जिंदा रहने को पत्तियां खा रहे यमन के लोग

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संयुक्त राष्ट्र के विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) के ताजा दस्तावेज ने खुलासा किया है कि यमन में परिवार के परिवार भूख से बेहाल हैं और किसी तरह जिंदा रहने की खातिर पेड़ों की पत्तियां खाकर तक गुजारा करने को मजबूर हैं। इस बीच सऊदी नेतृत्व वाले सैन्य गठबंधन की एयर स्ट्राइक जारी है, जिसमें बड़ी संख्या में लोग वैसे ही मारे जा रहे हैं या गंभीर रूप से जख्मी हो रहे हैं। (Yemen Eating Leaves Survive)

WFP का कहना है कि अरब देश में जारी जंग और आर्थिक गिरावट के बीच यमन में भुखमरी से मौतों का आंकड़ा बढ़ रहा है या फिर कुपोषण की मार चरम पर है।

डब्ल्यूएफपी के ट्विटर हैंडल पर यमनी नागरिकों को पत्तियां पकाने की तस्वीर लगाकर लिखा गया है कि यमन के कुछ सबसे बुरी तरह प्रभावित क्षेत्रों हज्जा और उत्तर पश्चिमी यमन में लोग जिंदा रहने को पेड़ों की पत्तियां उबालकर खाने को मजबूर हैं।

यमन के स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि 2018 के पहले छह महीनों में हज्जा प्रांत में गंभीर तीव्र कुपोषण के 17 हजार मामले दर्ज किए गए। (Yemen Eating Leaves Survive)

कुपोषण का आलम ये है कि तकलीफ से घिरे बच्चों की भरमार हो गई है, बिना वजन जैसे, पेंसिल की तरह पतले हाथ-पैर और खाल जैसे पसलियों पर मढ़ दी गई हो, वह भी पपड़ीदार सूखी। इस मंजर को कोई भी एक नजर डालकर ही समझ सकता है कि यहां लोगों को फांके करने पड़ रहे हैं। इस मुसीबत में उनके जख्मों पर फाहा रखने की जगह बम बरस रहे हैं। 

पिछले महीने संयुक्त राष्ट्र के मानवीय सहायता संगठन ने कहा कि धन की कमी के चलते जनवरी से युद्धग्रस्त यमन को खाद्य सहायता कम करने के लिए हमें मजबूर होना पड़ रहा है।

डब्ल्यूएफपी द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार, यह पता चला है कि 16 मिलियन से अधिक यमनी, यानी कि देश की आधी आबादी भुखमरी से जूझ रही है, जबकि लगभग ढाई करोड़ यमनी बच्चे कुपोषण के गंभीर खतरे में हैं।

यमन 2014 से हिंसा और अस्थिरता से घिरा हुआ है, जब कथित तौर पर ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों ने राजधानी सना सहित देश के बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया था। (Yemen Eating Leaves Survive)

यमन की सरकार को बहाल करने के कथित मकसद से सऊदी के नेतृत्व वाले सैन्य गठबंधन ने इसके बाद मोर्चा संभाल लिया और तब से जंग थमी नहीं है। आज यमन को दुनिया के सबसे खराब मानवीय संकटों में से एक माना जा रहा है। संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि यमन में लगभग 80 प्रतिशत लोगों को मानवीय सहायता और सुरक्षा की जरूरत आ पड़ी है।


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