कनाडा में 130 साल पुराने स्कूल परिसर से खोद कर निकाले कभी प्रताड़ित कर मारे गए 215 आदिवासी बच्चों के कंकाल

 

द लीडर डेस्क

कनाडा के पश्चिमी प्रान्त ब्रिटिश कोलंबिया में हाल ही में एक स्कूल परिसर की खुदाई में 1890 से 1970 के बीच के इतिहास का एक बेहद काला अध्याय सामने आया है। कैमलूप्स एक कस्बा हैं यहां कैमलूप्स इंडियन रेसिडेंसियल स्कूल नाम के कुख्यात आवासीय विद्यालय परिसर के एक हिस्से की खुदाई में अब तक 215 बच्चों के कंकाल निकाले जा चुके हैं। जमीन के नीचे की वस्तुओं का पता लगाने वाले रडार की मदद से ये शव मिले। सूत्रों के मुताबिक इनकी संख्या और बढ़ सकती है, क्योंकि स्कूल के मैदान और आसपास के इलाकों की तलाशी ली जानी अभी बाकी है।
कई बार चर्चाओं में आये इस स्कूल का ये काला सच कहीं दस्तावेजों में नहीं है लेकिन ये बात कई बार कही गई कि यहां बच्चों को यातना देकर मारा गया उनका यौन शोषण भी हुआ।

कैसा था ये स्कूल

अंग्रेजों ने धरती के इस हिस्से पर जब अपने राज का विस्तार किया तो अपनी संस्कृति को फैलाने के लिए वहां के मूल निवासियों का  कथित सभ्य बनाने का अभियान छेड़ा। इस क्रम में 139 स्कूल खोले गए। कैमलूप्स का स्कूल इनमें सबसे बड़ा था, यहां एक साथ 500 बच्चे पढ़ सकते थे।खर्च सरकार देती थी औऱ संचालन कैथोलिक मिशनरी करते थे। देश भर से पकड़ कर आदिवासियों के बच्चों को सभ्य बनाने के नाम पर जबरन ईसाई बना कर इस कुख्यात स्कूल में डाला जाता था। फिर उन्हें अपनी बोली भाषा और संस्कृति छोड़ने के लिए प्रताड़ित किया जाता था। यौन शोषण और मारपीट के बाद कुछ की जान ही चली जाती थी। कुछ कंकाल तो तीन वर्ष तक के बच्चों के हैं।

वो कुख्यात स्कूल

शर्मसार है कनाडा

उस दौर के कथित सभ्य लोगों की इस क्रूरता का किस्सा सामने आने पर आज पूरा कनाडा शर्मसार है। रविवार को लोगों ने इस स्कूल की सीढ़ियों पर बच्चों के 200 जोड़ी जूते चप्पल रख कर श्रद्धांजलि दी।
ब्रिटिश कोलंबिया के प्रीमियर जॉन होरगन ने कहा मेरा दिल बैठा जा रहा है मैं बहुत दहशत में हूँ। चीफ कॉरोनर लिसा लेपोइंटे ने कहा मैं गमजदा लोगों के साथ हूँ। हम इस दुखद खुलासे को देख रहे हैं । अभी काम जारी है। जून में इसकी पूरी रिपोर्ट देंगे।

देर से सामने आया ये सच

2015 में ट्रूथ एंड रिकांसिलिएशन कमीशन ने संस्थान में बच्चों के साथ हुए दुर्व्यवहार पर विस्तृत रिपोर्ट दी थी। इसमें बताया गया कि दुर्व्यवहार एवं लापरवाही के कारण कम से कम 3200 बच्चों की मौत हो गई।  बताया गया कि कैमलूप्स आवासीय स्कूल में 1915 से 1963 के बीच कम से कम 51 मौत हुई थी। कनाडाई सरकार ने 2008 में संसद में माफी मांगी थी और स्कूलों में शारीरिक तथा यौन शोषण की बात स्वीकार की थी।
ब्रिटिश कोलंबिया के सैलिश भाषा बोलने वाले एक समूह फर्स्ट नेशन की प्रमुख रोसेन कैसमिर ने कहा कि कैमलूप्स इंडियन रेजीडेंशियल स्कूल के दस्तावेजों में कभी इसका जिक्र नहीं किया गया।19वीं सदी से 1970 के दशक तक फर्स्ट नेशन के 150,000 बच्चों को धर्म परिवर्तन के लिए विवश किया जाता रहा। उन्हें अपनी मातृ भाषा बोलने नहीं दी जाती थी। कई बच्चों को पीटा जाता था और माना जाता है कि उस दौरान 6,000 बच्चों की मौत हो गयी थी। 1970 में संघीय सरकार ने कैथोलिक चर्च से इसका संचालन अपने हाथों में ले लिया और यह स्कूल 1978 में बंद हो गया।

सत्ता और जुल्म की एक कहानी

दरअसल कमजोर को जीत कर राज करने और उसे अपनी मूल सभ्यता से दूर कर अपना जैसा बनाने की इंसानी सभ्यता की अनगिनत कहानियों में से ये भी एक है। अमेरिका में यूरोप के गोरों ने वहां के मूल निवासियों को रेड इंडियंस कहा तो कनाडा में इंडियंस। जब वो भारत आये तो हमें भी हिदुस्तानी और भारतीय से हटकर कर हिकारत भरा इंडियन नाम मिला जिसे आज हम फ़ख्र के साथ अंगीकार कर चुके। ये जो कंकाल मिले हैं ये उन्हीं इंडियंस यानी मूल निवासी या आदिवासियों के बच्चोँ के हैं। आज वहां करीब 634 आदिवासी समूह हैं जिन्हें फर्स्ट नेशन कहा जाता है, ये अल्पसंख्यक की श्रेणी में हैं और कुल आबादी का करीब 5 फीसद हैं।

कनाडा के आदिवासी

लेकिन अब ऐसा नहीं

जब एक कौम दूसरे को अपनी प्रजा बनाती है तो इस तरह के जुल्म होते रहे हैं। धर्मान्तरण भी इसीलिए हुए। आज कनाडा मानवधिकारों के मामले में बहुत बेहतर है। वहां के आदिवासियों को अब फर्स्ट नेशन का सम्मानजनक नाम मिला है। फर्स्ट नेशन, इनुइट्स और मेतिस के लिए दस्तावेजों में इंडियंस और एस्किमो नाम आते हैं लेकिन प्रचलन में नहीं। इन शब्दों को अपमानजनक मानते है। जैसे भारत में शुद्र शब्द है। इसी तरह मूलनिवासी या ‘ऐबोरिजिनि’ शब्द का भी बहुत कम प्रयोग किया जाता है।

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