियो ने पूरी दुनियां का ध्यान खींचा था. इस पर भारत सरकार ने भी पाकिस्तान के समक्ष कड़ी आपत्ति दर्ज कराई थी.

बहरहाल, पाकिस्तान के सुप्रीमकोर्ट ने घटना का स्वत: संज्ञान लेते हुए सुनवाई शुरू की. मंगलवार को चीफ जस्टिस गुलजार अहमद की अगुवाई में तीन सदस्यीय बेंच ने मामले को सुना. कोर्ट ने कहा कि समाधि का न सिर्फ पुननिर्माण कराया जाए, बल्कि इसके खर्च की वसूली तोड़ने वालों से की जाए.
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बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक सुनवाई के वक्त आइजी सनाउल्ला ने कोर्ट को बताया कि इस मामले में करीब 92 पुलिसकर्मियों को निलंबित किया जा चुका है. जबकि 109 लोगों की गिरफ्तार की गई है. उन्होंने एक मौली पर हिंसा भड़काने की जानकारी दी है. इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि पुलिस अधिकारियों का निलंबन काफी नहीं है. सरकार के आदेश का किसी भी हाल में पालन होना चाहिए.
अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने पर आलोचना
अल्पसंख्यकों को निशाना बनाये जाने को लेकर पाकिस्तान की आलोचना होती रही है. हाल ही में बलूचिस्तान प्रांत में 11 कोयला खनिकों को अगवा कर मौत के घाट उतारने का मामला सामने आ चुका है. मृतक शिया हाजरा समुदाय के थे. इसको लेकर पाकिस्तान में विरोध प्रदर्शन भी हो रहे हैं.