काहिरा। मंगलवार को स्वेज नहर के आसपास आये प्रचंड रेतीले तूफान ने दुनिया के सबसे भारी जहाजों में से एक एवर गिवेन की न सिर्फ रफ्तार रोकी बल्कि उसकी दिशा ही मोड़ दी। अब यह जहाज विशाल नहर में तिरछा फंसा है और स्वेज नहर जाम हो गई है। दुनिया में समुद्री मार्ग से होने वाले कारोबार में से 12 फीसद इसी नहर से होता है।
स्वेज नहर प्राधिकरण के अफसरों का आकलन है इस जाम से 40 करोड़ डॉलर का नुकसान प्रतिघंटा हो रहा है । जहाज को निकालने के लिए किनारों पर कटान किया जा रहा है और कई टग बोट इसे खींचने में जोर लगा रहे हैं। अधिकारी कह रहे हैं कि इसमें रविवार तक का वक़्त लग सकता है।
वैसे भी इस व्यापारिक मार्ग के दोनों छोर पर जहाजों का एक बड़ा जाम होता है। बुधवार को ही 189 जहाज नहर में प्रवेश के लिए छोर पर कतार में लगे थे। इनमें से ज्यादातर तेल और केमिकल ले जा रहे थे।
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200,000 टन भारी और 400 मीटर लंबा ये एवर गिवेन नाम का जहाज पनामा के फ्लैग के साथ है और ताइवान स्थित फर्म एवरग्रीन द्वारा संचालित है।
जहाज के तकनीकी प्रबंधक बर्नहार्ड शुल्ते शिपमैनमेंट (बीएसएम) ने कहा कि यह मंगलवार की रात नहर में घिर गया था। उस समय हवा की रफ्तार 46 मील प्रतिघंटा रही होगी।चालक दल सुरक्षित है।
यह दुर्घटना संभवत: तेज हवाओं के कारण हुई, जिसने डेक से ऊपर कंटेनरों को एक विशाल पाल में बदल दिया, जिसने जहाज की दिशा ही मोड़ दी।
2012 में कोस्टा कोकोर्डिया पोत को इसी तरह की स्थितियों से बाहर निकालने वाले सालवेज मास्टर निक स्लोएन कहते हैं कि रविवार और सोमवार को जब समुद्र में ज्वार प्रचंड होगा तो इसे निकालना आसान रहेगा।
120 मील लंबी स्वेज नहर की चौड़ाई कुछ जगहों पर तो 205 मीटर तक है ऐसे में कप्तान का जरा सा भटकाव मुश्किल में डाल देता है।
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