द लीडर | कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने आज लोकसभा में स्कूलों में ‘मिड डे मील’ शुरू करने और आंगनबाड़ियों में पका हुआ भोजन उपलब्ध कराने के लिए कम्युनिटी किचन शुरू करने का मुद्दा उठाया। सोनिया गांधी ने लोकसभा में शून्य काल के दौरान मिड डे मील का मुद्दा उठाते हुए कहा कि, सूखा राशन पके हुए खाने का विकल्प नहीं है। स्कूल जाने वाले बच्चे पके हुए खाने से वंचित है। कोरोना काल में सबसे पहले स्कूलों को बंद किया गया और सबसे देरी से स्कूलों में पढ़ाई शुरू की गई है। ऐसे में बच्चों को सही पोषण उपलब्ध नहीं हो पाया। इसे तुरंत शुरू किया जाना चाहिए।
महामारी के बाद से हमारे देश के भविष्य यानी बच्चों को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है।
स्कूल सबसे पहले बंद हुए और सबसे आखिर में खुले।
इसी के साथ मिड डे मील की व्यवस्था बंद हो गई थी।
मेरा सरकार से आग्रह है कि मिड डे मील को तुरंत शुरू करे : कांग्रेस अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गांधी जी pic.twitter.com/ikOIQKPh4g
— Congress (@INCIndia) March 23, 2022
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सूखा राशन पके हुए पौष्टिक भोजन का विकल्प नहीं – सोनिया गांधी
सोनिया गांधी ने कहा कि मिलने वाला सूखा राशन पके हुए पौष्टिक भोजन का विकल्प नहीं बन सकता है। कांग्रेस अध्यक्ष ने आगे कहा कि मैं केंद्र सरकार से आग्रह करती हूं कि मिड-डे मील के तहत गर्म और पका हुआ भोजन बच्चों को देना फिर से शुरू किया जाए।
सोनिया ने आगे कहा कि आंगनवाड़ियों की मदद से तीन साल से कम उम्र के बच्चों के लिए और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए भी पके हुए पौष्टिक भोजन की व्यवस्था होनी चाहिए। कांग्रेस अध्यक्ष ने आगे यह भी दावा किया कि पांच साल से कम आयु के बच्चे जो बेहद कमजोर है उनका प्रतिशत (संख्या) 2015-16 की तुलना में बढ़ गया है। सोनिया गांधी ने community kitchen शुरू करने की भी वकालत की।
कोरोना की वजह से बच्चों को योजना का नहीं मिला लाभ
सोनिया गांधी ने कहा कि आंगनबाड़ी में भी पके हुए खाने की व्यवस्था की जानी चाहिए। पांच साल से छोटे बच्चे, गर्भवती महिलाएं और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को यह पका हुआ खाना उपलब्ध कराया जाना चाहिए। उन्होंने केंद्र सरकार से इसके लिए कम्यूनिटी किचन को शुरू करने की मांग की है। उल्लेखनीय है कि पिछले डेढ़ साल से अधिक समय से स्कूल बंद रहने की वजह से बच्चे मिड डे मील का लाभ नहीं उठा पाए हैं। ऐसे में सरकार की तरफ से उन्हें सूखा राशन उपलब्ध कराया जाता है।
वर्ष 1995 में शुरू हुई थी यह योजना