द लीडर : हरियाणा के करनाल स्थित कैमला गांव में किसान महापंचायत से पहले बड़ा बखेड़ा खड़ा हो गया. मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर महापंचायत को संबोधित करने वाले थे. कृषि कानूनों से नाराज किसान इसके विरोध में जमा हो गए. वे पुलिस के हटाने पर भी नहीं हटे. इस पर पुलिस ने पानी की बौछार और आंसू गैस के गोले दागकर विरोध में उतरी किसानों की भीड़ को तितर-बितर किया है.
केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों (Farm Laws)को लेकर किसान खफा हैं. इसको लेकर दिल्ली की सीमाओं पर पिछले करीब 46 दिनों से आंदोलन जारी है. इसमें पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, यूपी समेत अन्य राज्यों के हजारों किसान शामिल हैं. दिल्ली के सिंघु बॉर्डर, यूपी गेट और टिकरी बॉर्डर पर किसान धरने पर बैठे हैं.
शर्म कीजिए खट्टर साहेब।
जब आप किसान महापंचायत कर रहे हैं तो वहाँ आने से किसानों को ही रोकने का मतलब क्या है?
मतलब साफ़ है-आपको किसानों से सरोकार न होकर केवल इवेंटबाजी से मतलब है।
याद रखिए, यही हाल रहा तो बिना पुलिस के आपका घर से निकलना नामुमकिन हो जाएगा।
काले क़ानून वापस लें। pic.twitter.com/SllwV6CjFy
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) January 10, 2021
इसी क्रम में रविवार को हरियाणा में किसानों की एक महापंचायत बुलाई गई. इस मकसद से कि किसानों को कृषि कानूनों के फायदे बताए जाएं. मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को इसे संबोधित करना था. एडीटीवी की एक रिपोर्ट के मुताबिक इसके विरोध में सैकड़ों किसान महापंचायत के पास पहुंच गए. तब पुलिस ने कार्रवाई की है.\
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घटना पर कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने एक ट्वीट कर खट्टर सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने लिखा, ‘माननीय मनोहर लाल जी करनाल के कैमला गांव में किसान महापंचायत का ढोंग बंद कीजिए. अन्नदाताओं की संवेदना-भावनाओं से खिलावाड़ कर कानून व्यवस्था बिगाड़ने की साजिश भी बंद कीजिए. अगर संवाद करना है तो पिछले 46 दिनों से सीमाओं पर धरना दे रहे किसानों से कीजिए.’
पहले भी किसानों पर दागे थे आंसू गैस के गोले
पिछले साल नवंबर में जब हरियाणा और पंजाब के किसानों ने दिल्ली के लिए कूच किया था. तब भी हरियाणा सरकार ने किसानों के विरुद्ध कार्रवाई की थी. इसमें आंसू गैस के गोले दागने, पानी की बौछार और सड़क काटने तक की कार्रवाईयां शामिल थीं. इसको लेकर राज्य सरकार की देशभर में कड़ी आलोचना भी हुई थी.
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आठ दौर की असफल बातचीत
कृषि कानूनों को लेकर किसान नेताओं और सरकार के बीच आठ दौर की बातचीत हो चुकी है. जिसमें कोई हल नहीं निकला है. बीती 8 जनवरी को हुई बैठक के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने ये संकेत दिया था कि अगर कानूनों के समर्थक किसान चाहेंगे तो उन्हें भी बैठक में शामिल करने पर विचार किया जाएगा. हालांकि अभी उन्हें चर्चा में शामिल करने का कोई इरादा नहीं है. हरियाणा में आयोजित महापंचायत को कृषि मंत्री के उसी बयान के संदर्भ में भी देखा जा रहा है.