लखनऊ की पोक्सो कोर्ट ने बलात्कारी हत्यारे को सुनाई फांसी की सजा

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द लीडर | यूपी की राजधानी लखनऊ में पॉक्सो कोर्ट ने 5 महीने की मासूम बच्ची के साथ दुष्कर्म करने और बाद में उसे मौत के घाट उतारने वाले आरोपी को सजा-ए-मौत सुनाई है. इसके साथ ही कोर्ट ने आरोपी पर 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है.

पिछले साल फरवरी में लखनऊ के मडियाव इलाके में 5 महीने की बच्ची का रेप कर उसे मौत के घाट उतार दिया गया था. इस मामले में पुलिस ने बच्ची के ही चचेरे भाई प्रेमचंद दीक्षित उर्फ पप्पू को गिरफ्तार किया था. करीब डेढ़ साल तक चली सुनवाई के बाद पॉक्सो कोर्ट के स्पेशल जज अरविंद मिश्रा ने आरोपी प्रेमचंद को मौत की सजा सुनाई है. इसके साथ ही उस पर 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है. कोर्ट ने अपने आदेश में लिखा है कि दोषी को फांसी के फंदे पर तब तक लटकाया जाए, जब तक उसकी मौत न हो जाए.

कोर्ट में अपने फैसले में क्या कहा

अपने फैसले में कोर्ट ने कहा है कि वारदात के समय पीड़िता की उम्र 5 महीने 13 दिन थी और अगर कोई आदमी इतनी छोटी बच्ची को अगवा कर उसके साथ बलात्कार करता है, तो वह जानता है कि हर हालत में बच्ची की मौत हो जाएगी. इस वारदात में आरोपी मासूम बच्ची को खेलाने के नाम पर ले गया था और वारदात को अंजाम दिया. तमाम सबूतों और हालात को देखते हुए कोर्ट ने प्रेमचंद उर्फ पप्पू दीक्षित को फांसी की सजा सुनाई.

कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा कि ऐसी वारदात को देखते हुए कोई भी अपने छोटे बच्चे को अपने परिवार और किसी अन्य व्यक्ति को नहीं देगा. अगर समाज से यह विश्वास खो गया तो समाज का पूरा ताना-बाना खत्म हो जाएगा. जबकि सामाजिक नियमों का पालन करते हुए रहने के गुण के कारण ही मनुष्य पशुओं से अलग है.


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इस मामले को विरल से विरलतम श्रेणी का बताते हुए कहा गया कि आरोपी ने मासूम बच्ची के साथ बलात्कार कर उसकी हत्या कर दी. ऐसे आरोपी को अगर कोर्ट कानून द्वारा दिए गए अधिकतम दंड से दंडित नहीं करता है, तो ये उस फूल जैसी उस बच्ची के साथ अन्याय होगा.

क्या है पूरा मामला?

फरवरी 2020 में लखनऊ के मडियांव इलाके में 5 महीने की बच्ची से रेप कर उसकी हत्या करने का मामला सामने आया था. इस मामले में पुलिस ने बच्ची के सगे चचेरे भाई प्रेमचंद दीक्षित उर्फ पप्पू को गिरफ्तार किया था.पुलिस के मुताबिक, हरदोई से एक शादी में शामिल होने के लिए परिवार लखनऊ के मडियांव इलाके में स्थित एसआर पैलेस पहुंचा था. तभी शाम 7 बजे प्रेमचंद 5 महीने की बच्ची को उसकी मां की गोद से खिलाने और घुमाने के बहाने लेकर चला गया.

जब काफी देर तक बच्ची और प्रेमचंद का पता नहीं चला तो परिजनों ने मडियाव थाने में शिकायत दर्ज कराई. सुबह होते-होते बच्ची बेसुध हालत में मैरिज हॉल से कुछ दूर खाली पड़े एक प्लॉट में मिली थी. बच्ची को ट्रामा सेंटर ले जाया गया जहां बच्ची को मृत घोषित कर दिया गया था.


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19 माह में आया फैसला

पॉक्सो की विशेष अदालत ने 19 माह में इस केस में अपना फैसला सुनाया है. पुलिस ने भी घटना के बाद सिर्फ 10 दिन में विवेचना पूरी कर अपना आरोप पत्र दाखिल कर दिया था। इस मामले में अभियोजन की ओर से अन्य गवाह व परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के अलावा केजीएमयू की एक महिला डॉक्टर व सिविल अस्पाल के एक डॉक्टर की गवाही दर्ज कराई गई. साथ ही विधि विज्ञान प्रयोगशाला की रिपोर्ट भी पेश की गई. इस मामले में अभियोजन की तरफ से 10 गवाह जबकि बचाव पक्ष की तरफ से दो गवाह पेश किये गये थे.

99 पन्नों का फैसला

कोर्ट के 99 पन्नों के फैसले में कहा कि, इस मामले को देखते हुए कोई भी व्यक्ति अपने छोटे बच्चे को न तो परिवार के किसी व्यक्ति पर विश्वास करके देगा. वहीं न ही उसे किसी अन्य व्यक्ति को देगा. अगर समाज में ऐसा विश्वास का माहौल व्याप्त हो गया तो समाज का पूरा तानाबाना खत्म कर देगा. जबकि मनुष के सामाजिक जीवन में समाज के नियमों का पालन करते हुए रहने का गुण ही उसे मनुष्य बनाता है और पशुओं से अलग करता है. कोर्ट ने कहाकि, अभियुक्त को विधि द्वारा दिए गये अधिकतम दंड से दंडित नहीं करता है तो वह फूल जैसी बच्ची के साथ अन्याय होगा.


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वकील की पैरोकारी 

कोर्ट में जिला शासकीय अधिवक्ता मनोज त्रिपाठी, सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता नवीन त्रिपाठी, विशेष अधिवक्ता अभिषेक उपाध्याय व सुखेंद्र प्रताप सिंह ने इस मामले में सुनवाई के बाद सजा करवाई है.

चार साल में फांसी की चौथी सजा 

24 जनवरी, 2020 :- सत्र अदालत ने पत्नी की मां, भाई के बेटे-बेटी की हत्या पर फांसी.

17 जनवरी, 2020 :- पॉक्सो की विशेष कोर्ट मासूम बच्ची (6 वर्ष) से दुष्कर्म व हत्या पर फांसी की सजा सुनाई थी.

29 अगस्त, 2017 :- पत्नी व अपने तीन मासूम बच्चों की हत्या में फांसी.


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