मुंबई में वक़्फ़ क़ानून पर चुभते सवाल और जेपीसी अध्यक्ष के जवाब

द लीडर हिंदी : केंद्र की मोदी सरकार के वक़्फ़ क़ानून में बदलाव का बिल लाने से उलमा-ए-कराम बेचैन हैं और नारज़गी भी जता रहे हैं. इस बिल को बदलाव से पहले संसद की संयुक्त कमेटी के हवाले कर दिया गया है, जिसका सदर जगदम्बिका पाल को बनाया है. वो जब मुंबई पहुंचे तो वहां उन्होंने रविवार दोपहर मरीन ड्राइव स्थित इस्लाम जिमखाना में उलमा-ए-कराम से बात की. सय्यद मुईनुद्दीन अशरफ़ मुईन मियां और मुहम्मद सईद नूरी की क़यादत में उलमा ने अपनी बात को उनके सामने मज़बूती से रखा. सरकार की नीयत पर शक और शुबह ज़ाहिर किया. देश में रक़बे के एतबार से तीसरी सबसे बड़ी जायदाद को लेकर चुभते सवाल उठे.

जेपीसी अध्यक्ष ने उलमा की बात को ध्यान से सुना और उनके जवाब दिए. बाद में मीडिया से मुख़ातिब हुए. इस मीटिंग को हमारे मुंबई रिपोर्टर अमजद ख़ान ने कवर किया है. इस दौरान जगदम्बिका पाल ने कह कि हमारा मक़सद एक अच्छा क़ानून बनाना है. बहरहाल अब उनकी अगुवाई वाली लोकसभा और राज्यसभा सदस्यों की जेपीसी संसद के अगले सत्र में क्या रिपोर्ट पेश करेगी. उसका सभी को बेसब्री से इंतज़ार रहेगा, लेकिन उससे पहले आल इंडिया सुन्नी जमीतुल उलमा के अध्यक्ष सय्यद मुईन मियां ने हमसे बातचीत में साफ कर दिया है कि जेपीसी अध्यक्ष से बातचीत में वक़्फ़ जायदाद पर खुराफ़ात को लेकर आगाह कर आए हैं. मतलब यह कि उलमा ने बंद लफ़्ज़ों में बता दिया है कि अगर वक़्फ़ संशोधन क़ानून उनकी उम्मीदों के बरख़िलाफ़ हुआ तो वो इसके ख़लाफ़ जा सकते हैं.

बतादें भाजपा ने 8 अगस्त को लोकसभा में विधेयक पेश किया था, लेकिन अन्य दलों के विरोध के बाद इसे जेपीसी को भेज दिया गया. 31 सदस्यीय समिति में 21 लोकसभा सांसद और 10 राज्यसभा सदस्य हैं. समूह की पहली बैठक 22 अगस्त को होनी है. पाल मुस्लिम समुदाय के सदस्यों से बातचीत करने और 1995 में लागू मौजूदा कानून में प्रस्तावित बदलावों पर प्रतिक्रिया जुटाने के लिए मुंबई में थे.https://theleaderhindi.com/kolkata-rape-murder-case-governor-calls-emergency-meeting-on-harbhajans-letter/

Abhinav Rastogi

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