लखनऊ | राजधानी लखनऊ और गौतमबुद्धनगर में पुलिस कमिश्नरेट लागू होने के बाद अब वाराणसी और कानपुर में भी यही व्यवस्था लागू की जाएगी। सरकार का मानना है कि बड़े जिलों में अपराध नियंत्रण के लिहाज से ये एक सफल प्रयोग है। साथ ही इससे यातायात व्यवस्था में भी सुधार हुआ है। माना जा रहा है कि जल्द ही कैबिनेट इस पर फैसला करेगी ।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 13 जनवरी 2020 को लखनऊ व गौतमबुद्धनगर में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू किए जाने का निर्णय लिया था। दोनों शहरों में पुलिस कमिश्नर प्रणाली की सफलता को देखते हुए अब इसके बारे में आगे निर्णय लिया गया है और प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी और औद्योगिक नगरी कानपुर में भी पुलिस कमिश्नरेट व्यवस्था लागू करने का फैसला किया है।
इससे पहले जिन जगहों पर ये लागू किया गया है वहाँ से ठीक ठाक प्रतिक्रिया आई है इसीलिए कानपुर और वाराणसी में इसको लागु किये जाने के बाद यह उम्मीद जताई जा रही है कि यहाँ भी इसको बाकी राज्यों कि तरह सफलता ज़रूर मिलेगी।
पुलिस कमिश्नरेट क्या है ?
भारतीय पुलिस अधिनियम के तहत डीएम के पास पुलिस पर नियंत्रण के अधिकार होते हैं। कमिश्नर प्रणाली लागू होने के बाद ये अधिकार पुलिस कमिश्नर के पास चले जाएंगे। सीआरपीसी के तहत एग्जिक्यूटिव मैजिस्ट्रेट के अधिकार, जो प्रशासन के पास होते हैं वे पुलिस के पास होंगे।
कमिश्नर व्यवस्था लागू होने के बाद डीएम के पास पुलिस का नियंत्रण नहीं होगा। धारा-144 लागू करने, कर्फ्यू लगाने का अधिकार, गैंगस्टर और गुंडा ऐक्ट की कार्रवाई पुलिस सीधे कर सकेगी। जुलूस-प्रदर्शन की अनुमति पुलिस देगी, सीआरपीसी की धारा 151 के तहत निरोधात्मक कार्रवाई भी कर सकेगी। ये अधिकार अब तक डीएम व प्रशासनिक अफसरों के पास थे। हालांकि लेकिन राजस्व से जुड़े अधिकार डीएम के पास ही रहता है। आर्म्स ऐक्ट, सराय ऐक्ट, आबकारी, मनोरंजन कर और परिवहन आदि जिलाधिकारी के अधिकार क्षेत्र में ही रहता है।
मुफ्तखोर पुलिस कप्तान पर भी हो सकती है कार्रवाई
प्रदेश सरकार आज एक पुलिस कप्तान पर भी कड़ी कार्रवाई कर सकती है। इन पुलिस कप्तान पर मुफ्तखोरी का आरोप है। बताया जा रहा है कि इन्होने अपने ज़िले में एक ढाबे पर जाकर न सिर्फ पुलिस का रौब दिखा कर फ्री में माल उड़ाया बल्कि अपने साथ साथ कई और लोगों को भी शामिल किया ।