नीतिश कुमार को लेकर हुआ ऐसा खुल्लासा, उड़ गए बीेजेपी के होश

द लीडर हिंदी : बिहार में राजनीति की अलग की धारा बह रही है..यहां राजनीतिक का घटनाक्रम काफी तेजी से बदल रहा है. लोकसभा चुनाव सिर पर है. और बिहार में उलटफेर का दौर चल रहा है. हालांकि, इसकी शुरूआत काफी पहले हो गई थी. जब जातिगत जनगणना के बाद बीजेपी ने राज्य में एक आंतरिक सर्वे कराया था.

उस सर्वे के नतीजे ने बीजेपी के होश ही उड़ा दिए. पता चला कि बिहार के अति पिछड़ों के 36 फीसदी वोट पर नीतिश कुमार की मजबूत पकड़ है. ऐसे में आगामी लोकसभा चुनाव का पूरा समीकरण बिगड़ जाएगा. इसके बाद बिहार में पर्दे के पीछे मौदूगा बीजेपी सरकार की गुणा-गणित के साथ तोड़फोड़ की राजनीति शुरू हो गई.

बता दें एक हफ्ते से बिहार में नीतिश कुमार के राजद का दामन छोड़कर भाजपा का दामन पकड़ने की खबरें चल रही थीं. वही दो दिनों में गतिविधियां काफी तेज हो गर्इं. बीजेपी सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबीक, इंटरनल सर्वे ने बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व को नीतिश कुमार पर डोरे डालने पर मजबूर कर दिया. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबीक भाजपा के एक बड़े नेता ने बताया कि कुछ दिनों पहले पार्टी ने लोकसभा चुनाव को लेकर इंटरनल सर्वे कराया था.

जिसके आंकड़ों ने बीजेपी नेताओं के माथे पर शिकन ला दी. वही इसके बाद अमित शाह पर्दे के पीछे सक्रिय हो गए. बीजेपी सूत्र के अनुसार इस सर्वे में ये सामने आया कि बिहार में अति पिछड़ा वर्ग के ज्यादातर वोटर लोकसभा चुनाव के दौरान भी नीतिश कुमार के साथ जुड़े हुए होंगे.

जिसकी वजह से भाजपा को बिहार में 10 से ज्यादा सीटों का नुकसान हो सकता है. बीजेपी ये मानती रही है कि पीएम मोदी के करिश्मे और केंद्र सरकार की नीति-योजनाओं की वजह से उन्होंने अति पिछड़ा वोट बैंक में सेंधमारी की है. लेकिन सर्वे के सामने आने के बाद आलाकमान को झटका लगा.

जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक, बिहार में सबसे ज्यादा 36 फीसदी आबादी अति पिछड़ा वर्ग की है.वही बीजेपी के सीनियर लीडर ने दावा किया कि फिलहाल भाजपा शीर्ष नेतृत्व का पूरा फोकस लोकसभा चुनाव पर है और उनका लक्ष्य पीएम मोदी के ट्रैक रिकॉर्ड को बनाए रखना है.

बीजेपी का लक्ष्य है 2024 में 2019 से भी ज्यादा सीटें लाना. ये तभी संभव है जब एनडीए बिहार में अपने पिछले प्रदर्शन (40 में से 39 सीट) से बेहतर करे या उसे बरकरार रखे. बीजेपी के इंटरनल सर्वे से ये साफ था कि ये तभी संभव है जब नीतिश कुमार भाजपा के साथ रहें.

इसी लिये नीतिश कुमार को बीजेपी अपने खेमें में लाने की पूरी कोशिश कर रही है.अति पिछड़ा वोट बैंक पर नीतिश कुमार की इतनी मजबूत पकड़ को देखते हुए ही भाजपा आलाकमान ने उन्हें अपने पाले में लाने का फैसला लिया.

मीडिया में नीतिश की नाराजगी की खबर आने के बाद भाजपा ने अपनी मुहिम तेज कर दी. कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम बतौर पीएम उम्मीदवार प्रस्तावित किए जाने से नीतिश नाराज हो गए. भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने इसी समय अपना दांव चला और नीतिश को एनडीए में वापस लाने के लिए खुद अप्रोच किया. बिहार में जारी सियासी सरगर्मी के बीच पटना से लेकर दिल्ली तक लगातार बैठकें होने लगीं.

नीतिश कुमार की एनडीए में वापसी का जिम्मा खुद केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने अपने कंधों पर ले लिया. बीते दो दिनों में उन्होंने बिहार भाजपा और केंद्रीय नेताओं के साथ कई दौर की बैठकें कीं. इसके बाद दिल्ली से केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का निर्णय लेकर बिहार भाजपा प्रभारी विनोद तावड़े और पूर्व उप मुख्यमंत्री कल शनिवार को पटना पहुंचे.

भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने दावा किया कि ‘भाजपा आगामी विधानसभा चुनाव में अकेले 160 सीटें जीत सकती है, लेकिन लोकसभा चुनाव में उन्हें नीतिश कुमार की जरूरत है. नीतिश कुमार अति पिछड़ा वोट बैंक के ब्रांड हैं और भाजपा को इस ब्रांड का फायदा मिलेगा. और 2024 में बीजेपी नीतिश कुमार के चेहरे से काफी फायदा भूनवा सकती है.

Abhinav Rastogi

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