मनमीत, जोशीमठ
रविवार होने के चलते गांव के लोग अपने ही घरों में नाश्ता कर बैठे हुए थे। कोई खेतों की तरफ जाने की तैयारी में था तो कोई जरूरी सामान खरीदने जोशीमठ जाने के लिये तैयार हो रहा था। तभी तेज धमाका हुआ। शुरूआत में किसी के कुछ समझ नहीं आया।
जब नीचे नदी में जलजला देखा तो सबके होश उड़ गए। नदी में बन रहे बांध के बीचोंबीच मजदूर काम कर रहे थे। हमने शोर मचाना शुरू किया। गांव के कुछ परिवारों के खेत नदी के किनारे हैं। वो काश्तकार खेतों में ही थे। ये बात बताते हुए गांव की प्रधान शोभा राणा गहरे सदमे में दिखीं।
स्थानीय निवासी भगवान सिंह राणा बताते हैं कि हमने बहुत कोशिश की लोगों को बचाने की, लेकिन सब कुछ मिनटों में खत्म होता चला गया।
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जोशीमठ नगर से 23 किमी आगे मलारी बार्डर हाईवे से लगे हुए रैणी गांव से लगभग 20 किमी ऊपर पहाड़ी से एवलांच का एक भाग टूटकर कृत्रिम झील में गिरा। जिससे रैणी समेत आस पास के क्षेत्र में व्यापक तबाही हुई है।
ग्रामीणों के अनुसार रविवार की सुबह साढे़ दस बजे यह ग्लेशियर टूटा। जिसे सबसे पहले पैंग मुरंडा के ग्रामीणों ने देखा और आसपास के गांव वालों को इत्तला देने के लिए उंचाई वाले स्थानों पर जाकर शोर मचाया।
झील टूटने का मंजर इतना भयावह था कि देर शाम तक ग्रामीण सदमें में रहे। इस बाढ़ की चपेट में आने से 11 स्थानीय लोगों के लापता होने की भी सूचना है। साथ ही ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट के लगभग 50 तो वहीं एनटीपीसी द्वारा निर्माणधीन तपोवन विष्णुगाड़ जलविद्युत परियोजना में काम करने वाले दर्जनों कर्मचारियाें-मजदूरों के भी लापता होने की सूचना मिल रही है।
रैणी गांव से लगभग 4 किमी ऊपर पैंग मुरंडा गांव है। जिससे लगभग 5 किमी ऊपर एक ग्लेशियर जिसे स्थानीय लोग रौंठी ग्लेशियर के नाम से पुकारते हैं का एक बड़ा भाग रविवार को सुबह लगभग साढे़ दस बजे टूट गया। हिमस्खलन का वेग इतना अधिक था कि इसके रास्ते में आने वाली चट्टानें, पेड़, बोल्डर सभी हवा में उड़ते हुए कई किलोमीटर नीचे ऋषि गंगा नदी एवं धौली नदी के संगम तक पहुंचे।
चंद पलों में रैणी स्थित नदी में बनी 13.2 मेगावाट की ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट भी पूरी तरह से मलबे में दब गया, अब यहां मलबे का ढेर लगा हुआ है। प्रोजेक्ट का बैराज, टनल, स्टाफ क्वाटर, मशीनें सभी मलबे की भेंट चढ़ गईं।
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जलजले की आवाज सुनकर कंपनी में काम करने वाले 11 वर्कर एवं कंपनी के गेट में तैनात 4 में से दो पुलिसकर्मियों ने किसी तरह अपनी जान बचाई। घटना की सूचना मिलते ही पुलिस प्रशासन एवं बचाव दल मौके के लिए रवाना हुआ। लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
तहसीलदार जोशीमठ प्रदीप नेगी ने बताया कि जब यह ग्लेशियर टूटकर नदी के वेग के साथ नीचे आया तो रैणी गांव के आसपास काश्तकारी कर रहे 5 ग्रामीण इसकी चपेट में आ गए जो अब लापता हैं। 5 झूला पुल व मलारी बार्डर हाईवे में रैणी में स्थित मुख्य पुल भी बह गया है। उन्होंने बताया कि धौली एवं अलकनन्दा नदी के किनारे के सभी गांवों को अलर्ट कर दिया गया है।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने तपोवन एवं रैणी के प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर लोगों को आश्वस्त किया कि जो गांव संपर्क से टूट गए हैं वहां तक रसद आदि पहुंचाने का उत्तरदायित्व शासन प्रशासन का है और जल्द सभी क्षेत्रों को संपर्क से जोड़ दिया जाएगा। सीएम ने बचाव में लगे आईटीबीपी, सेना, एसडीआरएफ के लोगों से आवश्यक जानकारियां प्राप्त कीं।